लॉकडाउन में क्यों जुटे 10 हजार लोग, मदद की कोशिश को एक अफवाह ने कैसे नाकाम किया?

गाजियाबाद: कोरोना संक्रमण के खतरे की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाने के मकसद से PM ने लॉकडाउन का ऐलान किया था लेकिन चौथे ही दिन यूपी बॉर्डर पर पलायन करने वालों की करीब 10 हजार की भीड़ के जुटने से तस्वीर बदल गई. सवाल ये है कि एकाएक ऐसा क्या हो गया कि आनंद विहार के पास यूपी बॉर्डर पर हजारों लोग इक्ट्ठा हो गए.

इसकी कई वजह गिनाई जा रही है. माना जा रहा है कि पलायन कर रहे लोगों के लिए बसों का इंतजाम करने के यूपी सरकार के फैसले का भी अलग असर पड़ा. दरअसल, शुक्रवार को ही ये खबर आनी शुरू हो गई थी बहुत से लोग भूखे प्यासे ही सड़क के रास्ते से अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं. ऐसे लोगों की तकलीफ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूरी रात सोने नहीं दिया. उन्होंने परिवहन विभाग के अधिकारियों को पैदल आ रहे लोगों के लिए रातों-रात बसों का इंतजाम करने को कहा.

रात में ही विभाग के ड्राइवरों और कंडक्टरों को अपनी बसें लेकर गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर जैसे शहरों तक पहुंचने के लिए कहा गया. नतीजा ये हुआ कि शनिवार की सुबह तक करीब 1000 बसें सड़कों पर चल रहे लोगों को उनके मुकाम तक पहुंचाने के लिए तैयार हो गईं.

एक तरफ सोशल मीडिया पर ये अफवाह की सरकार ने लोगों को आने जाने के लिए 24 घंटे की छूट दी है, दूसरी तरफ रात में ही बसों का इंतजाम किए जाने की खबर. दोनों की वजह से हालात कुछ ऐसे बने कि यूपी बॉर्डर पर दस हजार से ज्यादा लोग जमा हो गए. जिस सोशल डिस्टेंसिंग को बनाने के लिए लॉकडाउन का ऐलान हुआ था, वो मकसद खतरे में पड़ गया.

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