UP Panchayat Election Result 2021: अयोध्या के बाद भाजपा को काशी व मथुरा में भी झटका
उत्तर प्रदेश में गांव की सरकार बनाने के लिए मतगणना अभी पूरी नहीं हो सकी है। कहीं पर किसी प्रत्याशी को अपने परिणाम का इंतजार है तो कहीं पर रीकाउंटिंग का पेंच फंसा है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में भी प्रदेश में चार चरणों में सम्पन्न मतदान के बाद रविवार से शुरु हुई मतों की गिनती अभी भी पूरी नहीं हो सकी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान तथा ग्राम पंचायत सदस्य के पद के लिए मतदान हुआ था।
चार पदों के लिए पंचायत चुनाव में भाजपा के समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने भी ताकत झोंकी है। ऐसे में पंचायत चुनाव को ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी के बढ़ते-घटते जनाधार के तौर पर देखा जा रहा था। फिलहाल, अब तक जो परिणाम हैं। वह भाजपा के लिए अच्छे नहीं हैं। पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य के पद पर राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से किसी को भी पार्टी सिंबल नहीं दिया गया है। इस पद के अधिकांश नतीजे आ चुने हैं, जिसमें सत्ता पर काबिज भाजपा ने बढ़त बना रखी है जबकि उसको समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही है। बहुजन समाज पार्टी ने भले ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन कांग्रेस का तो पत्ता ही गोल दिख रहा है। निर्दलीय तथा बागी प्रत्याशियों ने भी अपनी ताकत दिखाई है। जिसके कारण अनके दिग्गजों को शिकस्त झेलनी पड़ी है।
रायबरेली में राजनीतिक दलों से आगे निर्दलीय, सपा व कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ा: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों के चुनाव में जनता ने निर्दलीयों पर अधिक भरोसा जताया है। 52 जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में 708 ने भाग्य आजमाया था। इसमें भाजपा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व बसपा के अधिकृत प्रत्याशी भी थे। इन सभी के बीच 19 निर्दलीयों ने बाजी मारी है। अब यही सब जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहेंगे। सोनिया गांधी की संसदीय क्षेत्र रायबरेली मेंजिला पंचायत सदस्य चुनाव में भाजपा अपना असर नहीं दिखा सकी। यहां से भाजपा के विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह के परिवार का बीते दस वर्ष से अध्यक्ष के पद पर कब्जा था। भाजपा को छोड़ दें तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का दबदबा कायम रहा। समाजवादी पार्टी 14 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। कांग्रेस के 10 जिला पंचायत सदस्यों ने जीत दर्ज की है। भाजपा सिर्फ 09 सीट पर सिमट गई। भाजपा ने सभी 52 जिला पंचायत सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। रायबरेली में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने के साथ ही सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लडऩे वाले एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की अनुज वधु सुमन सिंह जिला पंचायत का चुनाव हार गईं। हरचंदपुर तृतीय से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व भाजपा प्रत्याशी सुमन सिंह को सपा की शिवदेवी ने हराया। दिनेश प्रताप सिंह के परिवार का रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर दस वर्ष से कब्जा है। इस बार यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
इटावा में समाजवादी पार्टी का दबदबा: समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले इटावा में भले ही पार्टी का सांसद न हो, लेकिन पार्टी ने गांव की सरकार के गठन में बाजी मार ली है। समाजवादी पार्टी ने इटावा में जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में 24 में से 18 सीट पर जीत दर्ज की है। भाजपा ने दो सीट जीतने में सफलता प्राप्त की है जबकि बसपा के खाते में एक सीट आई है। यहां पर तीन निर्दलीय भी जीते हैं।
बागपत में राष्ट्रीय लोकदल का कमाल: जिला पंचायत के चुनाव में बागपत में राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशियों ने जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में सत्ता पर काबिज भाजपा के साथ अन्य दलों को भी चौंका दिया है। यहां की 20 सीट में से राष्ट्रीय लोकदल ने आठ में जीत दर्ज की है। भाजपा व सपा ने चार-चार सीट जीती है जबकि बसपा ने खाता खोला है। तीन अन्य सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं।
रामनगरी अयोध्या में भाजपा को झटका: रामनगरी अयोध्या में समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दी है। यहां पर 40 सीटों में से समाजवादी पार्टी ने 22 पर जीत दर्ज की है। इसके साथ ही सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के सीट पर दावा ठोक दिया है। भारतीय जनता पार्टी यहां आठ सीट पर ही सिमट गई है जबकि चार सीट पर बसपा के प्रत्याशी जीते हैं। यहां पर निर्दलीय छह सीट पर जीते हैं।
बलिया में राम गोविंद चौधरी को झटका: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी को बलिया की जनता ने निराश किया है। बलिया में उनके बेटे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गए हैं। रामगोविंद के पुत्र रंजीत चौधरी वार्ड 16 से चुनाव हार गए हैं। उन्हेंं बसपा समर्थित प्रत्याशी असगर ने 1896 वोट से हराया। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राघवेंद्र सिंह वार्ड 12 तथा एक और पूर्व जिलाध्यक्ष सच्चिदानन्द तिवारी वार्ड 17 से चुनाव हारे हैं। यहां भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष देवेंद्र यादव वार्ड 10 से चुनाव हारे हैं तो पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी के लिए राहत की खबर है। उनके पुत्र आनन्द चौधरी वार्ड 44 से जीते हैं। इसके साथ सपा के जिलाध्यक्ष राजमंगल यादव की पत्नी रंजू देवी वार्ड 42 से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई हैं।
लखनऊ में हारीं भाजपा की रीना चौधरी: लखनऊ में ही मोहनलालगंज से दो बार सांसद रही भाजपा की प्रत्याशी रीना चौधरी को शिकस्त झेलनी पड़ी है। जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर काबिज होने की उम्मीद से उतरीं भाजपा प्रत्याशी रीना चौधरी को हार का सामना करना पड़ा। चौधरी को समाजवादी पार्टी समर्थित पलक रावत ने वार्ड 15 से शिकस्त दी है। रीना चौधरी को 2099 वोट से हार मिली है। लखनऊ में जिला पंचायत सदस्य के 25 पद हैं। यहां भाजपा को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही है।