बच्चों में ब्लैक फंगस का पहला मामला आया सामने, अहमदाबाद में 13 साल के बच्चे की हुई सर्जरी

अहमदाबाद में बच्चों में Black Fungus का पहला मामला सामने आया है. यहां 13 साल के बच्चे की म्यूकरमायकोसिस की सर्जरी हुई है.

बच्चों में म्यूकरमायकोसिस (ब्लैग फंगस) का पहला मामला सामने आया है. अहमदाबाद में 13 साल के बच्चे की म्यूकरमायकोसिस की सर्जरी हुई है. बच्चे की जान बचाने के लिए उसे ऑपरेट किया गया है. जानकारी के अनुसार बच्चे की मां की मौत कोरोना से हो चुकी है. चांदखेड़ा के एक निजी अस्पताल में बच्चे का ऑपरेशन हुआ. बच्चा पहले कोरोना से संक्रमित था. इसके बाद वो नेगेटिव हो चुका था.

कोरोना वायरस के साथ-साथ अब देश एक और गंभीर बीमारी से जूझ रहा है, ब्लैक फंगस (Blacka Fungus) यानी ‘म्यूकोरमाइकोसिस’  (Mucormycosis) जिसके चलते कई मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं. ब्लैक फंगस से बुधवार को देश भर में करीब 5,500 लोगों को अपनी चपेट में लिया. इनमें से 126 लोगों की मौत हो गई. केवल महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से 90 लोगों की मौत हुई है . यहां तक ​​​​कि कई राज्यों में liposomal amphotericin B, एंटी-फंगल दवा की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. ये दवाएं ब्लैक फंगस के इलाज में उपयोग होती हैं.

एम्स ने जारी की गाइडलाइन

ऐसे में अब एम्स ने इस बीमारी को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है और बताया है कि कौन से मरीज हाई रिस्क पर है, इस बीमारी के क्या लक्षण हैं और इससे कैसे निपटा जा सकता है. एम्स ने अपनी गाइडलाइन में बताया है कि ऐसे मरीज जिनकी डायबटीज कंट्रोल से बाहर है, वो हाई रिस्क पर हैं. इसके अलावा स्टीरॉयड लेने वाले डायबिटिक पेशेंट को ब्लैक फंगस होने का खतरा अधिक है. डायबिटिक केटोएसिडोसिस (DKA) यानी ऐसे मरीज जिनके शरीर में शरीर में सर्कुलेट होने वाले इंसुलिन का लेवल कम है, वो भी हाई रिस्क पर हैं.

इन्हें भी है खतरा

वहीं इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर रोधी उपचार, पुरानी दुर्बल करने वाली बीमारी के मरीजों को भी ब्लैक फंगस का खतरा अधिक है. ऐसे कोरोना संक्रमित मरीजों को भी ब्लैक फंगस होने का खतरा है जो नाक और मास्क के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

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