Gujarat: जिस शख्स ने कोविड केयर फंड में दान दिए थे 2.5 लाख, उसी की मां को अस्पताल में नहीं मिला बेड, पूछा- अब और कितना दूं?

विजय पारेख ने अपना आक्रोश अपने ट्विटर अकाउंट पर व्यक्त किया है. 10 जुलाई 2020 को जमा की गई रकम की रसीद भी उन्होंने अपने ट्वीट के साथ शेयर किया है.

देश में कोरोना (Coronavirus in India) की पहली लहर आई और देश ने पहली बार लॉकडाउन देखा. यह लॉकडाउन काफी दिनों तक कायम रहा. अचानक हुए इस लॉकडाउन की वजह से गरीब मजदूरों की स्थिति बहुत खराब होती चली गई. ऐसे समय में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देशवासियों से मदद करने का आह्वान किया. देशवासियों पर इस आह्वान का असर पड़ा और अरबों रुपए पीएम केयर फंड में जमा हुए. देश भर से दान देने वालों में एक नाम अहमदाबाद के रहने वाले विजय पारेख का भी था.

विजय पारेख ने पीएम केयर फंड में करीब 2 लाख 51 हजार रुपए जमा किए. लेकिन जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो उनकी बीमार मां इलाज के लिए दर-दर भटकती रही लेकिन उन्हें अस्पतालों में कहीं बेड ही नहीं मिला. इस वजह से विजय पारेख ने अपना आक्रोश अपने ट्विटर अकाउंट पर व्यक्त किया है. 10 जुलाई 2020 को जमा की गई रकम की रसीद भी उन्होंने अपने ट्वीट के साथ शेयर किया है

ऐसे छलका दीपक पारेख का दर्द

“ मैंने पीएम केयर फंड में 2.51 लाख रुपए की रकम जमा की. लेकिन मौत के दरवाजे पर खड़ी मेरी मां को बेड नहीं उपलब्ध हुआ. मेरा मार्गदर्शन करें की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए मैं कहां मदद करूं, जिससे मुझे बेड मिल पाएगा. और मुझे किसी अपने को खोना नहीं पड़ेगा.” अपने  ट्वीट में विजय पारेख ने कुछ इस तरह अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं.

यह ट्वीट बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. 24 घंटे भी नहीं हुए और 24 हजार से ज्यादा लाइक आ चुके हैं और करीब साढ़े दस हजार लोगों ने इसे रीट्वीट किया है. हालांकि कई लोग दीपक पारेख को ऐसे ट्वीट के लिए निशाना बना रहे हैं और कह रहे हैं कि दान की ये शर्त नहीं थी कि आपको इसके बदले कोई सुविधा मिल जाएगी.

कई अन्य लोगों ने दीपक का ट्वीट रीट्वीट कर अपनी परेशानियां भी साझा की हैं. क्रितांश अग्रवाल नाम के एक यूजर ने लिखा है- मैंने भी दान दिया था, काश कोई रिफंड पॉलिसी होती तो मैं अपने पैसे वापस ले लेता. सूर्या नाम के एक अन्य शख्स ने विजय को सलाह दी है कि दान देने के ऐसे पुण्य वाले काम का ढिंढोरा उन्हें सोशल मीडिया पर नहीं पीटना चाहिए. ये सब लिखने की जगह उन्हें अपने इलाके में बेहतर मेडिकल सुविधाओं के लिए कुछ करना चाहिए.

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