अब नहीं बन सकेगा कोई दूसरा माल्या या नीरव मोदी, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अरबपतियों को ऐसे लग रहा झटका

बैंक अपने डिफॉल्ट या बैड लोन ( Bad Loan ) की वसूली के लिए कमर कस चुके हैं. ऐसे में कई बैंक इसका कानूनी रास्ता ढूंढ रहे हैं ताकि रईसों के इस जुगाड़ का तोड़ निकाला सके.

देश में दूसरा कोई विजय माल्या और नीरव मोदी जैसा काम न कर सकें इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक अहम फैसला किया था. दरअसल बैकों को हजारों करोड़ लेकर अपनी कंपनी को दिवालिया दिखा देना और बैकों का पैसा डकार कर आराम से विदेश भाग जाना अब उन बड़ी कंपनियों के प्रमोटर्स और मालिकों पर भारी पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बैड लोन पर शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया था जिसका असर अब देश की बड़ी कंपनियों और बड़े रईसों पर दिख रहा है.

दरअसल पिछले हफ्ते शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उस अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें बैंकों को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत ऋण वसूली के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी. अब इस फैसले के बाद कई कंपनियों के प्रमोटर्स इससे बचने का जुगाड़ निकाल रहे हैं.

बचने के ऐसे जुगाड़ बना रहे प्रमोटर्स

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई बड़ी कंपनियों के प्रमोटर्स पर आफत आ सकती है क्योंकि कंपनी दिवालिया करने की शक्ल में उनकी पर्सनल गारंटी से बैंक अपनी वसूली कर सकता है. इससे बचने के लिए कई प्रमोटरों ने पैमिली ट्रस्ट बना लिया है. लेकिन बैंक अब लोन गारंटी के लिए फैमिली ट्रस्ट को भी टारगेट कर रहे हैं. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अब बैंक ऐसे ट्रस्ट और प्रमोटरों की पहचान कर सकते हैं तो ट्रस्ट के जरिए आईबीसी का तोड़ निकालने में जुटे है.

क्या है कानूनी रास्ता

बैंक अपने डिफॉल्ट या बैड लोन की वसूली के लिए कमर कस चुके हैं. ऐसे में कई बैंक इसका कानूनी रास्ता ढूंढ रहे हैं ताकि रईसों के इस जुगाड़ का तोड़ निकाला सके. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्रेडिटर्स अपना पैसा वसूल करने के लिए कंपनियों के प्रमोटर्स की पर्सनल गारंटी जब्त कर सकते हैं. जिन प्रमोटर्स ने ट्रस्ट बनाकर पैसे का हेरफेर करने में लगे हैं उनमें उन प्रमोटर्स की 5 से 10 फीसदी की हिस्सेदारी बताई जा रही है. बैंक और दूसरे क्रेडिर्स इसकी भी जांच करने में लगे है.कई प्रमोटर्स ने भारत और भारत के बाहर भी इसी तरह के ट्रस्ट बनाए हुए है. अब ऐसे ट्रस्ट भी जांच के दायरे में आ सकते है.

इनकी भी बढ़ सकती है मुश्किलें

कोर्ट के इस फैसले से अनिल अंबानी, कपिल वधावन और संजय सिंघल जैसे कारोबारियों को मुश्किलें बढ सकती हैं. कोर्ट के इस फैसले के बाद बैंक अब उन कंपनियों के प्रमोटरों के खिलाफ पर्सनल बैंकरप्सी का केस दायर कर सकते हैं जिनकी कंपनियां कर्ज समाधान के लिए एनसीएलटी (NCLT) को भेजी गई हैं. इस लिस्ट में अनिल अंबानी, कपिल वधावन और संजय सिंघल जैसे कारोबारियों का नाम शामिल है.

NCLT के पास हैं लंबी लिस्ट

आईबीसी कानून को 2016 में बनाया गया था लेकिन 2017 के अंत तक कम से कम 52 कंपनियों को बैंकों के लोन के भुगतान में डिफॉल्ट करने पर एनसीएलटी भेजा गया था. इनमें वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज, भूषण स्टील, पुंज लॉयड और एस्सार स्टील शामिल थीं. अब इस फैसले के बाद बैंक के लिए पर्सनल गारंटर से पैसा वसूलना आसान हो जाएगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *