मध्य प्रदेश: कोरोना काल में इस शहर में आ गई अस्पतालों की बाढ़, पैसा कमाने के लिए महज डेढ़ साल में खुले 102 प्राइवेट नर्सिंग होम

कई अस्पतालों में तो ढंग की सुविधाएं भी नहीं है फिर भी इन्हे परमीशन दे दी गई. इनके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेशन जारी करते वक्त जिम्मेदार अफसरों ने डॉक्टर्स के नाम और उनके एमसीआई रजिस्ट्रेशन तक ठीक से नहीं चेक किए हैं.

शहरों में अस्पतालों का होना बहुत जरूरी है. ताकि समय पर जनता को इलाज मिल सके. हम ऐसे अस्पतालों की बात कर रहे हैं जो बेहतरीन सुविधाओं और डॉक्टरों सहित पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ से युक्त हों, लेकिन शहर में इस कोरोना काल में पैसे की चाह में कई प्राइवेट अस्पताल खुल गए हैं. लगभग डेढ साल में शहरभर में 102 नए प्राइवेट अस्पताल शुरू हुए हैं. इसमें से भी 29 अस्पताल तो मार्च, अप्रैल, मई में खुले.

हैरानी की बात है कि इनमें से कई अस्पतालों में तो ढंग की सुविधाएं भी नहीं है फिर भी इन्हे परमीशन दे दी गई. इनके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेशन जारी करते वक्त जिम्मेदार अफसरों ने डॉक्टर्स के नाम और उनके एमसीआई रजिस्ट्रेशन तक ठीक से नहीं चेक किए हैं.

एक-एक डॉक्टर के नाम पर रजिस्टर्ड हैं 3 से 10 अस्पताल

दरअसल सीएमएचओ भोपाल के मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों के रिकॉर्ड से इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. एक-एक डॉक्टर के नाम से 3 से 10 अस्पताल रजिस्टर्ड हो रखे हैं. इस मामले में सीएमएचओ भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि कोई भी एमबीबीएस डॉक्टर अधिकतम तीन अस्पतालों में बतौर रेसीडेंट ड्यूटी कर सकता है. यदि कोई इससे ज्यादा ड्यूटी कर रहा है तो संबंधित अस्पतालों के दस्तावेजों की जांच कराएंगे.

68 साल का डॉक्टर 10 अस्पतालों में बतौर रेसीडेंट डॉक्टर हैं रजिस्टर्ड

शहर की रायसेन रोड़ पर स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले 68 साल के डॉ. हरिओम वर्मा भोपाल, सीहोर और शाजापुर के 10 निजी अस्पतालों में बतौर रेसीडेंट डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं. हैरानी की बात तो यह है जिन 10 अस्पतालों में वो बतौर रेसीडेंट डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं. उसमें से 8 अस्पताल जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच शुरू हुए हैं. इतना ही नहीं शहर के 7 में से 5 अस्पतालों के संचालकों ने उन्हे परमानेंट तो दो अस्पतालों ने प्रोविजनल रेसीडेंट डॉक्टर बताया है. और सीहोर और शाजापुर के 3 अस्पतालों में वे परमानेंट रेसीडेंट हैं.

जब इतने अस्पतालों में एक साथ काम करने वाली बात डॉ. वर्मा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि मैं अभी नागपुर न्यूरो हॉस्पिटल और अर्नव हॉस्पिटल में बतौर रेसीडेंट डॉक्टर हूं. इसके अलावा किसी भी दूसरे अस्पताल में ड्यूटी नहीं कर रहा हूं.

डॉक्टर का अस्पतालों में अलग दर्ज है एमसीआई रजिस्ट्रेशन नंबर

51 साल के डॉ. गौतम चंद्र गोस्वामी भोपाल के 5 और सीहोर के 1 प्राइवेट अस्पताल में परमानेंट रेसीडेंट डॉक्टर के रूप में काम करते हैं. भोपाल के 5 अस्पतालों के रिकॉर्ड में उनका एमसीआई रजिस्ट्रेशन एमपी 14059 और सीहोर के प्राइवेट अस्पताल के डॉक्यूमेंट में रजिस्ट्रेशन नंबर 017226 दर्ज है. डॉ. गोस्वामी जिन 6 अस्पतालों में रेसीडेंट डॉक्टर के रूप में काम कर रहे हैं, उनमें से दो अस्पताल पिछले साल और 4 अस्पताल इस साल ही खुले हैं.

रेसीडेंट डॉक्टर के लिए 8 घंटे की वार्ड ड्यूटी जरूरी

दरअसल एक रेसीडेंट डॉक्टर के लिए अस्पताल में 8 घंटे की वार्ड ड्यूटी करना जरूरी होता है. इस वजह से एक एमबीबीएस डॉक्टर एक ही समय में 2 अस्पतालों से ज्यादा बतौर रेसीडेंट ड्यूटी नहीं कर सकता है. दो से ज्यादा अस्पतालों में अगर कोई एमबीबीएस डॉक्टर रेसीडेंट के रूप में ड्यूटी कर रहा है, तो संबंधित अस्पतालों के रिकॉर्ड की जांच होना चाहिए.

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