सिद्धु को बनाकर नेतृत्व ने सही किया, ताकत बताना जरूरी था’, माकन के Retweet से राजस्थान में भी हलचल

अजय माकन ने एक पत्रकार के ट्वीट को रीट्वीट किया है जिसमें पत्रकार ने पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त करने पर अपनी राय दी थी।

जयपुर: कांग्रेस पार्टी के लिए अभी पंजाब की कलह का पूरा हल निकल नहीं पाया है और अब पार्टी के राजस्थान प्रभारी अजय माकन के एक Retweet से राजस्थान में भी हलचल पैदा हो गई है। अजय माकन ने एक पत्रकार के ट्वीट को रीट्वीट किया है जिसमें पत्रकार ने पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त करने पर अपनी राय दी थी। पत्रकार ने लिखा था कि सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त करके पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सही किया है क्योंकि शीर्ष नेतृत्व को कांग्रेस के क्षेत्रीय क्षत्रपों के बीच अपनी ताकत बताना भी जरूरी थी।

ट्वीट में कांग्रेस पार्टी के क्षेत्रीय क्षत्रपों पर निशाना साधते हुए लिखा गया है, “किसी भी राज्य में कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता है। गांधी नेहरू परिवार के नाम पर ही गरीब, कमजोर वर्ग, आम आदमी का वोट मिलता है। मगर चाहे वह अमरिन्द्र सिंह हों या गहलोत या पहले शीला या कोई और! मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि उनकी वजह से ही पार्टी जीती। 20 साल से ज्यादा अध्यक्ष रहीं सोनिया ने कभी अपना महत्व नहीं जताया। नतीजा यह हुआ कि वे वोट लाती थीं और कांग्रेसी अपना चमत्कार समझकर गैर जवाबदेही से काम करते थे। हार जाते थे तो दोष राहुल पर, जीत का सेहरा खुद के माथे! सिद्धु को बनाकर नेतृत्व ने सही किया। ताकत बताना जरूरी था।”

राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच में लंबे समय से खींचतान चल रही है। सचिन पायलट एक बार बगावत भी कर चुके हैं लेकिन बाद में शीर्ष नेतृत्व की मध्यस्थता के बाद वे मान गए थे। हालांकि बीच बीच में अभी भी सचिन पायलट खेमे के कई नेता मुख्यमंत्री पर निशाना साधते रहते हैं।

कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। ज्योतिरादित्य सिंधिया तो पिछले साल ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। हाल ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र की मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है। भाजपा में सिंधिया को मिली प्रोमोशन के बाद राजनीतिक गलियारों में इस तरह के कयास फिर से लगे थे कि पायलट फिर से बगावत कर सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं था।

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