22 जुलाई से जंतर मंतर पर प्रदर्शन के लिए बसों से जाएंगे किसान, पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों की 5 कंपनियों की होगी तैनाती

Farmers Protest: देशभर के हजारों किसान कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देगा, उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देगा

तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर किसान लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच वह संसद के मौजूदा मानसून सत्र के दौरान जंतर-मंतर पर एक ‘किसान संसद’ का आयोजन करेंगे और 22 जुलाई से प्रतिदिन सिंघू सीमा से 200 प्रदर्शनकारी वहां पहुंचेंगे. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, करीब 200 के आसपास किसान कल बसों के जरिए जंतर मंतर आएंगे और शांतिपूर्ण जंतर मंतर पर ही प्रदर्शन करेंगे.

उन्होंने कहा है कि पुलिस निगरानी में यह बस जंतर मंतर पहुंचेगी, जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं. किसान सुबह 11 बजकर  30 मिनट पर जंतर-मंतर पहुचेंगे और उन्हें चर्च साइड शांतिपूर्ण तरीके से बैठाया जाएगा. सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों की 5 कंपनियां तैनात की जाएंगी.

सूत्रों के अनुसार, सभी किसानों के पहचान पत्र चेक किए जाएंगे, जिसके बाद ही बैरिकेड के अंदर जाने की इजाजत दी जाएगी. शाम 5 बजे किसान अपना प्रदर्शन खत्म कर वापस सिंघु बॉर्डर लौट जाएंगे. हालांकि दिल्ली पुलिस ने आधिकारिक तौर पर प्रदर्शन के लिए परमिशन को लेकर अब तक कुछ नहीं कहा है.

संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त को होगा समाप्त

किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा कि किसान कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा जहां मानसून सत्र चल रहा है. 22 जुलाई से मानसून सत्र समाप्त होने तक ‘किसान संसद’ आयोजित करेंगे और 200 प्रदर्शनकारी हर दिन जंतर-मंतर जाएंगे. प्रत्येक दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुना जाएगा. पहले दो दिनों के दौरान एपीएमसी अधिनियम पर चर्चा होगी, बाद में अन्य विधेयकों पर हर दो दिन चर्चा की जाएगी. संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ और 13 अगस्त को समाप्त होगा.

26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड में हुई थी हिंसा

तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांगों को उजागर करने के लिए 26 जनवरी को आयोजित ट्रैक्टर परेड राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई थी, क्योंकि हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए थे, पुलिस से भिड़ गए थे और लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज फहराया था. रविवार को हुई एक बैठक के दौरान, दिल्ली पुलिस ने किसान यूनियनों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या कम करने के लिए कहा था, लेकिन किसान यूनियन के नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया था. देशभर के हजारों किसान कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देगा, उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देगा.

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