हादसे का खतरा:ये लापरवाही न बन जाए जान पर भारी; जर्जर भवनों में चल रहे दफ्तर, अनहोनी का डर

  • शहर के बीचों बीच खड़ी कृष्णा टाकीज, जिसका टपकता रहता है प्लास्टर
  • लगातार बारिश से कभी दरक सकते हैं खस्ता हाल भवन

भिंड की जिला जेल ही नहीं कई सरकारी दफ्तर भी खस्ता हाल भवनों में संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा कई सरकारी आवासों की हालत भी जर्जर है, जिससे उनमें निवास करने वाले परिवार हमेशा दहशत के साये में रहते हैं।

बता दें कि शहर में लगातार हो रही बारिश की वजह से शनिवार की अलसुबह करीब 5.30 बजे जिला जेल की दो नंबर और सात नंबर बैरक अचानक से धराशायी हो गई, जिससे उसके मलबे में दबने से 21 बंदी दबने से घायल हो गए। वहीं इस घटना के बाद जिला जेल के जर्जर भवन को आनन- फानन में खाली कराया गया। साथ ही जिले की अन्य उपजेल के भवनों का निरीक्षण कर उनके भवनों की हालत देखी गई। लेकिन जिले में कई ऐसी सरकारी ईमारतें हैं, जो सालों से मरम्मत के अभाव में खस्ताहाल हो रही है। जबकि इन भवनों सरकारी दफ्तर संचालित होने और परिवार निवास करने से कभी भी बड़ा हादसा घटित हो सकता है। इसी प्रकार शहर के बीचों बीच खड़ी कृष्णा टॉकीज का प्लास्टर टपकता रहता है, जो कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकता है।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय

शहर का जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का भवन वर्षों से जर्जर हो रहा है। बारिश के मौसम में इस भवन की छतों से पानी टपकने लगता है, जिससे हर साल सरकारी रिकार्ड खराब होता है। वहीं अत्यधिक बारिश होने पर तो कार्यालय में ही पानी भर जाता है। खास बात तो यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की नई बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई। लेकिन कार्यालय शिफ्ट न होने की वजह से कर्मचारी खस्ताहाल भवन में बैठने को मजबूर हैं।

महारानी लक्ष्मीबाई उमा स्कूल

वनखंडेश्वर रोड पर स्थित शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई उच्चतर माध्यमिक स्कूल अंग्रेजों के समय बने भवन में संचालित हो रहा है। इस भवन के कमरों की दीवारों में साफ दरारें देखी जा सकती है। बावजूद स्कूल शिक्षा विभाग और न ही लोक निर्माण विभाग इनकी मरम्मत पर ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि लगातार हो रही बारिश की वजह से कभी इस खस्ताहाल भवन की दीवारें धराशायी हो सकती है, जिससे बड़ा हादसा भी घटित हो सकता है।

पोषण पुनर्वास केंद्र का भवन

जिले में सिर्फ पुराने भवन ही नहीं बल्कि नए भवन भी देखरेख के अभाव में खस्ता हाल हो रहे हैं। जिला अस्पताल परिसर में पोषण पुनर्वास केंद्र के भवन को अभी बने हुए अभी डेढ़ दशक भी नहीं बीता है। वहीं भवन की दीवारों में अभी से दरार आने लगी है। साथ ही छत की कभी सफाई न किए जाने से उस पर काई जमा हो गई। वहीं काफी गंदगी का ढेर लगा है, जिससे छत भी टपकने लगी है। वहीं जिम्मेदारों द्वारा इस बिल्डिंग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

कॉटनजीन कॉलोनी में क्वार्टर जर्जर

कॉटनजीन कॉलोनी एच-2ए, जी-6 और एच- 22 नंबर क्वार्टरों की हालात काफी खराब हो रही है। इनकी दीवारें चटक रही है । इसी प्रकार से पीडब्लूडी कॉलोनी में स्थित कर्मचारियों के आवासों की हालत भी काफी जर्जर है। दीवारों में दरारों के साथ बारिश के मौसम में सीलन बैठ गई है।

अटेर और फूप के थाना भवन भी पुराने

जिले में अटेर और फूप थाना भी भवन वर्षों पुराने भवन में संचालित हो रहे हैं। हालांकि इन दोनों ही थानों के लिए नए भवन पुलिस हाउसिंग बोर्ड से स्वीकृत हो चुके हैं। लेकिन निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है। इसके अलावा पुलिस और जेल विभाग के कर्मचारियों के क्वार्टर की हालत भी खराब है।

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