स्मारक घोटाले में आरोपपत्र दाखिल करने की तैयारी में जांच एजेंसी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी यानी की बसपा के शासनकाल में हुए करीब 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में विजिलेंस की जांच जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उससे जल्द ही कई और अधिकारियों की भूमिका भी साफ होगी। फिलहाल जांच के घेरे में आए खनन और उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के कुछ तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज किए जाने का इंतजार किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि विजिलेंस को जांच में उनकी भूमिका के साक्ष्य मिले हैं, जिनके आधार पर पहले उनसे पूछताछ की जाएगी। साथ ही पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी की भूमिका और निर्माण कार्यों को लेकर किए गए कुछ निर्णयों को लेकर उनसे सवाल-जवाब किए जाएंगे।

विजिलेंस 57 आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के बाद जल्द ही एक और आरोपपत्र दाखिल करने की तैयारी में है, जिसके बाद जांच एजेंसी दो और आरोपपत्र भी दाखिल कर सकती है। सूत्रों के अनुसार अभी कुछ बिंदुओं पर जांच चल रही है, जिसमें कई निजी व्यक्ति भी संदेह के घेरे में है। साथ ही शासन से कुछ पत्रावलियां मिलने का भी इंतजार है। घोटाले में नामजद आरोपित दोनों पूर्व मंत्रियों के करीबी रहे कुछ अधिकारियों की भी जांच चल रही है। जिनकी मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।आपको बता दें की विजिलेंस ने जनवरी 2014 में स्मारक घोटाले की एफआइआर दर्ज कराकर विवेचना शुरू की थी। बीते दिनों नामजद आरोपित पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने अब तक की जांच में उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य न मिलने का हवाला देते हुए एफआइआर रद किए जाने की मांग की थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने दो सितंबर को पूर्व मंत्री की इस याचिका को खारिज कर दिया था। साथ ही विजिलेंस को चार सप्ताह में विवेचना पूरी करने का निर्देश दिया था।

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