पुलिस के टोटके ….. नए साल का पहला अपराध गंभीर हो तो खतरे में मानते हैं थानेदारी, ज्वाॅइनिंग के पहले दिन मर्डर हुआ तो लंबे टिकते

अंधविश्वासों से भोपाल और मप्र पुलिस भी दूर नहीं, ज्वाॅइनिंग के समय ही सीनियर इन टोटकों के बारे में जूनियर को बता देते हैं।

राजधानी समेत पूरे मप्र की पुलिस भी टोटकों पर यकीन करती है। पहली ज्वानिंग के समय ही सीनियर अफसर या स्टाफ इन टोटकों के बारे में जूनियर को बता देते हैं। इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई, ये तो किसी को नहीं पता। इतना जरूर है कि पुलिसिंग में बखूबी अपनी जगह बना चुके इन टोटकों पर नया स्टाफ भी धीरे-धीरे यकीन करने लगता है।

ऐसा मान लिया जाता है कि इन टाेटकाें के कारण ही थाना क्षेत्र में गंभीर अपराध कम होंगे और थाना प्रभारी लंबे समय तक टिके रहेंगे। भोपाल पुलिस में कौन-कौन से टोटके सबसे ज्यादा प्रचलित हैं, पढ़िए इस रिपोर्ट में…

ऐसे-ऐसे टोटके- नए साल का पहला अपराध माइनर एक्ट में ही करते हैं दर्ज

1. टोटका- नए साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को अमूमन हर पुलिस थाने में पहला अपराध माइनर एक्ट में ही दर्ज किया जाता है। वजह- माना जाता है यदि पहला अपराध गंभीर धारा में दर्ज हुआ तो थानेदारी खतरे में पड़ सकती है।

2. टोटका- साल के पहले दिन मर्डर या कोई संदिग्ध मौत हुई तो शुभ मानते हैं। वजह- मानते हैं कि ऐसा होने से थाना प्रभारी लंबे समय तक थाने में टिके रहेंगे।

3. टोटका- थाने की चौखट पर अंदर-बाहर पैर रखकर खड़े होने पर टोकते हैं। वजह- माना जाता है कि ऐसा करने से कोई अज्ञात मर्ग की सूचना आ जाती है, जिसमें थाना स्टाफ को बहुत परेशान होना पड़ सकता है।

4. टोटका- थाना स्टाफ पालता है कुत्ता। वजह- कई पुलिसकर्मी तो इस कुत्ते को अपने टिफिन से भी रोटी खिलाते हैं, ताकि सभी तरह की परेशानियों से बचे रहें।

5. टोटका- मरे का पानी नहीं पीते, बुरा होता है। वजह- किसी भी मौत की विवेचना में पहुंचा स्टाफ वहां खाना-पीना नहीं करता है। ऐसा करने पर संबंधित पुलिसकर्मी परेशान हो सकता है।

6. टोटका- ज्वाॅइनिंग के 3 दिन मंगल, शुक्र और शनि। वजह- पुलिस के ईष्टदेव हनुमान हैं, इसलिए मंगलवार और शनिवार को ज्वाॅइनिंग शुभ मानी जाती है। ऐसे ही शुक्रवार यानी जुमे का दिन भी शुभ होता है।

ये चलन में है- टोटकों का अपना स्थान, बेसिक पुलिसिंग भी जरूरी

रिटायर्ड सीएसपी सलीम खान कहते हैं कि ऐसे टोटके पुलिसिंग में अपना एक अलग स्थान बना चुके हैं। क्योंकि, पुलिसवाले भी इंसान ही हैं। ये मिथक सिर्फ भोपाल या मप्र में ही नहीं, बल्कि देशभर की पुलिस में प्रचलित हैं। हालांकि, इन टोटकों या मिथकों से अलग हटकर बेसिक पुलिसिंग भी जरूरी है।

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