मैनपुरी में कम अंतर की जीत के बाद सपा खेमे में है मायूसी

सपा मैनपुरी को अपना सबसे महत्वपूर्ण किला मानती है। यहां के वोटर्स 1989 से सपा प्रत्याशी को जिताते आए हैं। मैनपुरी को मुलायम सिंह यादव ने अपनी कर्मभूमि बनाया और जब-जब उनकी सरकार सत्ता में आई मैनपुरी के लिए सरकार से स्पेशल पैकेज हासिल होते रहें। यही वजह रही कि पांचवीं बार भी मुलायम की कम अंतर से ही सही लेकिन जीत हासिल हुई। सपा के कार्यकर्ता कम अंतर की जीत से मायूस हैं। बड़े नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कार्यकर्ता फिलहाल दबी जुबान से कह रहे हैं कि सपाईयों ने नेताजी का सम्मान नहीं रखा और घर में बैठकर सोशल मीडिया पर आंकड़ेबाजी करते रहे। पब्लिक के बीच जाते तो मुलायम को तीन से चार लाख की जीत हासिल होती।

सैफई तलब कर लिए गए जिले के बड़े लीडर

मैनपुरी। सपा खेमा मैनपुरी में जीत मिलने के बाद भी शुक्रवार को मायूस नजर आया। पार्टी के सभी बड़े लीडर सैफई तलब कर लिए गए। सैफई में मैनपुरी में कम अंतर की जीत को लेकर बड़े नेताओं की क्लास ली गई। जसवंतनगर सीट 60 हजार से अधिक मतों की जीत की चर्चा रही। वहीं करहल विधानसभा में 38 हजार से अधिक वोटों की जीत पर भी बात हुई। किशनी और मैनपुरी में सपा प्रत्याशी को जीत मिली लेकिन किशनी विधानसभा में अधिक अंतर की उम्मीद थी। मैनपुरी विधानसभा में भी 6561 वोटों से ही जीत मिल सकी।

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