मंडियों में अच्छी कीमत नहीं मिली तो जासिफ ऑनलाइन बेचने लगे कश्मीरी प्रोडक्ट, पहले ही साल 8 लाख का बिजनेस
जब आइडिया और कुछ करने का जुनून हो तो खेती भी कमाई का एक बेहतर जरिया हो सकती है। इसकी मिसाल दी है कश्मीर के जासिफ अहमद ने। वे अपने घर की खेती से मिलने वाले मुनाफे से बहुत खुश नहीं थे और उन्होंने बेहतर कमाई करने का नया आइडिया ढूंढ़ निकाला। लॉकडाउन में जासिफ ने ‘कश्मीरी प्रोडक्ट स्टोर’ नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। जिसके जरिए वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपने खेत में उगाए 25 से 30 प्रोडक्ट बेच रहे हैं। इसके अलावा वे ऑइल, क्रीम मसाले भी तैयार करते हैं और इससे भी देशभर में बेचते हैं। एक साल के भीतर इससे 8 से 10 लाख रुपए वे कमा चुके हैं।
लॉकडाउन एक अवसर की तरह आया
28 साल के जासिफ अहमद डार, कश्मीर के पहलगाम के हसन नूर गांव के रहने वाले हैं। वे एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे बताते हैं कि मेरे पिताजी करीब 40 सालों से अखरोट और सेब की खेती कर रहे हैं। हमेशा से ही हम अपनी उपज को बड़े व्यापारियों को ही बेचते आ रहे हैं। लॉकडाउन में दूसरों की तरह हमारे काम पर भी बहुत असर हुआ। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान हम बड़े व्यापारियों तक अपने प्रोडक्ट नहीं पंहुचा पाए तो मैंने एक नई तरकीब निकाली। दोस्तों की मदद से इन प्रोडक्ट्स को ‘ कश्मीरी प्रोडक्ट्स’ (kashmiri products) के नाम से ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया।
जासिफ के पास तकरीबन 50 कनाल खेती की जमीन है। उनके खेतों में सालाना करीब 1200 किलो अखरोट उगते हैं। इसके अलावा वो कश्मीरी चावल, हिमालयन लहसुन, कश्मीरी लौकी, राजमा और सेब सहित 20 प्रोडक्ट्स की खेती करते हैं। उनके इलाके में जो भी फसलें होती हैं, उनका अलग महत्व है। देशभर में वहां की फसलों की मांग है
सोशल मीडिया से शुरूआत हुई कश्मीरी प्रोडक्ट्स स्टोर
जासिफ ने डिजास्टर मैनेजमेंट और फिजिकल एजुकेशन में पढ़ाई की है। फिलहाल वो एक स्कूल टीचर हैं और साथ में खेती भी करते हैं। भास्कर से बात करते हुए जासिफ बताते हैं कि काफी लंबे समय से मैं खेती में कुछ नया करने की सोच रहा हूं और पिछले लॉकडाउन में मुझे ये तरीका मिल गया। तब मेरे खेतों के 1000 किलो के आसपास अखरोट नहीं बिक रहे थे। मेरे पिता हारकर कम दाम में प्रोडक्ट बेचने पर मजबूर हो गए। पिता के नुकसान को देखते हुए मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया।
जब हमारे कश्मीर के प्रोडक्ट्स लोगों को पसंद आने लगे तो मैंने सोचा क्यों न इसे एक ब्रांड में बदल दूं। मई 2021 में हमने ‘कश्मीरी प्रोडक्ट स्टोर’ नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की और अपने प्रोडक्ट का नाम कश्मीरी डायमंड रखा।
जासिफ एक पर्वतारोही भी हैं
वे बताते हैं,“हमारे खेत में अखरोट, बादाम, केसर, कश्मीरी राजमा,सेब, लौकी, सहित कई और फसलों की खेती होती है। खुद की खेती के अलावा हम कुछ अन्य फसलें आसपास के किसानों से भी खरीदते हैं। इन्हीं फसलों से अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार भी करते हैं। इन सभी प्रोडक्ट्स को कश्मीरी डायमंड के नाम से ऑनलाइन बेचते हैं। हमें देशभर से ऑर्डर मिलते हैं”
जासिफ के अनुसार उनको इस स्टार्टअप का फायदा उनके पर्वतारोही होने के कारण भी मिला। इसकी वजह से उनके कई राज्यों में दोस्त बन गए और जब उन्होंने मई 2021 में कश्मीरी Kashmiri Products Store की शुरुआत की तो उनके दोस्तों ने उनका पूरा साथ दिया। पहले कुछ ऑर्डर लेने में उनके दोस्तों ने मदद की थी।
मार्केट के डिमांड अनुसार कई होम मेड प्रोडक्ट्स तैयार करते हैं
मार्केट की डिमांड देखते हुए, उन्होंने अखरोट से तेल बनाने की शुरुआत कर दी। साथ ही वो ड्राई एपल और ड्राई कश्मीरी लौकी भी तैयार करने लगे। उनके खेतों में बादाम नहीं उगते हैं, इसलिए दूसरे किसानों से बादाम लेकर इसका तेल भी बनाने लगे। वे बताते हैं, “हम तेल को मैन्युअली तैयार करते हैं । इसके लिए अखरोट और बादाम से तेल निकालने की मशीन है, जो इलैक्ट्रिसिटी से नहीं, बल्कि पानी से चलती है।
इसके अलावा हमने अपने कश्मीरी स्टोर में कश्मीर के लोकप्रिय प्रोडक्ट्स को भी शामिल किया है। जिसमें देसी कश्मीरी केसर, कश्मीरी कहवा सहित हैंडीक्राफ्ट भी शामिल हैं। इनमें से कई प्रोडक्ट्स मेरे परिवार के लोग घर पर ही तैयार करते हैं। इससे हमें ज्यादा मुनाफा होता है। जैसे अखरोट की गिरी करीब 1250 रुपए किलो में बिकती है, जबकि इसके 100 ग्राम तेल की कीमत 300 रुपए है।
पूरा परिवार इस बिजनेस के लिए काम करता है
जासिफ के स्टार्टअप में उनका पूरा परिवार साथ देता है। उन्होंने कुछ कारीगरों को भी काम पर रखा है। वे कहते हैं कि हम अपने सभी प्रोडक्ट्स को 10 से 15% की मार्जिन के साथ बेचते हैं। फिलहाल बादाम तेल और सन ड्राई एपल की सबसे अधिक डिमांड है। जासिफ का ज्यादातर सोशल मीडिया से होता है। इसके अलावा वो अपने प्रोडक्ट्स कुछ स्टोर पर भी रखते हैं। जल्द ही उनके प्रोडक्ट्स फ्लिपकार्ट और अमेजन पर भी मिलेंगे।