अजय कुमार बने प्रयागराज के नए SSP….
45 लाख का पैकेज छोड़कर 2011 में बने थे IPS, इससे पहले हरदोई में थे तैनात..
अजय कुमार को प्रयागराज का नया वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) बनाया गया है। अभी तक वे हरदोई के एसएसपी थे। उन्होंने आईआईटी कानपुर से बीटेक की पढ़ाई की है। वह मूलत: बस्ती के रहने वाले हैं। उन्होंने दुबई में 45 लाख रुपये के पैकेज की नौकरी छोड़कर आईपीएस की नौकरी चुनी थी। उन्हें अच्छे बेहतर काम के लिए डीजीपी का डीजीपी प्रशंसा चिन्ह भी प्रदान किया जा चुका है। अभी तक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी प्रयागराज के एसएसपी पद का कार्य देख रहे थे।
खाड़ी देश में थे इंजीनियर, नौकरी छोड़कर बने IPS अफसर
अजय कुमार ने कानुपर आईआईटी से बीटेक करने के बाद खाड़ी देश में एक मल्टीनेशनल कंपनी में 45 लाख रुपये वार्षिक पैकेज पर नौकरी कर ली थी। कुछ साल नौकरी करने के बाद जब मन नहीं लगा तो नौकरी छोड़कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। प्रशासनिक सेवा में उनका यह पहला और आखिरी प्रयास था। सिविल सर्विसेज की तैयारी कर उन्होंने पहले और आखिरी प्रयास में 108वीं रैंक हासिल कर अपनी मेधा का लोहा मनवा दिया।
हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और संस्कृत विषय में है समान पकड़
खास बात यह है कि अजय कुमार केवल तकनीकी ज्ञान ही नहीं रखते। उन्होंने हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा पर समान रूप से कमांड हासिल किया है। अजय कुमार बस्ती जिले के देऊरा पुरा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता वंश बहादुर पांडेय ने बताया कि अजय कुमार पांडेय ने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की है।
स्कूल गोद लिया और बदल दी सूरत
अजय कुमार जब फिरोजाबाद के एसएसपी थे तो उन्होंने तत्कालीन डीएम रहीं नेहा शर्मा के आग्रह पर एक माध्यमिक विद्यालय को गोद लिया था। गोद लेने से पहले स्कूल की छत भी नहीं थी। आज इस विद्यालय को शहर के आदर्श विद्यालयों में गिना जाता है। इसके बाद अजय अबतक विभिन्न जिलों में रहते हुए 45 स्कूलों की सूरत बदलने का काम किया है।
10वीं में भी जिले के टॉपर रहे हैं अजय
छह भाईयों में 5वें नंबर अजय ने 10 साल की उम्र में स्कूल की शुरुआत की। दरअसल,बचपन में जब स्कूल गए तो पहले ही दिन शिक्षक की मार का डर उनके जेहन में घर कर गया। फिर 10 वर्ष तक स्कूल का मुंह न देखा। चौथी क्लास तक की पढ़ाई उनके ताऊजी ने उन्हे घर रहते ही कराई। 5वीं से स्कूल में जाने लगे। 6वीं, 7वीं व 8वीं कक्षा में लगातार स्कूल टाॅप किया। इसके बाद दसवीं में बस्ती जिला टाॅप कर दिया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी गिनती तेज तर्रार और इनोवेटिव आईपीएस अधिकारी के रूप में की जाती है।