हे बिन बुलाए अतिथि कोरोना! अब हमने पॉजिटिव रहना सीख लिया; ये बताओ कि जाओगे कब

लगभग दो साल हुए एक अनजान अतिथि कोरोना घर में घुस आया। लंबे अरसे से घर में जमे इस अतिथि ने खूब तबाही मचाई, लेकिन हमारे धैर्य से जीत नहीं पाया। हम बेचारे सहिष्णु भारतीय, अपने आतिथ्य की महान परम्पराओं के वाहक, इस अनजान अतिथि को भी भरपूर सम्मान देने से पीछे नहीं हटे।

आपने हमें ‘पॉजिटिव’ बनाया, और हमने पॉजिटिव ‘रहना’ सीख लिया। हमने अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी आपके सम्मान में। सो महान अतिथि, आप भी अपने अतिथि धर्म का पालन कीजिए, बिन बुलाए कहीं भी धमक जाने की अपनी आदत बदल डालिए और अच्छे अतिथि की तरह दो-चार दिन से ज्यादा कहीं डेरा मत डालिये। कहा सुना माफ कीजिए, और यथा शीघ्र पलायन कीजिए। इससे पहले कि हमें आपसे पूछना पड़े कि ‘अतिथि कब जाओगे?’ पिछले लगभग दो साल में कोरोना से जद्दोजहद को दर्शाते दैनिक …….के कार्टूनिस्ट ……..के 20 कार्टून…

इनकी भूख बढ़ने लगी, इन्हें अब हमारे रोजगार और अर्थव्यवस्था भी खानी थी। हमारी मेहमाननवाजी तब भी कमजोर नहीं पड़ी। यहां तक कि इनकी नजर हमारे सद्भाव पर भी पड़ी, कोशिश भी की, लेकिन उसको हजम करना इनके बस की बात नहीं थी, सो ये सफल नहीं हुए।

हम भारतीय अच्छे मेहमाननवाज की तरह सैनेटाइजर, मास्क, वैक्सीन, काढ़ा, मोमबत्ती, मोबाइल टॉर्च, पापड़, गोबर से कोरोना का सत्कार करते रहे। और ये अतिथि हमारे सेवाभाव से प्रसन्न भी हुए, इतने प्रसन्न कि डेरा ही जमा बैठे। अब तो इनकी डिमांड और बढ़ने लगी। अब ये केवल लॉकडाउन, डिस्टेंसिंग, क्वारैंटाइन से ही कहां मानने वाले थे।

हमारे सेवा भाव से गदगद हमारे (अ) सम्माननीय अतिथि ने अपने दूर दराज के रिश्तेदारों फ्लू, ओमिक्रॉन आदि को भी बुलवा लिया। एक अच्छे और संस्कारी भारतीय होने के नाते हमने इनको भी पूरा सम्मान दिया। इनके पहुंचने से पहले ही इनके लिए करोड़ों वैक्सीन से मेहमाननवाजी की पूरी तैयारी भी कर ली।

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