चुनावी नारों की दिलचस्प कहानी …. 20 साल में इस तरह बदलते गए दलों के नारे, कभी सत्ता की कुर्सी पर बैठा दिया तो कभी उतार दिया

यूपी में विधान सभा चुनाव की सरगर्मियां जोर-शोर पर चल रही हैं। हार-जीत के दावे और ख्याली पुलाव पकाए जा रहे हैं। सत्ता में काबिज होने के लिए हर पार्टी और उसके समर्थक नए-नए नारे ईजाद कर रहे हैं। भाजपा हो या फिर कांग्रेस, बसपा, सपा और रालोद चुनावी नारों से जनता को रिझाने का प्रयास कर रही है। हालांकि, आचार संहिता के चलते सभी रैलियां और सभाएं नहीं हो रही है, लेकिन कार्यकर्ता अपनी-अपनी पार्टियों के नारों को मतदाताओं तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

‘रामला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ नारे ने दिलाई थी भाजपा को सत्ता

1991 में राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद द्वारा दिया गए नारा ‘बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का’ से भाजपा सत्ता में आई। भाजपा ने कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया। कल्याण सिंह 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक सीएम रहे। कल्याण सिंह ने एक साल 165 दिन यूपी की सत्ता संभाली। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के बाद कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया, जो 4 दिसंबर 1993 तक यानी 363 दिनों रहा। भाजपा ने नारा ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ देना शुरू कर दिया।

हिंदूवादी नारे पर भारी पड़ा सपा-बसपा गठबंधन का नारा

1993 में चुनाव में मुलायम (सपा) और कांशीराम (बसपा) साथ आ गए और नारा दिया ‘मिले मुलायम-कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्रीराम’। दलित-पिछड़ों के समीकरण से मुलायम ने सत्ता हासिल की और सूबे के सीएम बन गए। वह 4 दिसंबर 1993 से 18 अक्टूबर 1995 यानी 137 दिन सीएम रहे। 1995 के गेस्ट हाउस कांड में मायावती पर हमला हुआ और सपा-बसपा के रिश्तों में दरार आ गई। मायावती ने मुलायम की सरकार गिरा दी। इसके बाद फिर से एक साल 154 दिन का राष्ट्रपति शासन लग गया। 24 साल बाद 2019 में मुलायम और मायावती ने मंच साझा किया।

ये हैं प्रचलित नारे

  • 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद बसपा ने सपा समर्थकों को गुंडा कहना शुरू कर दिया था। मायावती के नेतृत्व में बसपा ने ‘चढ़ गुंडन की छाती पर मुहर लगेगी हाथी पर’ का नारा दिया। यहीं नहीं बसपा ने भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ भी ‘चलेगा हाथी उड़ेगी धूल, ना रहेगा हाथ, ना रहेगा फूल’ का नारा दिया और मायावती 137 दिन मुख्यमंत्री रही।
  • 2007 में बसपा पूर्ण बहुमत से आई और मायावती 4 साल 360 दिन सूबे की सीएम रही। मायावती ने ‘बहुजन हिताय की जगह सर्वजन हिताय’ का नारा देकर ब्राह्मणों को साथ जोड़कर ‘पंडित शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ और ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्म विष्णु महेश है’ का नारा दिया।
  • 2007 में ही सपा ने बसपा के खिलाफ ‘गुंडे चढ़ गए हाथी पर गोली मारेंगे छाती पर’ का जवाबी नारा दिया।
  • 2007 के विस चुनाव में अमिताभ बच्चन ने सपा की ओर से प्रचार किया और ‘यूपी में है दम क्योंकि जुर्म यहां है कम’ का नारा दिया।
  • 2007 में सपा शासन में कानून व्यवस्था खराब थी। इस कारण कांग्रेस ने सपा पर पलटवार करते ‘यूपी में था दम लेकिन कहा पहुंच गए हम’ का नारा दिया।
  • 2012 के विधानसभा चुनाव में मुलायम ने अखिलेश यादव को चुनावी मैदान में उतारा। युवा चेहरे अखिलेश को लोगों ने पसंद किया। यूपी की जनता ने पूर्ण बहुमत से जिताकर सपा को मौका दिया और अखिलेश यादव को सीएम बनाया।
  • 2017 विधानसभा चुनाव में सपा के चुनावी नारे अखिलेश यादव के आसपास ही बुने गए। जिसमें ‘अखिलेश का जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है’ और ‘जीत की चाबी, डिंपल भाभी’ व ‘यूपी की मजबूरी है, अखिलेश यादव जरूरी है’ जैसे नारे दिए गए। लेकिन यूपी की सत्ता की जीत की चाबी अखिलेश भइया के हाथ से निकल गई। मोदी लहर में भाजपा की जीत हुई और योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया गया।
  • 2017 में कांग्रेस-सपा गठबंधन हुआ और ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ का नारा दिया गया।
  • 2017 में भाजपा ने ‘अबकी बार तीन सौ के पार’ का नारा देकर प्रचंड बहुमत हासिल किया और यूपी में सरकार बनाई।

2022 में चुनावी नारे

  • 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा ‘सोच ईमानदार, काम दमदार, फिर एक बार भाजपा सरकार’ और ‘सौ में साठ हमारा है, चालीस में बंटवारा है उसमें भी हमारा है’ जैसे नारा देकर जनता को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही है।
  • यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी ने महिलाओं को साधने के लिए नारा दिया ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’।
  • सपा ने ‘नई हवा है, नई सपा है बड़ों का हाथ, युवा का साथ’ और ‘यूपी का ये जनादेश, आ रहे हैं अखिलेश’ व ‘बाइस में बाइसाइकिल’ के साथ ही’ जनता सपा के साथ है, बाइस में बदलाव है’ और ‘पिछड़ों दलितों का इंकलाब होगा, बाइस में बदलाव होगा’ व ‘युवा बेरोजगारों का इंकलाब होगा, बाइस में बदलाव होगा’ जैसे नारे दिए है।
  • बसपा के संस्थापक कांशीराम के जमाने में बसपा ने ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ का नारा दिया था। इसे बदलकर ‘भाईचारा बढ़ाना है बसपा को लाना है’ और सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ नारा दिया है।

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