नोएडा को चाहिए VIP चेहरा …. 7 लाख मतदाताओं में 60% VIP कल्चर के, कहीं इस बार पंकज सिंह का गेम न खराब कर दें कांग्रेस की पंखुड़ी पाठक

नोएडा, दिल्ली के सबसे नजदीक 7 लाख से ज्यादा मतदाताओं की यह सीट रसूखदार तो है, लेकिन वीआईपी कल्चर भी यहा कम नहीं। नोएडा वासियों को यहां वीआईपी चेहरा ही चाहिए। जिसका फैसला सोसायटी और सेक्टर के मतदाता ही तय करेंगे। ऐसा इसलिए कि यहां 60 प्रतिशत मतदाता इन्हीं सोसायटी और सेक्टर के हैं। जिसे वीआईपी कल्चर ही पसंद है। यही वजह है कि यहां स्थानीय वर्सेस बाहरी हमेशा ही बना रहता है।

इस समय नोएडा से पंकज सिंह विधायक हैं। पंकज सिंह राजनाथ सिंह के बेटे हैं। सेफ और वीआईपी कल्चर के चलते ही 2017 विधानसभा चुनाव में पंकज सिंह यहां से लड़े थे। 2017 में पंकज सिंह ने 1,62,417 मत प्राप्त किए थे और विजयी घोषित हुए, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुनील चौधरी को 58,401 मत प्राप्त हुए थे। इस विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रविकांत को 27,365 वोट प्राप्त हुए थे और उन्हें तीसरे स्थान से ही संतुष्ट होना पड़ा था। 48.56 प्रतिशत वोट डाले गए थे। वीआईपी में डॉ. महेश शर्मा भी आते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा जनपद से सांसद हैं। इससे पहले वह विधायक भी रह चुके हैं।

वीआईपी कल्चर पर घेरते रहे विपक्षी

विपक्षी पार्टी हमेशा से इसके विरोध में रही है। कांग्रेस, बसपा और सपा तीनों ही पार्टी वीआईपी कल्चर को लेकर ही मौजूदा विधायक का घिराव करती रही। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यहां वीआईपी कल्चर इतना ज्यादा है कि 5 साल तक शहरवासी अपने ही वीआईपी विधायक से नहीं मिल पाए। कोरोना काल में शहरवासी उन्हें ढूंढते रहे, लेकिन वह बाहर तक नहीं निकले। स्थानीय और बाहरी वोटरों का यही माइंड सेट ही इस बार के चुनावों को दिलचस्प बना रहा है, क्योंकि इस बार कांग्रेस ने पंखुड़ी पाठक को मैदान में उतारा है।

वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ी, कॉलेज इलेक्शन से लेकर अब वह कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट हैं। वहीं 36 सालों तक कांग्रेस में और 16 साल तक कांग्रेस नोएडा महानगर अध्यक्ष रहे कृपाराम शर्मा को बसपा से उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस छोड़ी है।

अकेले प्रदेश में 70 प्रतिशत राजस्व जनरेट करता है नोएडा

सामरिक और आर्थिक दृष्टि से नोएडा प्रदेश का 70 प्रतिशत राजस्व जनरेट करता है। यहां भी डबल इंजन की सरकार ही देखने को मिलती है। मुख्यमंत्री की सीट पर काबिज पार्टी यही चाहती है कि नोएडा में उसी की पार्टी ही नंबर एक पर रहे। यह भी वीआईपी कल्चर का प्रभाव है कि नोएडा में प्रदेश के सबसे ज्यादा हाईटेक स्कूल, चिकित्सा और शायद ही किसी नेता, अभिनेता या इंडस्ट्री में मशहूर व्यक्ति कि यहां प्रॉपर्टी न हो। यहां के मतदातों का माइंड सेट भी वीआईपी कल्चर का ही है।

नोएडा में है नोटा का प्रचार

वादे पूरे नहीं होने पर यहां अब नोटा का प्रचार किया जा रहा है। 35 हजार बायर्स को मालिकाना हक नहीं मिला और 65 हजार को घर नहीं मिला। बायर्स का कहना है कि बीजेपी ने अपना वादा पूरा नहीं किया। ऐसे में यहां नो होम नो वोट और नो रजिस्ट्री नो वोट और नोटा का प्रचार किया जा रहा है। बता दें 2017 विधानसभा चुनाव में नोएडा विधानसभा सीट से 1,787 मतदाताओं ने नोटा दिया था। 2014 में उपचुनावों में 1,846 मतदातों ने नोटा दिया।

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