18 साल बाद योगी ऐसे सीएम जो विधानसभा चुनाव लड़ेंगे … आखिरी बार मुलायम सिंह चुनाव विधानसभा चुनाव लड़े थे, बाकी MLC होकर सीएम बनते रहे

योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। भाजपा की पहली लिस्ट के ऐलान के साथ यूपी चुनाव का 18 साल का एक रिकॉर्ड भी टूटा है। क्योंकि, आखिरी बार मुलायम सिंह यादव गुन्नौर सीट से विधानसभा चुनाव लड़कर यूपी के सीएम बने थे।

उन्होंने जनता के बीच अपनी लोकप्रियता साबित की थी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में विधान परिषद सदस्य यानी MLC बनकर सीएम बनने की परिपाटी पर ब्रेक लग रहा है। देखना होगा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती चुनाव लड़ते हैं या नहीं।

सीएम की अयोध्या से चुनाव लड़ने की थी कयास, ऐन मौके पर गोरखपुर की घोषणा

योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं, पार्टी जहां से कहेगी वहां से लड़ूंगा। अब वो अपने गढ़ में लोगों के बीच होंगे।
योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं, पार्टी जहां से कहेगी वहां से लड़ूंगा। अब वो अपने गढ़ में लोगों के बीच होंगे।

योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर हैंडल पर लिखा था कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं, पार्टी जहां से कहेगी वहां से लड़ूंगा। इसके बाद कयास लगाई जा रही थी। वह अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं। क्योंकि राममंदिर भाजपा का चुनावी एजेंडा रहा है। लेकिन पहली लिस्ट की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सीएम योगी गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे।

यहां आपको बता दें कि सीएम का स्टेटमेंट आने के बाद 3 जनवरी को भाजपा सांसद हरिनाथ सिंह यादव को योगी के ‘मथुरा से चुनाव लड़ने का सपना आया’ और उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी भी लिखी थी।

अजित कुमार ने मुलायम के लिए छोड़ी थी सुरक्षित सीट

जनता से चुनकर आए मुख्यमंत्रियों की कतार में मुलायम आखिरी चेहरा रहे। इससे पहले मायावती और राजनाथ सिंह भी जनता से चुनकर सीएम की कुर्सी तक पहुंचे।
जनता से चुनकर आए मुख्यमंत्रियों की कतार में मुलायम आखिरी चेहरा रहे। इससे पहले मायावती और राजनाथ सिंह भी जनता से चुनकर सीएम की कुर्सी तक पहुंचे।

साल 2003 में मुलायम सिंह यादव यूपी में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनें। तो उस वक्त वह मैनपुरी से सांसद थे। सत्ता संभालने के बाद मुलायम ने जिस सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया वह थी गुन्नौर। तब गुन्नौर के विधायक थे जदयू के अजित कुमार यादव राजू। राजू 2002 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से जीते थे। अजित कुमार ने मुलायम के लिए यह सीट छोड़ने का फैसला किया। एकतरफा लड़ाई में मुलायम रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी।

अखिलेश ने भी पार्टी पर छोड़ा, बोले थे कि पार्टी कहेगी तो लड़ लूंगा

 

2012 से 2017 तक यूपी के सीएम रहे। उन्होंने पूर्ण बहुमत की सरकार चलाई। उन्होंने एमएलए बनने के लिए कोई उपचुनाव भी नहीं लड़ा। वो एमएलसी थे। सीएम योगी के विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे कहा कि चुनाव लड़ने के बारे में जहां से हमारी पार्टी कहेगी वहां से लड़ेंगे। समाजवादी पार्टी जहां कह देगी, मैं चुनाव वहां से लड़ लूंगा। इसके बाद अखिलेश के मैनपुरी, कन्नौज और आजमगढ़ जैसी सुरक्षित सीट से मैदान में आने की कयास लगाई जाती रहीं।
मायावती का साफ रुख, नहीं लड़ेंगी विधानसभा चुनाव

2022 के चुनावों में विधायकी का चुनाव लड़ना तो दूर प्रचार और रैलियों को लेकर भी मायावती पर सवाल उठ रहे हैं। ‘बहन जी आने वाली हैं’ हेशटैग के साथ बसपा समर्थक ट्वीट तो कर रहे हैं, लेकिन मायावती विधायकी का चुनाव लड़ेंगी, इसपर सतीश मिश्रा ने स्पष्ट किया कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगी।

मायावती अपने जन्मदिन 15 जनवरी से पार्टी का प्रचार शुरू करेंगी। बता दें कि इससे पहले हरौड़ा विधानसभा सीट से साल 2002 में मायावती भी विधायक चुनी जा चुकी हैं। जिसके बाद वह सीएम की कुर्सी पर बैठी थीं।
गांधी परिवार में कभी किसी ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा

चुनाव लड़ने के सवालों पर प्रियंका ने कहा था, 'हो सकता है...आप ठहर के देखिए, जब निर्णय होगा तब आपको पता चल जाएगा'
चुनाव लड़ने के सवालों पर प्रियंका ने कहा था, ‘हो सकता है…आप ठहर के देखिए, जब निर्णय होगा तब आपको पता चल जाएगा’

प्रियंका, क्या आप चुनाव लड़ेंगी? यह सवाल प्रियंका गांधी से पूछा जा रहा है। लेकिन एक तथ्य ये भी है कि गांधी परिवार से आज तक किसी ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। प्रियंका हर लोकसभा चुनावों में अपने भाई राहुल गांधी और अपनी मां सोनिया गांधी के लिए अमेठी और रायबरेली का चुनाव प्रचार संभालती रही हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव की बागडोर उनके हाथ है। प्रियंका ने महिलाओं के लिए 2022 का घोषणापत्र जारी किया। पार्टी की 40% महिला प्रत्याशियों को लाने की घोषणा की। चुनाव लड़ने के सवालों पर प्रियंका ने कहा था, ‘हो सकता है…आप ठहर के देखिए, जब निर्णय होगा तब आपको पता चल जाएगा।’

इन रोचक तथ्यों को भी समझिए…

  • 1989 तक जो भी मुख्यमंत्री बना वो चुन कर आता था।
  • उसके बाद से विधान परिषद से आना शुरू हुआ।
  • मायावती ने इस परंपरा को स्थाई करने का श्रेय जाता है।
  • मायावती के बाद मुलायम सिंह भी विधान परिषद से MLC बनकर आए।
  • फिर मायावती, अखिलेश और योगी आदित्यनाथ तीनों MLC बन कर सीएम बने।
  • साल 2000 में राजनाथ सिंह बाराबंकी से उप चुनाव जीतकर आए और सीएम बने।

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