ऐसा गिरोह जो गोली चलाए बगैर उड़ा देता है करोड़ों ….

वाराणसी पुलिस की गिरफ्त में आए ठग 9 राज्यों में फैले; इनके निशाने पर सिर्फ कारोबारी…..

वाराणसी में रेशम फर्म के मैनेजर को जीएसटी में भारी राहत दिलाने का झांसा देकर दो ठग दिनदहाड़े दो करोड़ रुपए ऐंठ कर भाग निकले थे। वाराणसी कमिश्नरेट- पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और सर्विलांस की मदद से शुक्रवार 4 अप्रैल को इन्हें धर दबोचा। मुंबई और दिल्ली से इस अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना चार शातिर ठगों के पास से 1.87 करोड़ रुपए मिले थे।

देश के फाइव स्टार होटलों में ठहरने वाले और ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई किए हुए 25 से 40 साल की उम्र के बीच के इन ठगों की कहानी बेहद ही दिलचस्प है। अब तक इस गिरोह ने देश भर में दर्जनों लोगों को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है। आइए, आपको बताते हैं इस गिरोह की ठगी का तरीका और इनसे बचने का तरीका…

गिरफ्तार तरुण गौतम (बाएं) और रोहन खिंची (दाएं)।
गिरफ्तार तरुण गौतम (बाएं) और रोहन खिंची (दाएं)।

उत्तर से दक्षिण के राज्यों तक हैं जड़ें

पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि हमारी तफ्तीश में अब तक यह सामने आया कि गिरफ्त में आए ठगों के अंतरराज्यीय गिरोह की जड़ें उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक तक फैली हुई हैं। गिरोह का सरगना अजमेर का मूल निवासी और दिल्ली के द्वारिका क्षेत्र में रहने वाला सचिन शर्मा है।

उसने अपने गिरोह में 12 से 15 ऐसे लोगों को शामिल कर रखा है जो हिंदी के साथ ही फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं और दिखने में स्मार्ट नजर आते हैं। इस गिरोह के सदस्य अपना घर छोड़ कर ओबेराय और जेडब्ल्यू मैरिएट जैसे फाइव स्टार होटल में ही ठहरते हैं। कहीं भी आने-जाने के लिए गिरोह के सदस्य फ्लाइट्स का ही सहारा लेते हैं। बनारस में बीते 20 अप्रैल को दो करोड़ रुपए ठगने के बाद गिरोह के सदस्य उसी रात फ्लाइट से दिल्ली पहुंच गए थे।

वाराणसी कमिश्नरेट-पुलिस की कस्टडी में करोड़ों रुपए ठगने के आरोपी।
वाराणसी कमिश्नरेट-पुलिस की कस्टडी में करोड़ों रुपए ठगने के आरोपी।

नई उम्र के लड़कों के जरिए करते थे ठगी

सरगना सचिन शर्मा ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वह फाइनेंशियल एक्टिविटीज संचालित करने के नाम पर नई उम्र के लड़कों की भर्ती करता है। उन्हीं लड़कों के माध्यम से अलग-अलग शहरों में पता लगवाता है कि बाहर की किन बड़ी फर्मों का ऑफिस वहां है? या फिर, बड़े व्यापारी कौन हैं या कौन सी ऐसी फर्म है जो उस शहर में अपना पांव जमाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके बाद चिह्नित फर्म के सर्वेसर्वा से इनकम टैक्स और जीएसटी में बड़ी छूट दिलाने, बड़े अमाउंट का लोन पास कराने और कारोबार को आगे बढ़ाने में फाइनेंशियल हेल्प के नाम जैसे मसलों पर बातचीत शुरू की जाती है।

बातचीत के लिए गिरोह हमेशा ऐसी जगह को चुनता है जिससे सामने वाले को उसकी असलियत के बारे में थोड़ी सी भी शंका न हो सके। इसके लिए अच्छे रेस्टोरेंट और होटलों का ही सहारा लिया जाता है। बातचीत आगे बढ़ने लगती है तो उस शहर में ऑफिस का एक सेटअप तैयार किया जाता है और फिर टारगेट को वहीं बुलाया जाता है।

 

फोटो में ऊपर अश्वनी पांडेय और नीचे उसका जीजा अंकित शुक्ला है। इन्हीं दोनों के साथ 2 करोड़ रुपए की ठगी हुई थी।

गोयल-मित्तल, ओेबेराय जैसे टाइटल का सहारा

वाराणसी क्राइम ब्रांच के सर्विलांस प्रभारी अंजनी कुमार पांडेय ने बताया कि यह गिरोह जिस शहर में भी जाता है वहां अपना फर्जी नाम गोयल, मित्तल, ओबेराय और बिड़ला जैसे टाइटल के साथ बताता है। इसका मनोवैज्ञानिक फायदा गिरोह को यह होता है कि उसकी जिस भी कारोबारी से बात होती है वह आसानी से इन्हें बिजनेसमैन फैमिली से समझ लेता है। वाराणसी में भी रेशम फर्म के मैनेजर से 2 करोड़ रुपए ठगने के लिए ठग गिरोह के दो सदस्यों ने अपना फर्जी नाम अभिषेक गोयल और यश मित्तल बताया था। यही नाम बताकर दोनों ने पिशाचमोचन क्षेत्र में 30 हजार रुपए महीने पर ऑफिस भी लिया था।

दो करोड़ की ठगी के संबंध में चेतगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।
दो करोड़ की ठगी के संबंध में चेतगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।

बचत के साथ देते हैं मुनाफे का झांसा

सचिन शर्मा ने बताया कि ठगों के गिरोह को जिसे भी ठगना होता है उससे कभी अकाउंट वगैरह में पैसा नहीं जमा कराता है। कारण कि, अकाउंट में पैसा जमा कराने की बात सुनते ही ज्यादातर लोग समझ जाते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी हो सकती है। इसलिए, उन्हें छूट के साथ ही व्यक्तिगत मुनाफे का लालच देकर नगद लेकर सामने बुलाया जाता है।

वाराणसी में रेशम फर्म के मैनेजर अंकित शुक्ला और उसके साले अश्वनी पांडेय को भी जीएसटी में बड़ी राहत के साथ उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी लाभ दिलाने के लिए आश्वस्त किया गया था। ऑफिस ऐसा लिया गया था जिसमें दो तरफ से दरवाजे थे। एक तरफ के दरवाजे से अंकित और अश्वनी प्रवेश कर ऑफिस में आए और अंदर के कमरे में पैसे रखे। उसी कमरे के पिछले हिस्से के दरवाजे को खोल कर आसानी से गिरोह के सदस्य पैसा लेकर भाग निकले।

ए. सतीश गणेश, पुलिस कमिश्नर।
ए. सतीश गणेश, पुलिस कमिश्नर।

सतर्कता से ही बचाव है संभव

पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया कि बंद कमरे में दो पक्षों की आपसी सहमति से गुपचुप तरीके से होने वाले लेनदेन में धोखाधड़ी को रोकना आसान नहीं है। इसमें हमारी सतर्कता ही हमारा सबसे बड़ा बचाव है। यह गंभीरता से सोचने वाली बात है कि जीएसटी या इनकम टैक्स में यदि कोई छूट भी दिलाएगा तो लंबा अमाउंट अपने पास क्यों मंगवाएगा।

इसलिए ऐसे लोगों के झांसे में कतई न आएं। कोई इस तरह की बात करे तो उसकी सूचना सीधे पुलिस को दें। आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा का सबसे सशक्त हथियार है। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्य भी जल्द ही हमारी गिरफ्त में होंगे। इस गिरोह पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।

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