बिकरू-कांड के शहीदों के परिवार का दर्द …?

आश्रितों को 2 साल बाद भी नहीं मिली नौकरी, न शहीदों की प्रतिमा लगी, न रोड बना….

बिकरू कांड को आज दो साल पूरे हो जाएंगे। कानपुर के चौबेपुर के बिकरू कांड में दो और तीन जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे ने दबिश देने गए पुलिस कर्मियों को गोलियों से छलनी कर दिया था। हमले में आठ पुलिस कर्मी शहीद हुए थे। दो साल बीतने के बाद दैनिक भास्कर ने शहीदों के परिवार वालों से बात की तो सभी का दर्द छलक पड़ा। अभी तक सरकार ने शहीदों के परिवार से किए वादे पूरे नहीं किए हैं।

आश्रितों को नौकरी नहीं मिली, शहीदों की प्रतिमा लगवाने और उनके नाम पर रोड बनवाने का वादा भी आज तक अधूरा है।

आइए एक-एक कर पढ़ते हैं शहीद पुलिस कर्मियों की पत्नी दिव्या, नीतू और उर्मिला का दर्द…

न नौकरी मिली न शहीद पति की प्रतिमा लगी: दिव्या
गाजियाबाद के रहने वाले शहीद कांस्टेबल राहुल कुमार की पत्नी दिव्या भारती ने कहा कि शहीदों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। वह कहती हैं, “डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा की बेटी वैष्णवी मिश्रा को सीधे ओएसडी की नौकरी दे दी गई। गोरखपुर कांड में पुलिस की पिटाई से जान गंवाने वाले मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी को सीधे ओएसडी पद पर नौकरी दे दी गई। अब हम लोगों से क्यों लिखित परीक्षा, दौड़ कराई जा रही है”।

दिव्या पूछती हैं, “सरकार हमारी सुनवाई क्यों नहीं कर रही है। मैंने अपनी काबिलियत और फिजिकल के बल पर दरोगा की नौकरी हासिल की है। मुझे आश्रित कोटे का कोई लाभ नहीं मिला है। सरकार ने वादा किया था कि शहीद के नाम पर उनके इलाके में सड़क और प्रतिमा स्थल बनेगा, लेकिन आज तक वादा पूरा नहीं हो सका है”।

शहीद कांस्टेबल राहुल की पत्नी दिव्या।
शहीद कांस्टेबल राहुल की पत्नी दिव्या।

आश्रित कोटे का सरकार नहीं दे रही कोई लाभ: उर्मिला
बिकरू कांड में झांसी के दमेले चौक के कांस्टेबल सुल्तान भी शहीद हुए थे। उनकी पत्नी उर्मिला ने बताया कि दो साल पूरे होने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल सकी है। वह कहती हैं,”हम लोगों से फिजिकल और रिटेन पास करने के बाद नौकरी देने की बात कही जा रही है। अब इस उम्र में दौड़ना और शारीरिक मापदंड पूरा करने पर ही नौकरी मिलने की बात कही जा रही है। पति की शहादत के बाद मानसिक तनाव के चलते लिखित और शारीरिक परीक्षा पास कराना आसान नहीं है। पढ़ाई कई साल पहले छूट चुकी थी”।

शहीद कांस्टेबल सुल्तान की पत्नी उर्मिला।
शहीद कांस्टेबल सुल्तान की पत्नी उर्मिला।

सरकार शहादत की बेकद्री कर रही: नीतू
प्रतापगढ़ के बेलखरी उसरहा के दरोगा अनूप कुमार सिंह भी बिकरू कांड में शहीद हुए थे। इनकी पत्नी नीतू सिंह को भी दो साल बाद नौकरी नहीं मिल सकी है। उन्होंने बताया कि सरकार बिकरू कांड में शहीद हुए पुलिस कर्मियों के शहादत की बेकद्री कर रही है। इसी का नतीजा है कि दो साल बाद भी नौकरी नहीं मिल सकी है।

बिकरू कांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे उज्जैन से पकड़ा गया था।
बिकरू कांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे उज्जैन से पकड़ा गया था।

बिकरू कांड में आठ पुलिस कर्मी हुए थे शहीद
बिकरू कांड में सीओ देवेंद्र मिश्रा, शिवराजपुर एसओ महेश यादव, मंधना चौकी इंचार्ज अनूप कुमार सिंह, एसआई नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार, बबलू कुमार शहीद हो गए थे। शहीद डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा की बेटी वैष्णवी मिश्रा को पुलिस विभाग में ओएसडी के पद पर नौकरी दी गई है। शहीद बबलू कुमार के भाई उमेश को सिपाही के पद नौकरी मिली। जबकि शहीद सिपाही राहुल, सिपाही सुलतान और दरोगा अनूप सिंह की पत्नियों ने दरोगा के पद पर आवेदन किया था। सिर्फ राहुल की पत्नी दिव्या भारती को दरोगा भर्ती में परीक्षा और दौड़ पूरी करने के बाद नौकरी मिल गई है, लेकिन उनका कहना है कि आश्रित कोटे का उन्हें कोई लाभ नहीं मिला है।

बिकरू कांड के बाद प्रशासन ने विकास दुबे के घर को बुलडोजर से ढहा दिया था।

70 करोड़ की संपत्ति जब्त, 66 को जेल
बिकरू कांड में पुलिस ने ताबड़तोड़ छह अपराधियों पर कार्रवाई करते हुए विकास दुबे समेत छह को एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके साथ ही अब तक बिकरू कांड में 80 FIR दर्ज की गई है। 62 में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। विकास दुबे समेत अन्य आरोपियों की 70 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है। 66 आरोपियों को जेल भेजा गया है। 3 पर गैंगस्टर की कार्रवाई की जा चुकी है। 30 शस्त्र के लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं। पांच के खिलाफ NSA की कार्रवाई हो चुकी है।

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