पहचान वालों का चेहरा नहीं रहता याद …? सिगरेट पीने वाले सावधान …

ब्रैड पिट वाली बीमारी आपको भी हो सकती है; मुश्किल है इलाज…

अगर आप किसी का चेहरा न पहचान पाएं तो इसे क्या कहेंगे? ज्यादा सोचिए मत। हम सब कुछ बता रहे हैं। दरअसल, यह एक तरह की बीमारी है, जिसे फेस ब्लाइंडनेस या प्रोसोपेग्नोसिया कहते हैं। हाल ही में इन 2 सेलिब्रिटीज ने ‘फेस ब्लाइंडनेस’ के बारे में बताया है।

  • हॉलीवुड एक्टर ब्रैड पिट लोगों के चेहरे नहीं पहचान पाते हैं या यूं कह लीजिए कि याद नहीं रख पाते हैं। उन्होंने इस बात की जानकारी एक इंटरव्यू में दी है।
ब्रैड पिट कहते हैं कि लोग मुझे घमंडी समझते हैं, जबकि इस बीमारी से मुझे लोगों के चेहरे पहचानने में दिक्कत होती है।
ब्रैड पिट कहते हैं कि लोग मुझे घमंडी समझते हैं, जबकि इस बीमारी से मुझे लोगों के चेहरे पहचानने में दिक्कत होती है।
  • शाहिद कपूर के साथ फिल्म ‘इश्क विश्क’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली एक्टर शहनाज ट्रेजरीवाला को भी यह बीमारी है। इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर दी है।

बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें दूसरों का चेहरा याद नहीं रहता है या उन्हें किसी को पहचानने में दिक्कत होती है। तो क्या उन सभी को ये बीमारी है? ये बीमारी होती कैसे है? इसे ठीक करने का क्या तरीका है? चलिए समझते हैं-

सवाल- फेस ब्लाइंडनेस क्या होता है?
जवाब-
 अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के अनुसार, फेस ब्लाइंडनेस एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमें जब आप किसी नए इंसान से मिलते हैं तो चेहरे के बजाय उनके बाल या किसी स्पेशल चीज को याद रखने की कोशिश करते हैं।

सवाल- फेस ब्लाइंडनेस डिसऑर्डर किन लोगों को होने की संभावना ज्यादा होती है?
जवाब-
 न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. किशन राज के अनुसार…

  • ज्यादातर लोग 50 साल के बाद ब्रेन हेमरेज और स्ट्रोक जैसी बीमारी के शिकार होते हैं। जिसकी वजह से इस उम्र के लोगों को फेस ब्लाइंडनेस होने का खतरा होता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर, सिगरेट पीने वाले लोग, शुगर पेशेंट्स को भी फेस ब्लाइंडनेस डेवलप होने का खतरा ज्यादा होता है।
  • ट्यूमर पेशेंट को भी ये बीमारी हो सकती है।

अब नीचे लिखे ग्राफिक्स में पढ़िए कि अगर आपको फेस ब्लाइंडनेस की समस्या है तो आप इसे कैसे पहचान सकते हैं?

 

ये भी समझ लीजिए

फेस ब्लाइंडनेस दो तरह के होते हैं-

न्यूयॉर्क के लेनॉक्स हिल अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सलमान अजहर के अनुसार…

  1. डेवलप होने वाला फेस ब्लाइंडनेस
  2. बाद में होने वाला फेस ब्लाइंडनेस

डेवलप होने वाला फेस ब्लाइंडनेस- इसका मतलब है कि यह बीमारी बचपन से ही रहती है।

बाद में होने वाला फेस ब्लाइंडनेस- इसका मतलब है कि किसी व्यक्ति को बचपन से नहीं, बल्कि किसी भी उम्र में ब्रेन इंज्यूरी, स्ट्रोक या फिर अल्जाइमर की वजह से फेस ब्लाइंडनेस हो सकता है।

डॉ. अजहर के अनुसार, ब्रैड पिट को डेवलेप होने वाला फेस ब्लाइंडनेस हो सकता है। यानी उन्हें ये बीमारी बचपन से हो सकती है।

चलते-चलते बता दें कि

प्रोसोपेग्नोसिया ग्रीक शब्द है। इसमें प्रोसोपोन का मतलब है चेहरा, और एग्नोसिया का पहचान न पाना।

ये भी जान लें कि

दिमाग के फ्यूजीफॉर्म गाइरस (Fusiform Gyrus) हिस्से में किसी तरह की प्रॉब्लम, या फिर चोट लगने की वजह से प्रोसोपैग्नोसिया होने का चांस रहता है।

इसमें टेम्पोरल लोब (Temporal Lobe) का एक हिस्सा प्रभावित होता है। दिमाग के इस हिस्से का इस्तेमाल चेहरे को याद करने के लिए किया जाता है।

 

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