युवाओं की जगह प्लेसमेंट कंपनी को रोजगार ?

15 जिलों में 2.70 लाख को देनी थी नौकरी, दावा 11 हजार का, मिली सिर्फ 4 हजार को ..

सरकारें हर चुनावों में लाखों नौकरियों का वादा करती हैं, लेकिन चुनाव बाद सालों गुजर जाते हैं और युवा बेरोजगार ही रह जाते हैं। मप्र में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहां सरकार ने मई 2017 में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर सहित प्रदेश के 15 रोजगार दफ्तर पुणे की यशस्वी एकेडमी फॉर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी को सौंपे थे।

इसके लिए संचालनालय कौशल विकास और कंपनी में एमओयू हुआ था, जिसमें तय हुआ था कि कंपनी 10 साल में मप्र के 11.80 लाख युवाओं को नौकरी दिलाएगी। इसके लिए कंपनी को 19.50 करोड़ रु. पेमेंट होगा। लेकिन, हैरानी की बात है कि खुद कंपनी अब यह मान रही है कि उसने अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक सिर्फ 11680 लोगों को नौकरी दिलवाई। बाकी तीन साल उसे दफ्तर संवारने में लग गए।

जब कंपनी के इस दावे का सरकार ने थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन ए.ल-1 टेंडर की कंपनी आईसेट से कराया तो यह आंकड़ा घटकर 4421 पर आ गया। आईसेट ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। बड़ी बात यह है कि सरकार अब तक 4 करोड़ 17 लाख रु. का कंपनी को भुगतान कर चुकी है।

एमओयू की शर्त थी… – ऑफर लेटर, 3 महीने की सैलरी स्लिप देखने और उसको वेरिफाई के बाद ही कंपनी को भुगतान होना था, लेकिन किसी ने इसे नहीं माना

1 एमओयू में शामिल शर्तों में स्पष्ट लिखा है कि रोजगार कार्यालय जिस दिन से वर्किंग में होंगे, तभी से पेनाल्टी की व्यवस्था लागू हो जाएगी। तीन महीने तक युवा को कहां नौकरी दी, उसकी मॉनिटरिंग कराई जाएगी।

2 ऑफर लेटर और तीन महीने की सैलरी स्लिप देखने के बाद सरकार कंपनी को पेमेंट करेगी, लेकिन इसमें से एक भी शर्त कंपनी ने पूरी नहीं की। सिस्टम में सांठगांठ थी, इसलिए थर्ड पार्टी से कंपनी का ऑडिट करवाना पड़ा।

3 चार हजार रोजगार पर जब कंपनी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने तर्क दिया कि 15 रोजगार दफ्तरों में काम 1 अक्टूबर 2020 से शुरू हो पाया था। इन दो साल में 25 हजार को रोजगार देने का टारगेट था, लेकिन 11 हजार को ही दे पाए।

कंपनी का दावा… लॉकडाउन में लोग नौकरी के लिए आगे नहीं आए; डाटा वेरिफिकेशन फिर से हो

दफ्तर खराब थे और हैंडओवर होने में भी देर हो गई। 1 दिसम्बर 2019 से प्रोजेक्ट शुरू हुआ। कुछ ही महीने बाद लॉकडाउन लग गया। 10 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक 6 महीने में 8 हजार नौकरी रही। लॉकडाउन के समय आना-जाना संभव नहीं था। इसलिए नौकरी पाने वाले युवाओं से न तो सैलरी स्लिप ले पाए और न ही उन्होंने ऑफर लेटर की कॉपी जमा की। यही कारण है कि शुरुआत में 11680 को नौकरी दिला पाए। हमने संचालनालय कौशल विकास को पत्र लिखकर पुराने डाटा का नए सिरे से वेरिफिकेशन कराने की मांग की है।
– सिद्धार्थ श्रीवास्तव, प्रोजेक्ट हेड, एमपी यशस्वी एकेडमी

11680 को नौकरी दी, वेरिफिकेशन में कम हो गई

कंपनी ने अनुबंध की शर्ताें को पूरा नहीं किया। उसने 11680 को नौकरी दिलाने का रिकॉर्ड पेश किया है, लेकिन थर्ड पार्टी ऑडिट में यह आंकड़ा 4 हजार ही निकला।
– षण्मुख प्रिया मिश्रा, आयुक्त रोजगार, मप्र

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