अयोध्या केस LIVE: ‘श्रीराम अयोध्या के राजा थे और उनका जन्म वहां हुआ था’
नई दिल्ली: अयोध्या केस की सुनवाई के छठे दिन रामलला विराजमान के लिए वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने बहस की शुरुआत स्कंद पुराण के जिक्र से की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आज वो पहले ऐतिहासिक तथ्यों को रखेंगे, इसके बाद पुरातात्विक यानि ज़मीन की खुदाई में मिले सबूतों के ज़रिए उसे साबित करेंगे.
उन्होंने स्कंद पुराण का हवाला देते हुए बताया कि कैसे सरयू नदी में स्नान के बाद जन्मभूमि दर्शन की परंपरा है. जस्टिस भूषण ने वैद्यनाथन से पूछा- ये पुराण कब लिखा गया था? वैद्यनाथन ने बताया- महाभारत के वक्त वेद व्यास ने इसकी रचना की थी. वकील सीएस वैद्यनाथन ने सन् 1608-1611 के बीच अयोध्या की यात्रा करने वाले ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि फिंच ने “Early travels in India” नाम की पुस्तक लिखी जिसमें भारत आने वाले 7 टूरिस्ट के संस्मरण थे. इसके साथ ही सीएस वैद्यनाथन ने कई टूरिस्ट की पुस्तकों का हवाला देकर साबित करने की कोशिश की कि कैसे वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. जस्टिस बोबडे ने पूछा-इस जगह को कब बाबरी मस्जिद के तौर पर जाना जाता था. वैद्यनाथन का जवाब- 19वीं सदी में…इससे पहले कभी मस्जिद के तौर पर नहीं जाना गया…
वकील वैद्यनाथन ने कहा कि राम जन्मभूमि पर स्थित किला बाबर ने तोड़ा था या औरंगजेब ने तोड़ा था इसको लेकर दो अलग राय है लेकिन राम अयोध्या के राजा थे और उनका जन्म वहां हुआ था इस पर कोई भ्रम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- बाबरी मस्जिद का जिक्र कब आया?…वैद्यनाथन ने कहा- 19वीं सदी में, उससे पहले इसका कहीं जिक्र नहीं मिलता है. कोर्ट ने फिर पूछा- इस बात के क्या प्रमाण हैं कि बाबर ने मस्जिद बनाने का आदेश दिया था?
राम जन्मस्थान स्वयं में भगवान है
इससे पहले मंगलवार को रामलला विराजमान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राम जन्मस्थान स्वयं में भगवान है और भगवान का बंटवारा नहीं हो सकता. बिना बंटवारा साझा कब्जा कैसे हो सकता है. इसलिए जन्मस्थान पर हिन्दू मुस्लिम के साझा कब्जे की बात तो मानने लायक नहीं है. वकील ने कहा था कि राम जन्मस्थान पर हमेशा से हिन्दुओं की आस्था रही है और वे वहां पूजा अर्चना करते रहे हैं. रामलला की ओर से इस बारे में हाईकोर्ट में रखे गए सबूतों और फैसले के अंशों का हवाला दिया गया था. सुनवाई के दौरान रामलला पक्ष की ओर से जिरह के तरीके पर मुस्लिम पक्ष के राजीव धवन ने ऐतराज जाहिर किया था और कहा था कि वो सिर्फ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दे रहे हैं, दलीलों के समर्थन के कोई सबूत पेश नहीं कर रहे है.
धवन के टोकने पर नाराज चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम ये साफ कर देने चाहते हैं कि हमें कोई जल्दी नहीं है, मामले में सभी पक्षों को जिरह का पूरा मौका मिलेगा. वैद्यनाथन जिस तरह से अपना पक्ष रख रहे है, उन्हें रखने दे. आपको भी छूट रहेगी, आप जिस अंदाज में जिरह करना चाहें, अपनी बारी आने पर करें. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सप्ताह में 5 दिन ही होगी सुनवाई इस अवधि में कोई कटौती नहीं की जाएगी और रोजाना सुनवाई होगी.
‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि’
इससे पिछले गुरुवार को रामलला विराजमान की तरफ से जारी बहस में पेश दूसरे वकील के परासरन ने ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि’ संस्कृत श्लोक का हवाला देते हुए कहा था कि जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है. राम जन्मस्थान का मतलब एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है.
परासरन ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि पूरी अयोध्या ज्यूरिस्ट परसन है और हम जन्मभूमि की बात कह रहे हैं. जस्टिस बोबड़े ने पूछा था कि क्या इस समय रघुवंश डाइनेस्टी में कोई इस दुनिया में मौजूद है. परासरन ने कहा था कि मुझे नहीं पता. परासरन ने रामायण का उल्लेख करते हुए कहा था कि सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और रावण के अंत करने की बात कही, तब विष्णु ने कहा था कि इसके लिए उन्हें अवतार लेना होगा. इस बारे में जन्मभूमि का वर्णन किया गया है और इसका हिन्दू शास्त्र में महत्व है. जन्मस्थान कि महत्ता स्पष्ट है और हिन्दुओं से संबंधित कानून उसी शास्त्र पर आधारित हैं. मंदिर कि परिक्रमा के साथ पूरे परिसर कि परिक्रमा भगवान कि आराधना है. परासरन ने पुष्कर, मधुरई समेत तमाम स्थानों का उदाहरण दिया था.
जस्टिस अशोक भूषण ने रामलला के वकील से पूछा था कि क्या कोई जन्मस्थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है?.हम एक मूर्ति को एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्मस्थान पर कानून क्या है? रामलला के वकील के परासरन ने कहा था कि यह एक सवाल है जिसे तय करने की जरूरत है. जस्टिस बोबड़े ने उत्तराखंड HC के फैसले का ज़िक्र किया जिसमें नदी को जीवित व्यक्ति बताते हुए अधिकार दिया गया था.