अयोध्या मस्जिद निर्माण में 40% दान हिंदुओं का ..!
एक सड़क के कारण 3 साल से अटका था मस्जिद निर्माण का काम, नक्शा भी पास नहीं …
9 नवंबर 2019, सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर आखिरी फैसला सुनाया। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन दी गई। मस्जिद निर्माण के लिए सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश से चंदा आया। ट्रस्ट ने ये रकम गिनी तो हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की एक नई तस्वीर सामने आई। मस्जिद बनाने के लिए अब तक मिले कुल दान का 40% हिस्सा हिंदुओं ने दिया है।
लेकिन, फैसले के 3 साल बाद भी मस्जिद निर्माण का काम कहां अटका हुआ है? ये सवाल लेकर दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। उस हरी-भरी जमीन को देखा। अयोध्या मस्जिद के ट्रस्टी अरशद खान और सचिव अतहर हुसैन से बात की।
उन्होंने बताया, “15 दिन पहले पता चला कि हमें मिली जमीन एग्रीकल्चर यूज वाली है, उसमें कंस्ट्रक्शन नहीं कर सकते। हमने लैंड यूज चेंज करने और उस पर 7 मंजिला बिल्डिंग बनाने के लिए अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी को आवेदन दे दिया है।”
शुरुआत मस्जिद निर्माण में अब तक मिले दान से…
दान का सबसे ज्यादा हिस्सा हिंदुओं ने दिया
मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया, “अगस्त, 2020 में हमने मस्जिद निर्माण में सहयोग के लिए बैंक डिटेल जारी किए थे। अब तक हमारे पास 40 लाख रुपए का डोनेशन आ चुका है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा-80G के तहत दान देने वालों को टैक्स में छूट दी गई है। डोनेशन का करीब 30% हिस्सा कॉर्पोरेट से आया है, 30% मुस्लिम समुदाय से आया है बाकी 40% हिस्सा हिंदू समुदाय की तरफ से आया है।”
“मस्जिद बनाने के लिए पहला दान लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय के सदस्य रोहित श्रीवास्तव ने दिया था। दान की राशि 21 हजार रुपए थी। इसके साथ ही अवध यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आरके सिंह समेत तमाम हिंदू ने दान दिया है।
आगे हम अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों को पूरा प्लान समझाने का काम करने वाले हैं। 2 महीने पहले फर्रुखाबाद गए थे। सिविल सोसाइटी के लोगों से बात की। एक विजिट में हमें 10 लाख रुपए डोनेशन मिल गया। बस नक्शा पास होने की देरी है। फिर हमारा 20-25 जगहों पर जाने का प्लान है।”
अब, उस जमीन पर चलते हैं जहां मस्जिद बनेगी
जमीन पर पहले से बनी हुई है 50 साल पुरानी मजार
अयोध्या शहर से फैजाबाद होते हुए जब आप सुहावल चौराहे से थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो आपको धन्नीपुर गांव मिलेगा। मेन रोड से डेढ़ किमी अंदर जाने पर 5 एकड़ जमीन दिखाई देगी जो SC ने मस्जिद बनाने के लिए दी है। यहां एक मजार पहले से मौजूद है। आप ऊपर लगे वीडियो में देख सकते हैं।
मजार के पास सोहराब खान मिले। उन्होंने बताया, “ये मजार 50 साल से ज्यादा पुरानी है। पहले कच्ची हुआ करती थी। 40 साल पहले इसे पक्का बनाया गया है। ये हजरत शाहगदा शाह की मजार है। मस्जिद सहित तमाम भवनों का निर्माण इसी जमीन पर होगा लेकिन ये मजार नहीं हटाई जाएगी।”
फैसले के बाद सुन्नी बक्फ बोर्ड ने बना दिया था ट्रस्ट
मस्जिद ट्रस्ट के ट्रस्टी अरशद खान ने बताया, ” सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद हमने 5 एकड़ जमीन को दिल से स्वीकारा। मुस्लिम कम्युनिटी ने पूरे देश को ये संदेश देने की कोशिश की कि हमारे दिल में कोई मलाल नहीं है। फैसले के बाद सुन्नी बक्फ बोर्ड ने मस्जिद बनाने के लिए एक ट्रस्ट बनाया है। ट्रस्ट का नाम IICF यानी इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन है।”
फैसले के 10 महीने बाद जमीन की रजिस्ट्री इस ट्रस्ट के नाम पर हुई। अब ये ट्रस्ट ही जमीन पर एक बड़ी मस्जिद बनवाएगा, जिसमें 2 हजार से ज्यादा नमाजी एक साथ नमाज पढ़ सकेंगे।
मस्जिद के साथ ही यहां 3 इमारतें और बनाई जाएंगी जो हर धर्म के लोगों के लिए होंगी…
बिल्डिंग 1: मेदांता की तर्ज पर बनेगा हाई टेक हॉस्पिटल
मस्जिद ट्रस्ट जमीन पर मेदांता की तर्ज पर 300 बेड का एक मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल भी बनाएगा। इस हॉस्पिटल में इलाज पूरी तरह फ्री रहेगा।
बिल्डिंग 2: फ्री में खाना खिलाने वाला कम्युनिटी किचन
जमीन पर एक कम्युनिटी किचन भी बनाया जाएगा, जिसमें हर दिन 1000 से ज्यादा लोग खाना खा सकेंगे। ये सेवा भी पूरी तरह फ्री रहेगी।
बिल्डिंग 3: मुस्लिमों का योगदान समझाने वाला रिसर्च सेंटर
मस्जिद के बगल में ही एक रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा। इसमें ये पढ़ाया, सिखाया और बताया जाएगा कि राष्ट्र निर्माण में हिंदुस्तानी मुसलमान का कितना बड़ा योगदान है। इससे समाज में बढ़ रही नफरतें दूर होंगी।
3 साल से मस्जिद निर्माण क्यों रुका हुआ है? आइए इसकी वजहें जान लेते हैं…
- पहले एक सड़क की वजह से नहीं हो पा रहा था निर्माण दरअसल, अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट को जो जमीन मिली है वहां पर जाने के लिए दो एप्रोच रोड हैं। एक पूर्व की तरफ जोड़ती है और दूसरी पश्चिम की तरफ। ये दोनों रोड 4.10 मीटर चौड़ी हैं। जमीन पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बननी है। निर्माण के लिए बड़े-बड़े वाहनों को अंदर आना है, इसके लिए 12 मीटर चौड़ी रोड की जरुरत है। अतहर हुसैन ने बताया, “अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी से अभी नक्शा पास नहीं हुआ है। इस तरह के निर्माण के लिए 15 तरह की NOC यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। तमाम मसक्कत के बाद 14 तरह की NOC अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी ने उपलब्ध करा दीं। फायर डिपार्टमेंट की NOC हमें खुद मुहैया कराने के लिए कहा गया था। जब हमने फायर NOC लेने की प्रक्रिया शुरू की तो पता लगा कि सकरी सड़क की वजह से NOC नहीं मिल सकती।”
- अब 36 महीने बाद पता चला, जमीन पर बिल्डिंग ही नहीं बन सकती उन्होंने आगे कहा, “हम अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास सड़क चौड़ी करने का आवेदन लेकर गए। अधिकारियों ने 3 साल बाद हमें बताया कि नक्शा पास नहीं हो सकता। मस्जिद वाली जमीन खेती के लिए है कंस्ट्रक्शन के लिए नहीं। उन्होंने हमसे लैंड यूज चेंज करने के लिए आवेदन करने के लिए कहा। हमने 5 नवंबर, 2022 को आवेदन कर दिया है। उम्मीद है जल्द जमीन का नक्शा पास हो जाएगा। उसके अगले ही दिन निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।”
ADA सचिव ने कहा- महीने के अंत तक नक्शा पास हो जाएगा
अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी के सचिव सत्येंद्र सिंह ने बताया, “एग्रीकल्चर वाली लैंड पर 2 मंजिला इमारत बनवाई जा सकती है लेकिन मस्जिद ट्रस्ट को 7 मंजिला इमारत बनानी है। इसके लिए लैंड यूज चेंज करने की जरूरत थी। हमने 20 दिन पहले दस्तावजों सहित इससे जुड़ा आवेदन मांगा था। 5 नवंबर, 2022 को अरशद खान ने आवेदन कर दिया है। अब बोर्ड की बैठक होते ही आवेदन पास हो जाएगा। इसके बाद लैंड यूज चेंज हो जाएगा। मस्जिद ट्रस्ट आसानी से निर्माण कार्य शुरू कर पाएगा। फायर समेत सभी तरह की NOC क्लियर करा दी गई हैं।
गांवों में फ्री इलाज की सुविधा मुहैया कर रहा IIFC
अरशद ने बताया, “इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने डोनेशन के पैसे से एंबुलेंस सेवा भी शुरू की है। एंबुलेंस से आस-पास के गावों के मरीजों को जिला अस्पताल पहुंचाया जाता है। हमारा मेन फोकस हेल्थ केयर पर है। बीते दिनों केंसर पेशेंट की रिक्वायरमेंट आई तो ट्रस्ट ने उनके इलाज के लिए रकम मुहैया कराई। आगे भी इस तरह की सेवाएं चलती रहेंगी।”