भाजपा के गुजरात फार्मूले से सकते में अंचल के मंत्री और विधायक
गुजरात चुनाव की तपिश ग्वालियर अंचल में महसूस की जा रही है, क्योंकि गुजरात भाजपा की बड़ी प्रयोगशाला है। दो दिन पहले भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की घोषणा की है।
– गुजरात में 30 प्रतिशत नए चेहरे मैदान में उतारे, कई मंत्री व विधायकों के टिकट काटे
BJP Gujarat formula In MP: ग्वालियर । गुजरात चुनाव की तपिश ग्वालियर अंचल में महसूस की जा रही है, क्योंकि गुजरात भाजपा की बड़ी प्रयोगशाला है। दो दिन पहले भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की घोषणा की है। इसमें 30 प्रतिशत स्टेंडिंग विधायक व मंत्रियों के टिकट काट दिए हैं। 182 सीटों में से 160 पर भाजपा प्रत्याशी घोषित कर चुकी हैं, जबकि कई मंत्रियों सहित 38 विधायकों के टिकट काटे हैं। यदि मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी तय करने के लिए यह फार्मूला अपनाया जाता है, तो अंचल के कई मंत्रियों व स्टेंडिंग विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इस कारण अंचल से जुड़े मंत्री व विधायक
प्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में अंचल के छह मंत्रियों को चुनाव में उतारा था, इनमें से चार मंत्री हार गए थे। केवल गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा व खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया जीतकर विधानसभा पहुंच सकी थी। भाजपा की आंतरिक रिपोर्ट में वर्तमान में अंचल के कई मंत्रियों व विधायकों की स्थिति अच्छी नहीं हैं। इस कारण टिकट कटने की आशंका से कई मंत्री व विधायक अभी से चिंतित नजर आ रहे हैं। इनमें कुछ मंत्री व विधायक कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले भी हैं। गुजरात को भाजपा की बड़ी प्रयोगशाला माना जाता है। हर नए फार्मूले को राष्ट्रीयस्तर पर लागू करने के लिए भाजपा पहले उसका प्रयोग गुजरात में करती है। पिछले डेढ़ दशक से भाजपा में नए चेहरों व युवाओं को आगे लाने के लिए संगठन निरंतर कार्य कर रहा है। संगठन ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 30 प्रतिशत नए चेहरों को मैदान में उतारा है, जबकि कई दिग्गज मंत्रियों व विधायकों के टिकट नहीं दिए हैं। सबसे बड़ी बात यह रही है कि टिकटों की घोषणा के बाद बगावत का एक भी स्वर नहीं फूटा है। अगर इस फार्मूले से भाजपा गुजरात में एक बार सरकार बनाने में सफल होती है तो पार्टी अगले वर्ष मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को चुनाव में उतारने पर विचार कर सकती है।
मध्य प्रदेश में गुजरात से भिन्न परिस्थितियां हैं
प्रदेश में गुजरात से परिस्थितियां भिन्न हैं। गुजरात में केंद्रीय मंत्री अमित शाह का दबदबा है। उनके फैसले के सामने गुजरात का कोई नेता बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता है। वहीं ग्वालियर-चंबल अंचल में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व है। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए विधायक भी टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
कारगर हो सकता है गुजरात का फार्मूला़गिुजरात के फार्मूले पर मध्य प्रदेश में भी भाजपा अमल कर सकती है, क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में अंचल से सात में छह मंत्रियों को चुनाव में उतारा था। इनमें पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय लाल सिंह आर्य, रुस्तम सिंह व नारायण सिंह कुशवाह चुनाव हार गये थे। केवल दो ही मंत्री जीतकर विधानसभा में वापसी कर पाए थे।
सिंधिया के साथ भाजपा में आए मंत्री-विधायक चिंतित
सधिया के साथ भाजपा में आए मंत्री व विधायक ज्यादा चिंतित हैं, क्योंकि उनसे किए गए वादे भाजपा पूरे कर चुकी है। आगामी चुनाव में कोई शर्त टिकट आवंटन में आड़े नहीं आएगी, उन्हें संगठन का फैसला मानना होगा। फिलहाल इस संबंध में कोई भी नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।