ग्वालियर में 3 साल में 8 से 78 अस्पताल हुए आयुष्मान योजना में पंजीकृत और ढेरों शिकायत
ग्वालियर में 3 साल में 8 से 78 अस्पताल हुए आयुष्मान योजना में पंजीकृत और ढेरों शिकायत
गरीब मरीज के उपचार में सहायक बनी आयुष्मान योजना को अस्पताल संचालकों ने कमाई का जरिया बना लिया है। यही कारण है कि पिछले तीन साल में निजी अस्पतालों की संख्या 400 पार हो चुकी है।
ग्वालियर. । गरीब मरीज के उपचार में सहायक बनी आयुष्मान योजना को अस्पताल संचालकों ने कमाई का जरिया बना लिया है। यही कारण है कि पिछले तीन साल में निजी अस्पतालों की संख्या 400 पार हो चुकी है। 2020 में जहां 8 अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत उपचार देते थे उनकी संख्या अब 78 हो चुकी है। अस्पताल संचालक आयुष्मान के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। गड़बड़ी करने वालों में निजी से लेकर सरकारी अस्पताल भी शामिल हैं। ग्वालियर के दर्जन भर अस्पताल ऐसे हैं जिनके खिलाफ आयुष्मान योजना के तहत गड़बड़ी की गई। जिन्होंने आयुष्मान योजना के तहत शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया। जिनके खिलाफ सरकार ने जांच की और उनके द्वारा लिया गया अधिक भुगतान की रिकवरी के निर्देश भी दिए। इसमें जयारोग्य अस्पताल से लेकर कैंसर हास्पिटल, सिम्स, नवजीवन, बीआईएमआर व अपोलो जैसे बड़े अस्पताल शामिल हैं।
कोविड के बाद तेजी से खुले अस्पताल
कोरोना के दौरान 2020-21 में स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता को लेागों ने समझा। फरवरी 2021 में कोविड के चलते अस्पतालों में मरीज रखने की जगह नहीं थी। उस वक्त जहां कुछ अस्पतालों ने सेवाकार्य किया तो कुछ ने सेवा के साथ धन कमाने का अवसर भी बना लिया और मरीजों से अंधाधुंध कमाई की। यह देखकर अस्पतालों की संख्या में तेजी से बढ़ी। ग्वालियर जिले में जहां 2020 में दो सौ अस्पताल हुआ करते थे वह दो साल गुजरते गुजरते इनकी संख्या 400 सौ का अंक पार कर गया।
बिना साधन संसाधन के करा लिया आयुष्मान योजना में पंजीयन
2020 में आयुष्मान योजना के तहत महज 8 अस्पतालों को उपचार देने की इजाजत थी। लेकिन कोविड के साथ अस्पताल संचालकों को आयुष्मान योजना से उपचार देने की महत्वता समझ आई। इसके बाद आयुष्मान योजना का लाभ देने के लिए दलालों की मदद से अस्पताल संचालकों ने लाखों रुपये खर्च कर भोपाल से पंजीयन कराया। भोपाल में बैठे अफसरों ने भी बिना जांच पड़ताल के ऐसे अस्पतालों का आयुष्मान में पंजीयन कर दिया जिनके पास न तो पूरे बेड उपलब्ध थे और न हीं डाक्टर व स्टाफ की उपलब्धता नियमानुसार है।
इन अस्पतालों में पाई गड़बड़ी
बीआईएमआर, आरजेएन अपोलो स्पेक्ट्रा, सिम्स, कैंसर हास्पिटल, जयारोग्य, शासकीय कैंसर हास्पिटल, कैलाश हास्पिटल, नवजीवन, शांता नर्सिग होम, सीएचएस एप्पल मल्टी स्पेशयलिटी आदि अस्पतालों की शिकायतें पाई गई थीं। जिनकी जांच करने पर सामने आया है कि इन अस्पतालों ने मरीज के नाम पर अधिक पैसा निकाला है। भेापाल में बैठे अफसरों ने बताया कि इन अस्पतालों में मरीज को जनरल वार्ड में रखा और बिल आइसीयू को लगाया, इसी तरह से जिन मरीजों को दो दिन आइसीयू में रखना था उन्हें अधिक समय रखा गया, तो कुछ मरीज ऐसे भी आइसीयू में रखे गए जिन्हें आवश्यकता ही नहीं थी। इसी तरह से कुछ ऐसे भी मरीज हैं जिनका आपरेशन आदि का अधिक चार्ज किया गया। इस तरह के प्रदेश भर में करीब 104 अस्पताल है जिन्होंने करोड़ों की गड़बड़ी की है।