उज्जैन : आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी मरीजों से वसूली जा रही रकम, DM ने अस्पताल किया सील
मध्यप्रदेश के उज्जैन से आयुष्मान कार्ड के बावजूद मरीज से वसूली की शिकायत सामने आई है. जिसको संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर ने हॉस्पिटल का लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया गया है.साथ ही अस्पताल के संचालन संबंधी सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है. जानकारी के अनुसारी माधव नगर थाने के सामने मेवाड़ ऑर्थोपेडिक अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड संचालित हो रहा था. यहां पर गड़बड़ी की कई शिकायतें प्राप्त हो रही थीं.गत 15 नवंबर 2022 को अस्पताल मे सुमन नाम की महिला से अनाधिकृत रूप से 3,000 रुपये लिए गए.
जबकि मरीज आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज की पात्र थी.इस बात की शिकायत मिलने के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जांच सौंपी गई थी.कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि जांच के दौरान अस्पताल मे फायर का अस्थाई प्रमाण पत्र नहीं पाया गया.इसके अलावा बिल्डिंग का कंपलीशन सर्टिफिकेट भी उपलब्ध नहीं हुआ.इतना ही नहीं, अस्पताल में पानी के लिए वॉटर कूलर नहीं था. लिफ्ट का सर्टिफिकेट भी नहीं मिला.अस्पताल के पास गंदगी और प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा दी जाने वाली एनओसी भी नहीं है.
जांच में चौंकाने वाला खुलासा
अस्पताल में ओटी रजिस्टर पर सर्जन के सिग्नेचर नहीं थे. इलाज के लिए मरीजों से ली जाने वाली शुल्क सूची भी अस्पताल में कहीं अंकित दिखाई नहीं दी.इन लापरवाहियो के साथ ही अन्य 16 बिन्दुओं पर अनियमितता पाये जाने पर मेवाड़ ऑर्थोपेडिक अस्पताल को जारी लायसेंस व पंजीयन क्रमांक 302 को मप्र उपचर्या गृह तथा रूजोपचार सम्बन्धी स्थापनाएं अधिनियम 1973 तथा नियम 2021 के प्रावधानों के अन्तर्गत तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है.
यह है योजना और उसके लाभ
दरअसल, इस योजना का नाम ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-मुख्यमंत्री योजना’ है. इस योजना के अंतर्गत पात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाते हैं और फिर कार्डधारक अपना मुफ्त में इलाज करवा सकता है.जिन पात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनते हैं, वो सूचीबद्ध अस्पतालो मे अपना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज करवा सकता है. इसका पूरा खर्च सरकार उठाती है और कार्डधारको को कोई पैसा नहीं देना पड़ता है. पहले भी आयुष्मान कार्ड धारकों से वसूली के मामले सामने आ चुके है.उज्जैन में ही 56000 लोगों ने योजना का लाभ उठाया है.