ग्वालियर। ड्रग विभाग के नियमों का ताक पर रखकर शहर में मेडिकल स्टोर धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। हालात यह है कि दवा स्टोर पर न तो लायसेंस सामने लगा होता है और न हीं बोर्ड पर फार्मासिस्ट का नाम होता है। जबकि नियमानुसार दुकान के बोर्ड पर फामासिस्ट नाम से लेकर पंजीयन नंबर लिखा होना जरुरी है। दुकान पर भी फार्मासिस्ट ही दवा उपलब्ध करा सकता। लेकिन शहर के तमाम स्टोर पर फार्मासिस्ट मौजूद ही नहीं होते। नोन मेडिको व्यक्ति ही खुलेआम दवा बेच रहे है और ड्रग विभाग इन सब को अनदेखा कर रहा है। हालात यह है कि ड्रग इंस्पेक्टर इन मेडिकल स्टोर पर एक बार भी झांकने नहीं पहुंचे । इससे साफ है कि शहर में बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर सांठगांठ से संचालित हो रहे हैं।

यह हैं नियम-

-मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट की उपलब्धता अनिवार्य है।

– यदि फार्मासिस्ट स्टोर से कुछ समय के लिए उतरता है तो उक्त वक्त के लिए दवाओं का क्रय विक्रय बंद रखना अनिवार्य है।

-फार्मासिस्ट का लायसेंस और ड्रग विभाग में पंजीयन दोंनेा ही मेडिकल स्टोर पर चस्पा होना जरुरी है।

– मेडिकल स्टोर के बोर्ड पर फार्मासिस्ट का नाम और पंजीयन लिखा होना जरुरी है।

-मेडिकल स्टोर पर फ्रिज का होना आवश्यक है। 2 से 8 डिग्री के बीच में रखी जाने वाली दवाएं फ्रिज में रखना अनिवार्य है।

– बिना पर्चे के दवा नहीं दी जा सकती।

-टीबी आदि रोग की दवा देने पर मरीज की पूरी डिटेल रखना अनिवार्य है।

-नींद आदि की दवा बिना डाक्टर के परामर्श और पर्चे के दवा नहीं उपलब्ध करा सकते। इसकी पूरी जानकारी दर्ज करना जरुरी है।

यह नहीं हो रहा-

शहर के 80 फीसद मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट का नाम नहीं है। हालात यह हैं कि अधिकांश स्टोर पर फार्मासिस्ट ही उपलब्ध नहीं है और यह लोग पंजीयन नंबर भी दुकान पर सामने प्रदर्शित नहीं करते। कई दवा स्टोर पर फ्रिज तक उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में यह दवाएं बिना फ्रिज के खुली दुकान में रखते हैं। जबकि रैवीज व एंटीवायटिक व एंजेक्टेवल दवाएं फ्रिज में रखना अनिवार्य होता है। हालात यह है कि ड्रग इंस्पेक्टर शहर में संचालित मेडिकल स्टोर पर एक बार भी जांच करने नहीं पहुंचे। असल में ड्रग इंस्पेक्टर दवा के थोक बाजार के अलावा कहीं पर जांच करने की जहमत नहीं उठाते। खेरिज बिक्रेता नियमों का पालन करते भी है या नहीं इससे खुद ड्रग विभाग अंजान है।