ग्वालियर में गड़बड़ी छिपाने पोर्टल से डाक्टर व अस्पताल की जानकारी हटाई
Gwalior Health News: सरकारी पोर्टल से डाक्टर व निजी अस्पतालों की जानकारी को हटा दिया गया है। जिससे अब गड़बड़ी पकड़ में न आ सके और स्वास्थ्य विभाग काला पीला करता रहे। क्योंकि अभी तक अस्पताल व उनमें मौजूद सुविधाओं को डेटा रजिस्टरों में दर्ज किया जाता था।
ग्वालियर… सरकारी पोर्टल से डाक्टर व निजी अस्पतालों की जानकारी को हटा दिया गया है। जिससे अब गड़बड़ी पकड़ में न आ सके और स्वास्थ्य विभाग काला पीला करता रहे। क्योंकि अभी तक अस्पताल व उनमें मौजूद सुविधाओं को डेटा रजिस्टरों में दर्ज किया जाता था। इन सभी दस्तावेजों को आनलाइन किया गया। जिसमें सैंकड़ाें कर्मचारियों को सालों साल वक्त देना पड़ा। अब आनलाइन से डेटा गायब है तो फिर कोई जानकारी लेने के लिए फायलों को पलटना होगा। जिससे मेहनत व काम भी बढ़ गया और पारिदर्शिता भी छिप गई।
एमपी आनलाइन का डायरेक्टर आफ हेल्थ सर्विश के नाम से आनलाइन पोर्टल बना हुआ है। जिसमें स्वास्थ्य अधिकारी शहर के सभी निजी अस्पतालों की जानकारी अपलोड करके रखते थे। जिसका उद्देश्य था कि एक क्लिक पर जानकारी मिल सके। इस पोर्टल पर अस्पताल का नाम, दर सूची, डाक्टर, स्टाफ की मय नाम के जानकारी,रजिस्टर्ड मेडिकल प्रक्टिशनर और आनकाल डाक्टर की जानकारी, अस्पताल की बेड संख्या आदि के बारे में पूरी जानकारी होती थी।आनलाइन पोर्टल पर दर सूची व अस्पताल का नाम छोड़कर बाकी की पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है। आनलाइन पोर्टल पर नया अस्पताल जब सीएमएचओ कार्यालय में आवेदन करता था। तो उसे अपने दस्तावेज आनलाइन भी अपलोड करने होते थे। जिसका उद्देश्य था कि अस्पताल की सुविधाओं के बारे में नीचे से ऊपर तक के अफसरों को जानकारी हो। डाक्टरों की उपलब्धता की जानकारी हो, यह पता चल सके कि किस अस्पताल में डाक्टर कौन कौन हैं।
बेड की संख्या जितनी है उतनी हकीकत में भी उपलब्ध हैं या नहीं। उनके पास पोल्युशन, फायर, मेडिकल बेस्ट के निष्पादन आदि की क्या व्यवस्था है। गौरतलब है कि एक डाक्टर दस दस अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। डाक्टर स्थानीय व दूसरे शहरों के अस्पतालों में बिना पहुंचे ही सेवाएं दे रहे हैं। सरकारी डाक्टर निजी अस्तपाल में बने रजिस्टर्ड मेडिकल प्रक्टिश्नर। जितने शहर में डाक्टर नहीं उतने खुल गए निजी अस्पताल। आदि शीर्षक से नईदुनिया ने निजी अस्पताल व डाक्टरों की मिली भगत का खुलासा किया था। जिसको लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस गड़बड़ी को सुधारने की वजह उसे छिपाने का काम किया है। भोपाल में बैठे अफसरों ने आनलाइन पोर्टल से डाक्टर व निजी अस्पतालों की जानकारी को ही हटा दिया। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने हर विभाग में हो पारिदर्शिता,प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने काे चकनाचूर कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग मेें अधिकारी अब एक क्लिक के प्रदेश के सभी निजी अस्पतालों की जानकारी नहीं ले सकेंगे।