MP में तीसरी क्लास के 75% शब्द नहीं पढ़ पाते …! 79% बच्चे अक्षर तक नहीं पहचान पाते …
पहली बार स्कूल शिक्षा विभाग की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक; 79% बच्चे अक्षर तक नहीं पहचान पाते …
एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों के बेहतरी के दावे करती है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग की सर्वे रिपोर्ट ने इसकी पोल खोल दी है। सर्वे के मुताबिक प्रदेश के सरकारी स्कूल में तीसरी क्लास तक के बच्चों की स्थिति पढ़ाई में बहुत खराब है। पहली से तीसरी में पढ़ने वाले 25 लाख बच्चों में से करीब 79% बच्चे अक्षर तक नहीं पहचान सकते, तो 75% बच्चों को शब्द नहीं आते। 85% बच्चे वाक्य तक नहीं बना पाते। यह सर्वे इसलिए हैरान करने वाला है, क्योंकि इस बार के नेशनल सर्वे में मध्यप्रदेश देश के टॉप 5 में रहा।
पहली से तीसरी क्लास की स्थिति को देखते हुए अब स्कूल शिक्षा विभाग ने नया प्लान तैयार किया है। इसमें बच्चों को रेत पर बच्चों से लिखवाने से लेकर लोकल भाषाओं में किताबें तक बनाई जाने के प्रयोग किए जाएंगे। इसे लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा कि अब कठोर निर्णय लेने का समय आ गया है। हमें 2027 के लक्ष्य को पाने के लिए शिक्षा में कई बदलाव करना होगा। यह बच्चों के सीखने की क्षमता से लेकर शिक्षकों के पढ़ाने और अभिभावकों के रुचि लेने तक है।
गणित का सर्वे रिपोर्ट कार्ड
क्लास के अनुसार 86% बच्चे सही अंक पहचान लेते हैं। 2 अंक आते-आते 20% बच्चे बच जाते हैं। अगर 20 अंक एक मिनट में पहचानने को कहते हैं, तो यह 12% रह जाता है। दो अंकों की तुलना 76% बच्चे सही कर पाए। यानी यह बड़ा है और यह छोटा है। कोई आकृति पैटर्न हो, तो 68% बता पाए। एक मिनट में जोड़-घटाने में 33% बच्चे ही सही कर पाए।
1 मिनट में 35 बच्चे 23% ही पढ़ पाए
35 शब्द प्रति मिनट की स्पीड से पढ़ाई करना है। ग्लोबल का स्टैंडर्ड बना हुआ है। इससे कम बच्चे की पढ़ने की क्षमता नहीं होना चाहिए। मध्यप्रदेश में इस क्षमता वाले 16.60% बच्चे ही आ पाते हैं। कक्षा लेवल के अनुसार पढ़ाई करने वाले सिर्फ 7% बच्चे हैं। यानी सिर्फ 23% बच्चे ही लेवल पर हैं। प्रदेश में 75% बच्चे कक्षा से नीचे वाले लेवल पर हैं।
घर की भाषा में आसानी से समझ रहे
सर्वे में वजन और पैसों को लेकर सवाल किए गए, तो यह सबसे ज्यादा रहा। संचालक राज्य शिक्षा केंद्र धनराजू एस ने बताया कि सामने यह आया कि अगर बच्चों को उनकी लोकल भाषा में सिखाया जाए, तो जल्दी सीखते हैं। इसलिए अब हम लोकल भाषा या बोली पर ज्यादा जोर रहे हैं। प्राइमरी लेवल पर इसी तरह से किताबें और कहानी की किताबें होंगी।
एमपी में फाउंडेशनल में 25 लाख बच्चे
मध्य प्रदेश राज्य में फाउंडेशनल में 25 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं हैं। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग की पहल ‘मिशन अंकुर’ निपुन भारत मिशन (2021-) के तहत राज्य का एफएलएन मिशन है। यह कक्षा 1-3 में छात्रों के लिए सीखने के परिणामों को बढ़ाने के लिए है। इसके लिए एफएलएन बेसलाइन अध्ययन में 2 हजार 755 स्कूलों में 27 हजार 550 छात्रों को शामिल किया गया। राज्य के 52 जिलों के सभी प्रखंडों एक प्रतिनिधि रखने के लिए सभी जिलों से कक्षा 2 के छात्रों की जनसंख्या, छात्रों को शामिल किया गया। प्रत्येक ब्लॉक से 10 स्कूलों को लिया गया। ग्रामीण और शहरी के बीच 80-20% के अनुपात में उनके यूडीआईएसई कोड विभाजित किए गए।
यह किया गया
मौखिक और लिखित दोनों घटकों पर प्रत्येक छात्र का मूल्यांकन किया गया। मौखिक भाषा के विकास के शुरुआती सीखने के कौशल, प्रवाह को पढ़ना और लेखन का मूल्यांकन साक्षरता कौशल और संख्या बोध, आकार के लिए किया गया था। स्थानिक मान्यता, बुनियादी जोड़ और घटाव प्रश्न संख्यात्मक कौशल के लिए मूल्यांकन किया गया।औसतन मूल्यांकन का समय हर छात्र 25-30 मिनट था। जहां छात्र को पढ़ने की आवश्यकता थी और उत्तर देने के लिए चित्र दिखाए। ध्वनि और आकार आदि तरह से प्रयोग किए गए।
संख्या पहचान (सटीकता) पर स्कोर वितरण
टास्क से पता चला कि 86.03% छात्र सभी एक अंक वाली संख्याओं की पहचान सही ढंग से कर सकते हैं। हालांकि दो अंकों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई। केवल 20.27% छात्र दो अंकों वाली संख्याओं की सही पहचान कर सके। 16.68% छात्र किसी की पहचान नहीं कर सके। इसके अतिरिक्त, प्रवाह कार्य पर प्रदर्शन में गिरावट आई है। केवल 11.71% छात्र सभी नंबरों की पहचान करने में सक्षम हैं।