प्रदेश में बढ़ते कुपोषण के मामले …!
प्रदेश में बढ़ते कुपोषण के मामले:सबसे ज्यादा 8287 अति कुपोषित धार में, रिकवरी में अशाेकनगर फिसड्डी
- प्रदेश में कुल 29 हजार 765 बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं, इनमें से सिर्फ 8245 बच्चाें का ही वजन बढ़ सका
एक तरफ प्रदेश सरकार कई अभियान चलाकर बच्चाें काे पाेषण आहार देने का दावा कर रही है, लेकिन स्थिति इसके उलट है। जुलाई से सितंबर तक प्रदेश में कुल 29765 अति कुपाेषित बच्चाें काे चिह्नित किया गया। 8245 बच्चाें का ही वजन बढ़ सका। सबसे ज्यादा 8287 अति कुपाेषित बच्चे अकेले धार जिले में हैं।
बड़वानी में 1658 और छिंदवाड़ा में 1482 बच्चे अति कुपाेषित हैं। बाकी जिलाें में 200 से लेकर 800 तक अति कुपाेषित बच्चाें की संख्या है। हालांकि धार जिले के बच्चाें का रिकवरी रेट 42.9 फीसदी है। यानी 3 हजार 35 बच्चाें का वजन बढ़ गया है।
सबसे अच्छी स्थिति दतिया जिले की है। वहां रिकवरी रेट 105.9 प्रतिशत है। हालांकि वहां पर महज 236 बच्चाें काे ही अति कुपाेषित बताया गया, जबकि रिकवरी 250 बच्चाें की विभाग के पाेर्टल में दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति भी अशाेकनगर जिले की है।
यहां 462 बच्चाें में से 21.9 प्रतिशत यानी सिर्फ 101 बच्चाें का वजन बढ़ा है। ये 52वें नंबर पर है। दूसरे नंबर पर शिवपुरी जिला है। यहां महज 25.2 प्रतिशत बच्चाें का ही वजन बढ़ा है। श्याेपुर में 31.3 प्रतिशत बच्चाें का वजन बढ़ा है।
अस्पताल में 14 दिन भी भर्ती नहीं रख पा रहे
अशोक नगर- घर ले जाते हैं बच्चे
रिकवरी में फिसडडी रहने का एक बड़ा कारण सामने आया है। कुपोषित वार्ड में निर्धारित 14 दिन तक बच्चे रख ही नहीं पाते। शुक्रवार को वार्ड पहुंची भास्कर टीम को 17 पलंगों वाले वार्ड में सिर्फ 7 बच्चे मिले। जिम्मेदारों ने पूछने पर 9 बच्चों के भर्ती होने की बात कही।
भर्ती दो साल की रागिनी का वजन कराया तो 5.980 किलोग्राम निकला। हालांकि रागिनी की दादी फूलबाई ने बताया कि 5 दिन पहले भर्ती कराते समय वजन 3.50 किलो था। वार्ड प्रभारी की माने तो पालक पूरे 14 दिन तक वार्ड में बच्चों को रखते ही नहीं है।
दतिया : रिकवरी में अव्वल
यहां कार्यकर्ताओं की निगरानी में दवाएं दी जाती है। पहले 5 दिन एंटीबायोटिक देते हैं, जिससे अगर खांसी, जुकाम आदि से पीड़ित है तो वह ठीक हो जाती है। इसके बाद 14 दिन जिंक दिया जाता है, जिससे बच्चे की भूख खुल जाती है, वह अच्छे से खाना खाने लगता है।
3 महीने तक मल्टी विटामिन दी जाती है, जिससे इसका वजन बढ़ जाता है। यह सब कार्यकर्ता की निगरानी में होता है। समय-समय पर कुपोषित बच्चों की मॉनिटरिंग भी की जाती है। यही कारण है कि दतिया में रिकवरी रेट अच्छा रहा है।
विदिशा भी सबसे कम रिकवरी वाले जिलों में
अति कुपाेषित बच्चाें का वजन बढ़ने के मामले में प्रदेश के सबसे पिछड़े पांच जिलाें में झाबुआ जिला शामिल है। रिकवरी में इसका प्रदेश में 49वां नंबर है। यहां 746 बच्चे अतिकुपाेषित मिले, जिनमें से महज 245 यानी 32.8 प्रतिशत बच्चाें का वजन बढ़ा है।
वहीं आलीराजपुर में 366 में से 198 का वजन बढ़ा है। भाेपाल संभाग में विदिशा जिला सबसे कम रिकवरी वाले जिलाें में है। यहां 365 बच्चाें में से सिर्फ 141 का ही वजन बढ़ा है। रिकवरी रेट 38.6 प्रतिशत है। वहीं सागर संभाग में निवाड़ी जिला सबसे पिछड़ा है। यहां 164 में से 58 बच्चाें का वजन बढ़ा है। भिंड का रिकवरी रेट 33.2 प्रतिशत है।
हमने अभियान चलाकर बच्चाें काे चिह्नित किया
हमने अभियान चलाकर कम वजन वाले बच्चाें काे चिह्नित किया है। जाे आंगनवाड़ी में नहीं आए, उनके घर जाकर वजन चैक किया। इसलिए प्रदेश में सबसे ज्यादा कुपाेषित धार जिले में है। 3 हजार से ज्यादा बच्चे ठीक हाे गए।’
-सुभाष जैन, जिला परियाेजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग, धार