चिकित्सकों के स्थानांतरण की नहीं है कोई नीति, मुख्यालय छोड़ बड़े शहरों में रह रहे
मुख्यालय में नहीं रहने की वजह से ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक समय पर ओपीडी में नहीं पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की औचक जांच में भी यह सामने आ चुका है। कई चिकित्सकों का निलंबन किया गया है या फिर वेतनवृद्धि रोकी।
भोपाल स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में चिकित्सकों के स्थानांतरण की कोई नीति नहीं है। यही वजह है कि ज्यादातर चिकित्सक वर्षों से एक ही जगह पर पदस्थ हैं। निजी प्रैक्टिस के मोह में वह दूसरी जगह नहीं जाना चाहते। इसी वजह से अस्पताल में भी उनका ध्यान नहीं रहता।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) जैसे प्रशासनिक पद पर रहने वाले चिकित्सकों का स्थानांतरण पांच-पांच वर्ष तक नहीं किया जाता, जबकि दूसरे विभाग में प्रशासनिक पद पर रहने वालों के तीन साल में स्थानांतरण करने के नियम हैं। दूसरी बात यह कि कस्बों में पदस्थ चिकित्सक मुख्यालय छोड़कर जिला मुख्यालय में रहते हैं। मुख्यालय का क्षेत्र अस्पताल से आठ किलोमीटर के दायरे में माना जाता है।
मुख्यालय में नहीं रहने की वजह से ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक समय पर ओपीडी में नहीं पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की औचक जांच में भी यह सामने आ चुका है। कई चिकित्सकों का निलंबन किया गया है या फिर वेतनवृद्धि रोकी गई है।
तीन साल पहले स्वास्थ्य संचालनालय ने योजना बनाई थी कि चिकित्सकों की पदस्थापना शहरों को चार श्रेणी में बांटकर की जाएगी। नौकरी की शुरुआत में चिकित्सक को छोटे शहरों या दुर्गम क्षेत्र में आने वाले जिलों में पांच साल के लिए पदस्थ किया जाना था। इसके बाद क्रमश: बड़े शहर या जिलों में पदस्थापना का प्रस्ताव था, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया।