ग्वालियर : सिंध, नोन और पार्वती नदी से माफिया ने निकाली 50 हजार घनमीटर से अधिक रेत

2.84 करोड़ सरकारी खजाने में पहुंचाकर लगा दी 200 करोड़ की चपत …

टोकन पर चल रहा गोरखधंधा ….

ग्वालियर. नदियों से रेत का उत्खनन करने पर जुलाई से सितंबर तक प्रतिबंध रहता है। लेकिन इस दौरान भी माफिया ने सिंध, नोन और पार्वती नदी से 50 हजार घनमीटर से अधिक रेत निकाल ली है। इसलिए अब वैध खदानों में भी रेत नजर नहीं आ रही। हाल ही में हुए नए ठेके के बाद जब ठेकेदार को किनारों पर रेत नहीं मिलेगी तो नदी की तलहटी को ही खोदा जाएगा।

माइनिंग, पुलिस, प्रशासन, परिवहन और वाणिज्यकर विभाग के अधिकारियों की अनदेखी ने सरकारी खजाने को लगभग 200 करोड़ रुपए की चपत लगा दी है। सरकारी खजाने में सिर्फ 2 करोड़ 84 लाख रुपए ही पहुंचे हैं। खास बात यह है कि ज्यादातर अवैध रेत गांवों के किनारों से निकली नदी से ही निकाली जा रही है। अवैध उत्खनन के सभी स्थानों पर माफिया के लिंक वाहन तो पहुंच जाते हैं, लेकिन अधिकारियों के वाहन नहीं पहुंच पाते। दबाव बढ़ने पर कार्रवाई के नाम पर आठ से दस दिन में दो या तीन ट्रैक्टर और एक-दो डंपर पकड़कर एंटी माफिया अभियान की औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। पत्रिका टीम ने हकीकत जानने के लिए शहर और डबरा-पिछोर में पड़ताल की तो कई जगह रेत के डंप दिखे। रेत के दाम भी अनाप-शनाप मांगे जा रहे हैं।

डबरा: एक बोरी 120 की

डबरा में रेत की ट्रॉली लेने के लिए पहले से ही संपर्क करना पड़ता है। रेत ढोने का ज्यादातर काम एक समुदाय के लोग कर रहे हैं। कुछ पुलिस कर्मियों की भी मिलीभगत इस अवैध धंधे में बताई गई। एक जगह रेत के डंप पर पहुंचकर मांग की गई तो उन्होंने बताया कि बोरी में मिलेगी। एक बोरी 105 रुपए की भी है और 120 रुपए की भी है। अगर खुद की ट्रैक्टर-ट्रॉली है तो हम भरवा देंगे।

पिछोर: 15 हजार में ग्वालियर तक ट्रॉली

पिछोर में पहुंचने पर ट्रैक्टर चालक आसानी से ग्वालियर तक रेत पहुंचाने को राजी हो गया। पिछोर से डबरा तक पहुंचाने के बदले में 12 हजार रुपए प्रति ट्रॉली और ग्वालियर तक पहुंचाने के 15 हजार रुपए मांगे। एक अन्य ट्रैक्टर चालक ने कहा कि डबरा जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, अगर मुरार में रेत चाहिए तो सिंहपुर होकर भी ले जा सकते हैं।

नगर निगम सीमा : 18 हजार रुपए में एक ट्रॉली रेत

-घाटों से निकाली गई अवैध रेत शहर तक पहुंचाने का ठेका माफिया के लोग ले रहे हैं। 600 फीट रेत के बदले में 8 हजार और 1 हजार फीट के 13 हजार रुपए लेकर टोकन दिया जा रहा है। बाजार में 225 फीट रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली 12 हजार रुपए में मिल रही है। पत्रिका टीम ने कई जगह पड़ताल कर रेत तलाश की तो नगर निगम सीमा में 15 हजार रुपए से 18 हजार रुपए में एक ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाव बताया गया। जबकि डंपर की रेट 25 हजार रुपए बताई गई। पत्रिका टीम ने एक ट्रैक्टर चालक से पूछा कि इस समय नदी से तो रेत निकल नहीं रही, फिर कैसे लेकर आ रहे हो, भाव भी ज्यादा बता रहे हो, तो ट्रैक्टर चालक ने बताया कि रॉयल्टी पर तो आ नहीं रही, डंप और घाट की रेत है, सब जगह से निकालकर लानी पड़ती है, सबका हिसाब फिक्स है जरूरत हो तो लो, नहीं तो डबरा में तलाश लो।

रात में 9 थानों की सीमा से निकलते हैं रेत से भरे वाहन

वर्तमान में जिले की खदानों से रेत निकालने का वैध ठेका भिंड की कंपनी के पास है। पर्यावरण एनओसी न मिलने की वजह से कंपनी ने किसी भी घाट से रेत निकालना शुरू नहीं किया है। इसके बावजूद 45 किलोमीटर दूरी पर सिंध नदी के किनारे से लगातार रेत निकाला जा रहा है। माफिया ने नदी किनारे के लगभग हर गांव में जगह-जगह डंप लगाकर रखे हैं। हर दिन 3 से 4 लाख रुपए की रेत निकाली जा रही है। रात 12 से सुबह 4.30 बजे तक अवैध रेत के वाहन 9 थानों की सीमा से निकलते हैं। सात जगह डायल-100 वाहन खड़े होने के स्पॉट हैं। इसके बाद भी रेत से भरी ट्रॉली और ट्रैक्टर सुरक्षा के लिए खड़े होने वाले जवानों को नहीं दिखते। 20 फीट लंबे डंपर और हाइवा जैसे रेत से भरे वाहन भी अधिकारियों को नजर नहीं आते।

इन क्षेत्रों में हैं रेत के अवैध डंप ..
डबरा क्षेत्र के भैंसनारी, विजकपुर, चांदपुर, कैथौदा, बाबूपुर, सिली, लिधौरा, पुट्टी, बेरखेड़ा, लोहगढ़, मगरौरा, भितरवार के लुहारी, बसई, पलायछा, धोबट, सांसन, सांखनी, बड़ोखर, पवाया, सहित अन्य जगहों पर अवैध डंप लगाए गए हैं।

 

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