भिंड /मालनपुर : 300 उद्योगों में से हो गए 185 बंद …?

300 उद्योगों में से हो गए 185 बंद, 12 हजार लोग बेरोजगार

मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र का मामला, नए उद्योग बहुत कम हुए स्थापित

कुछ केवल सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने आए, कुछ को समझ नहीं आई नीतियां

मालनपुर. औद्योगिक क्षेत्र में कुल स्थापित इकाइयों में से 60 प्रतिशत से अधिक बंद हो चुकी हैं। बंद होने वाली इकाइयों के अनुपात में नए कारखाने नाम मात्र को आ रहे हैं। इस वजह से इन उद्योगों में प्रारंभ से काम करने वाले 10 से 12 हजार लोग बेरोजगार होकर किसी तरह मेहनत-मजदूरी कर पेट पाल रहे हैं। जबकि अब तो यह औद्योगिक क्षेत्र रेलवे लाइन और नेशनल हाइवे से भी जुड़ चुका है। इसके बावजूद नए उद्योग स्थापित नहीं हो रहे हैं।

मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र का विकास वर्ष 1984 में जिले के लोगों को रोजगार देने के लिए हुआ था। वर्ष 2000 तक यहां कुल स्थापित उद्योगों की संख्या 300 तक पहुंच गई थी। इनमें 30 से 32 हजार कर्मचारियों के प्रत्यक्ष एवं हजारों कर्मचारियों को परोक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ था। लेकिन वर्ष 2003 से यहां से औद्योगिक इकाइयों का पलायन शुरू हो गया। धीरे-धीरे 185 औद्योगिक इकाइयां बंद हो गईं और इन कारखानों में कार्य करने वाले 10-12 हजार लोग बेरोजगार हो गए।

कारखाना बंद होने से बेरोजगार होने वाले यशपाल सिंह, भानुप्रताप सिंह, कुलदीप सिंह कहते हैं कि एक बार कारखाना बंद हुआ तो दूसरी जगह काम नहीं मिलता। मेहनत-मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं। नए कारखाने आएं और स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दें तो कुछ हालात सुधर सकते हैं।

औद्योगिक इकाइयों के बंद होने का कारण लाभ भोगने की प्रवृत्ति। सरकार नए कारखाने को पांच साल तक अनुदान देती है। इसका लाभ लेने के बाद औद्योगिक इकाइयों के प्रबंधन यहां से पलायन कर जाते हैं। जमीन में उनका निवेश ज्यादा होता नहीं, मशीनरी वे ले जाते हैं।

महाप्रबंधक, आइआईडीसी, मालनपुर।

कई इकाइयां पारिवारिक विवादों में बंद हो गईं, कुछ सरकारी सेल्स टैक्स में छूटन देने की नीति के कारण बंद हुईं, फैक्टरी लाइसेंस रिन्यूअल फीस में वृद्धि भी इसका बड़ा कारण है। हर तीन साल में सरकार इसमें 30 प्रतिशत तक की वृद्धि कर रही है। उषा मैटल, जानवी स्टील सहित अनेक कारखाने इसी वजह से बंद हुए।

जीतेंद्र नागवानी, सचिव, उद्योग संघ, मालनपुर

लगभग 20 हजार अब भी कर रहे कार्य

भले ही 10 से 12 हजार लोग बेरोजगार हो गए इसके बावजूद अभी भी लगभग 18 से 20 हजार लोग बचे हुए हैं जो कि 115 कारखानों में काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें से कंपनी के पेरोल पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या सात से आठ हजार तक ही है। बाकी 10-12 हजार कर्मचारी अस्थाई तौर पर काम करते हैं। लेकिन अब पहले जैसी सुविधाएं, पारिश्रमिक एवं वर्क कल्चर नहीं बचा है।

फैक्ट फाइल

300 से ज्यादा उद्योग स्थापित हुए थे 16 साल में ।

185 के करीब कारखाने बंद हुए 20 साल में।

30-32 हजार लोगों को मिला था रोजगार।

10-12 हजार लोग बेरोजगार हुए थे।

115 के करीब औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं अभी।

संभावनाएं बहुत ज्यादा लेकिन फोकस नहीं

करीब डेढ़ हजार हेक्टेयर में विस्तारित मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों के लिए संभावनाएं बहुत हैं। अधोसंरचना विकास के मामले में भी पीछे नहीं है। पूरे क्षेत्र में ढाई हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट हैं। दो हजार स्ट्रीट लाइट चालू हालत में हैं। 20 किलोमीटर क्षेत्र में ड्रेनेज एवं 40 किमी. क्षेत्र में सडकों का जाल बिछा है। लेकिन इसके बावजूद यहां औद्योगिक इकाइयां बंद होती चली गईं। इसमें कंपनियों के आपसी विवाद भी एक बड़ा कारण रहे।

कुछ तकनीकी और व्यावहारिक तो कुछ स्वार्थ रहे कारण

औद्योगिक इकाइयों के बंद होने की अनेक वजह रहीं। एमपी आयरन की इकाई तो तकनीकी कारणों से बंद हुई। बिजली की जितनी आपूर्ति इकाई को मिल रही थी, उसमें औसतन चार से पांच घंटे ही कारखाने का संचालन हो पाता था। इसी प्रकार हॉटलाइन ग्रुप की तीन इकाइयां भी ऐसे ही कारणों से बंद हो गईं। कुछ इकाइयां सरकारी सुविधाओं को भोगने के बाद यहां से पलायन कर गईं।

कोई उद्योग शासन-प्रशासन की वजह से बंद नहीं होते, कहीं किसी को व्यावहारिक समस्या है तो हम हर प्रकार के सहयोग को तैयार हैं। सरकार भी उदार भाव से काम करती है। हम सहयोग के लिए हमेशा तत्पर हैं।

 एसडीएम, गोहद

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