झांसी के दीपनारायण यादव छात्रनेता से 2 बार विधायक बने, 58 मुकदमे भी दर्ज …
राजनीति में कद के साथ बढ़ता गया क्राइम रिकॉर्ड:झांसी के दीपनारायण यादव छात्रनेता से 2 बार विधायक बने, 58 मुकदमे भी दर्ज
झांसी के पूर्व सपा विधायक दीप नारायण सिंह यादव जेल में बंद हैं। पिछले करीब सवा माह में उनकी 367 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। आरोप है कि उन्होंने कुख्यात अपराधी लेखराज यादव को पुलिस कस्टडी से छुड़ाने की कोशिश की। बात दीप नारायण की करें, तो वो बुंदेलखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। अखिलेश यादव के करीबी भी हैं।
जैसे-जैसे राजनीति में उनका कद बढ़ता गया, वैसे ही उनके आपराधिक इतिहास के पन्ने भरते चले गए। आज हम उनके छात्रनेता से कद्दावर नेता बनने और लेटेस्ट दर्ज हुई एफआईआर के बारे में बताते हैं।
छात्र नेता रहते मुलायम यादव के संपर्क में आए
पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह यादव ने अपने सियासी सफर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। एनएसयूआई के टिकट पर उन्होंने 1987 में बीआईसी से छात्रसंघ चुनाव जीता था। इसके बाद वे एनएसयूआई से ही 1992 में बुंदेलखंड महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे। इसी दौरान मुलायम सिंह के संपर्क में आकर वे सपा में शामिल हो गए।
इसके बाद कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन बने। सपा जिलाध्यक्ष व प्रदेश सचिव, लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 2007 में वे पहली बार विधानसभा में पहुंचे और इसके बाद 2012 में भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे। आज वे समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता है। वे अपनी पत्नी मीरा यादव को मप्र के निवाड़ी विधानसभा से चुनाव जिताने में सफल हुए थे।
1986 में दर्ज हुआ था पहला मुकदमा
जब दीप नारायण छात्र राजनीति का तानाबाना बुन रहे थे, तभी 1986 में उनके ऊपर नवाबाद थाना में मारपीट का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद राजनीति में बढ़ते कद के साथ उनके आपराधिक मुकदमों का ग्राफ भी लगातार बढ़ता गया। 4 बार गिरोहबंद अधिनियम के तहत मामले दर्ज हुए तो 3 बार गैंगस्टर एक्ट के तहत भी उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। इसके अलावा जानलेवा हमला करना, मारपीट व धमकाने समेत कुल 58 मुकदमे हुए हुए। इसमें से 10 मुकदमे 30 जुलाई 2022 से अब तक के हैं।
10 में बरी, 8 में एफआर और 7 में बरी
दीप नारायण पर 36 साल में 58 मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन सजा एक भी बार नहीं हुई। वे 10 मुकदमों में बरी हो चुके हैं, जबकि 8 मुकदमों में एफआर लगाई जा चुकी है। वहीं, 7 मुकदमों में दोषमुक्त करार दिया जा चुका है। एक मुकदमे में उनकी नामजदगी गलत पाई गई थी। बाकी ज्यादातर मुकदमे विचाराधीन हैं, जबकि कुछ में पुलिस की पड़ताल जारी है।