ग्वालियर : नर्सिंग काॅलेजाें की संबद्धता और नामांकन की प्रक्रिया की जांच कर हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी

मप्र हाई कोर्ट में याचिका:नर्सिंग काॅलेजाें की संबद्धता और नामांकन की प्रक्रिया की जांच कर हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी
सीबीआई को 6 सप्ताह का समय दिया, मप्र के 200 कॉलेजों की जांच पहले हो चुकी

मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सीबीआई को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है। मामला छात्रों को एनरोल करने की मांग को लेकर दायर नर्सिंग कॉलेजों की याचिका से जुड़ा है। हाई कोर्ट ने सीबीआई को वर्ष 2011 से लेकर 2017 तक संबद्धता व नामांकन का काम करने वाली तीन संस्थाओं ( मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल और इंडियन नर्सिंग काउंसिल) द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया की जांच करने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही बाद के वर्षों में नर्सिंग काउंसिल द्वारा सूटेबिलिटी सर्टिफिकेट देने में अपनाई गई प्रक्रिया की भी जांच करने निर्देशित किया है। ये जांच प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की होगी, लेकिन 200 कॉलेजों को इससे बाहर रखा जाएगा। ये वह 200 कॉलेज हैं, जिनके संबंध में पूर्व में ही जांच हो चुकी है।

दरअसल, 35 नर्सिंग कॉलेजों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और छात्रों को एनरोल करने के लिए मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी को निर्देशित करने की गुहार लगाई। हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी और काउंसिल का रिकॉर्ड तलब किया।

नियमाें की अनदेखी की गई

रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद प्रथमदृष्टया कोर्ट को ये लगा कि नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता व संबद्धता देने के मामले में नियमों की अनदेखी की गई। कोर्ट ने 29 सितंबर को जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया था। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नर्सिंग कॉलेजों द्वारा एसएलपी दायर की गई।

इसमें कहा गया कि नर्सिंग काउंसिल द्वारा जांच कर उन्हें पूर्व में ही क्लीनचिट दी जा चुकी है। एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते अब उन कॉलेजों के संबंध में जांच के लिए कहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन नहीं आते।

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