बड़ाैदा/श्योपुर : अस्पताल में सुविधाओं की कमी …?

अंगुली में चोट हो या फिर हो बड़ा फ्रैक्चर, एक्सरे के लिए जाना होगा श्योपुर, सोनोग्राफी न होने से प्रसूता भी परेशान

नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है, जिस कारण उन्हें बिना इलाज कराए ही वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

सामुदायिक केंद्र में सर्जन, हड्डी रोग, चर्म रोग और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर न होने से मरीजों को निराश होना पड़ रहा है। बुधवार को सीएचसी में आए कई मरीजों ने अपनी परेशानी बयां की।

बता दें कि बत्तीशा क्षेत्र की करीब एक लाख से अधिक की आबादी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। इस 30 बिस्तरीय अस्पताल में न तो मरीजों को इमरजेंसी में सुविधा मिल पाती है और न ही सामान्य मरीजों का इलाज ठीक से हो पा रहा है। जबकि कई मरीज प्राइवेट डॉक्टरों के पास इलाज के लिए जा रहे हैं।यहां वर्तमान में सिर्फ दो ही डॉक्टर पदस्थ हैं जिसमें डॉ. एसआर मीणा पर बीएमओ का चार्ज भी है।

जिससे वह अधिकतर विभागीय कामों में ही उलझे रहते हैं। जबकि दूसरे डॉक्टर पर ओपीडी का प्रभार भी रहता है। स्वास्थ्य केंद्र पर महिला डॉक्टर पदस्थ नहीं हाेने से महिलाओं काे ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने से सिर्फ सामान्य प्रसव ही कराया जाता है।

प्रतिदिन चार से पांच प्रसव होता है। कठिन केस में मरीजों को जिला अस्पताल भेजना पड़ता है। प्रसव के लिए महिलाएं श्योपुर से लेकर कोटा और बारां तक जाना पड़ रहा है। जिससे महिलाओं की लगातार फजीहत हो रही है।

एक्स-रे के लिए जाना पड़ता है श्योपुर

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एक्स-रे नहीं होने से सबसे अधिक पुलिस विभाग परेशान है। मारपीट के मामलों में एमएलसी कराने के लिए पुलिसकर्मियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। घायल का एक्स-रे नहीं होने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों एवं थानों के पुलिसकर्मियों को श्योपुर आकर उनका इलाज कराना पड़ रहा है। जिसमें पुलिस का सबसे अधिक समय खर्च होता है। डॉक्टरों की कमी के कारण दो-तीन दिनों तक पुलिस को एमएलसी रिपोर्ट नहीं मिल पाती। जिससे कागजी कार्रवाई में भी पुलिस को सबसे अधिक परेशान होना पड़ता है।

झोलाछाप डॉक्टरों को मिल रहा है फायदा

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर ना होने का लाभ नगर के बगैर डिग्रीधारी झोलाछाप डॉक्टरों को मिल रहा है। वे भोले भाले गरीबों का इलाज कर उनसे मोटी रकम तो वसूल ही रहे है। साथ ही वे उनकी जान के साथ खिलवाड़ भी कर रहे है। झोलाछापों के गलत इलाज से कई बार मरीजों की जान जोखिम में डाली जा चुकी है लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सोनोग्राफी मशीन नहीं की सुविधा, मरीज हो रहे परेशान

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी सोनोग्राफी मशीन नहीं है। इसका बड़ा नुकसान गरीब व जरूरतमंद मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। औसत लगभग रोज 10 से अधिक मरीजों को सोनोग्राफी सुविधा नहीं मिलने के कारण अन्य जांच सेंटर पर या जिला मुख्यालय पर जाना पड़ रहा है। इधर लंबे समय से अस्पताल प्रशासन नई सोनोग्राफी मशीन की मांग कर रहा है, लेकिन सुविधा अब भी मरीजों से दूर ही है। मरीजों के लिए सामुदायिक केंद्र में कब यह सुविधा उपलब्ध हो सकेगी, इसका जवाब भी फिलहाल किसी के पास नहीं है।

जिला अस्पताल कर देते है रेफर

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर यहां काफी संख्या में सड़क दुर्घटना वाले मरीज आते हैं। फिर भी इस अस्पताल में न तो सर्जन हैं और न ही हड्डी रोग विशेषज्ञ। आकस्मिक सेवा पूरी तरह एक डॉक्टर के भरोसे है। आलम यह है कि ऐसे मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रैफर कर दिया जाता है।

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