“रात में बिस्तर बांधकर क्यों भागे? बागेश्वर धाम सरकार पर कांग्रेस नेता ने क्या कहा …
“रात में बिस्तर बांधकर क्यों भागे? चमत्कार का प्रमाण दें” बागेश्वर धाम सरकार पर कांग्रेस नेता ने क्या कहा
बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री का नाम अब इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि सियासी नेता भी बयानबाजी में कूद गए हैं।
बागेश्वर धाम सरकार को लेकर सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा चल रही है। नागपुर में बागेश्वर वाले बाबा को क्या चैलेंज मिला, रायपुर में बाबा ने क्या जवाब दिया, हर व्यक्ति इस बात में दिलचस्पी ले रहा है। जो बाबा का फॉलोअर है वो बाबा को चमत्कारी मानता है और जो बाबा को नहीं जानता वो इस वक्त बाबा को जानना चाहता है। बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री का नाम अब इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि सियासी नेता भी बयानबाजी में कूद गए हैं। मध्यप्रदेश में वरिष्ठ कांग्रेस नेता, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने बाबा से चमत्कार का प्रमाण मांगा है।
कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने कहा, “धीरेंद्र शास्त्री जी जवाब दें ये जो प्रथा का प्रचार आप कर रहे हैं उसको प्रमाणित करें। सनातन धर्म आस्था है, देश में हिंदू बड़ी संख्या में है। मैं पाखंड और ढोंग में कभी नहीं पड़ता। जब उनके (धीरेंद्र शास्त्री) ऊपर आरोप लगे तो वो अपना बिस्तर लेकर क्यों भागे? अगर सच्चाई है तो प्रमाण के आधार दें।”
“अपना बिस्तर लेकर क्यों भागे?”
मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “मैं तो पहले ही उनके बारे में अपने बयान व्यक्त कर चुका हूं। मैं पाखंड और ढोंग में नहीं पड़ता। सनातन धर्म आस्था की बिंदु है, इस देश में 80 से 90 प्रतिशत सनातन धर्म को मानने वाले लोग हैं। जब उनके ऊपर महाराष्ट्र में आरोप लगे तो बागेश्वर जी अपना बिस्तर रात में बांधकर क्यों भागे? मैं चाहूंगा कि अगर आपमें सच्चाई है तो प्रमाणिकता के आधार पर भागने का जवाब दें। और वास्तव में जो आपने तांत्रिक जैसी प्रथा का जो प्रचार कर रखा है, उसको प्रमाणित करें।
कौन हैं बागेश्वर धाम सरकार?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, बागेश्वर धाम सरकार के नाम से विख्यात एक कथा वाचक हैं। दावा है कि इनका जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। ऐसा परिवार जिसके लिए दो वक्त के खाने का ठिकाना नहीं था। 9 साल की उम्र में धीरेंद्र कृष्ण ने बालाजी की सेवा शुरू की थी, लेकिन दादागुरू के आशीर्वाद और बालाजी के दिव्य दरबार ने आज मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक छोटे से गांव से आने वाले कथा वाचक को इतना विख्यात कर दिया।