धन्यवाद इंदौर : डेढ़ हजार लोगों को बुलाया गया था,लेकिन पहुंच गए करीब चार हजार
धन्यवाद इंदौर के भंडारे में फैला रायता
Sarkari Darbari Column: धन्यवाद इंदौर कार्यक्रम में डेढ़ हजार लोगों को बुलाया गया था,लेकिन पहुंच गए करीब चार हजार। इससे फैल गई अव्यवस्था।
यह विधानसभा का चुनावी वर्ष है। सब जानते हैं चुनाव जीतने से पहले अपनी ही पार्टी में टिकट पाने की रेस जीतना जरूरी होता है। फिलहाल कांग्रेस में तो दावेदार कम हैं, लेकिन भाजपा में कुछ सीटों पर दौड़ने वालोें की न अनदेखी दौड़ चल रही है। इंदौर की राऊ विधानसभा सीट की ही बात करें तो यहां भाजपा से दो बड़े दावेदार बताए जा रहे हैं। इनमें पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती तो आइडीए के पूर्व अध्यक्ष मधु वर्मा शामिल हैं। जिराती को एक बार जीत और एक बार हार मिली है तो वर्मा भी पिछला चुनाव कांग्रेस के जीतू पटवारी से हारे हैं। यानी मौका जिराती को मिला तो तीसरी बार और वर्मा को मिला तो दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। दोनों की दावेदारी के बीच नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे भी संभावनाएं तलाश रहे हैं। पर अभी भोपाल दूर है, इसलिए सब अपनी-अपनी जमावट में लगे हैं।
सच ही तो है। जैसे बड़े सामूहिक विवाह आयोजनों के लिए बड़ी जगह का इंतजाम किया जाता है, उसी तरह सरकार भी बड़े आयोजनों के लिए बड़ा मंडप सजाती है। ऐसे बड़े आयोजनों के लिए इंदौर ही मंडप बनता आया है। इस साल प्रवासी भारतीय सम्मेलन फिर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इसके उदाहरण हैं ही। भारत-न्यूजीलैंड क्रिकेट मैच और फरवरी में जी-20 देशों के सम्मेलन की कुछ बैठकें भी इंदौर की झोली में आई हैं। कुछ मिलाकर इंदौर जैसा विशाल मंडप कई आयोजनों का साक्षी बनता जा रहा है। शासन में भी इस समय सब आयोजनधर्मी बने हुए हैं। इवेंट ही इवेंट… एक खत्म हुआ नहीं कि दूसरा तैयार। नेताओं के साथ अफसर भी उसी मोड में हैं। अफसरों ने भी देख लिया, जैसा गाना-वैसा बजाना। पर इन आयोजनों के कारण कुछ विभागों के मूल काम पीछे छूट गए हैं।
तुलसी नगर का पीछा करता दुर्भाग्य …
अवैध कालोनियों को वैध करने की कवायद एक बार फिर शुरू हुई है। इस सूची में तुलसी नगर भी लंबे समय से शामिल है। किंतु… विधायक महेंद्र हार्डिया सहित अन्य नेताओं के प्रयास के बावजूद दुर्भाग्य तुलसी नगर का पीछा नहीं छोड़ रहा है। हर बार उम्मीद जगती है कि इस बार तुलसी नगर वैध हो जाएगा, लेकिन होते-होते बात रह जाती है। अब तुलसी नगर के लोग नवनिर्वाचित महिला पार्षद के पति की कार्यप्रणाली को लेकर तंज कसने लगे हैं। कहते हैं- तुलसी नगर वैध-अवैध होता रहेगा। पार्षद और पार्षद पति भी चार साल बाद फिर दर्शन दे ही देंगे, लेकिन कोई तुलसी नगर की अंदर की सड़कों पर झाड़ू लगवा दे। फिर जवाब आता है, तुलसी नगर को वैध करवाना तो पार्षद पति के बूते की बात नहीं है, झाड़ू लगवाना तो उन्हीं के जिम्मे है। मगर पार्षद पति ताे अब बड़के नेता हो गए हैं, उन्हें कहां ढूंढ़े?