‘मामा’ की नागपुर दरबार में …!

‘मामा’ की नागपुर दरबार में हाजिरी से मंत्री परेशान
शिवराज के पास भागवत से मुलाकात का राज

 

राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारे में इस मुलाकात को किसी बड़े बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जाने लगा। ऐसा इसलिए…क्योंकि मध्यप्रदेश में कैबिनेट विस्तार और निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां पेंडिंग है। गुजरात फार्मूले के तहत सरकार में बदलाव की संभावना पर गुणा-भाग और परिणाम भी निकाले जाने लगे। यह भी इसलिए…क्योंकि शिवराज का नागपुर जाने का पहले से कोई प्लान नहीं था। लिहाजा मंत्रालय के अफसर भी बदलाव की सियासी खबरों पर भरोसा करने लगे।

शिवराज नागपुर से भोपाल नहीं आए, बल्कि रीवा चले गए, जहां उन्होंने एयरपोर्ट निर्माण का भूमिपूजन किया। उन्होंने भोपाल लौटने से पहले रीवा से ही सभी मंत्रियों को एक लाइन का संदेश भिजवाया कि 19 फरवरी (रविवार) को सुबह 9 से रात 9 बजे तक अनिवार्य रूप से भोपाल में रहें। फिर क्या था, कई मंत्री बड़े बदलाव की संभावना को लेकर दिल्ली तक संगठन में अपने संपर्कों से पता करने की कोशिश में लग गए। यह भी खबर फैली कि रीवा में शिवराज और सिंधिया की इस बारे में बात हो चुकी है। निश्चित ही कैबिनेट विस्तार होगा और कई मंत्रियों की छुट्‌टी हो जाएगी।

हालांकि संघ को करीब से जानने वाले कहते हैं कि ऐसी मुलाकातें राजनीति विषय को लेकर नहीं होती। ऐसे में कयास लगाए गए कि 3 मार्च को सांची में धर्म-धम्म सम्मेलन होने वाला है। जिसमें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का शामिल होना प्रस्तावित है। फिर यह भी कहा गया कि 19 फरवरी को मुख्यमंत्री के पौधारोपण अभियान के दो साल पूरे होने वाले हैं। जिसमें भागवत को आमंत्रित किया गया।

बहरहाल, संघ प्रमुख से शिवराज की मुलाकात अब भी एक राज है। क्योंकि उनके साथ गए एक अधिकारी को भी नहीं पता कि आखिर संघ मुख्यालय में शिवराज को क्यों बुलाया गया था और भागवत से मुलाकात के दौरान उनकी क्या बात हुई?

और… बाबा ने लौटा दिया चेक

अपने देश में राजनीति और धर्म का चोली-दामन का साथ है। वोटों के नफे-नुकसान के हिसाब नेता भी धार्मिक रंग में रंगे नजर आते है। मध्यप्रदेश में भी अब, जबकि चुनाव में करीब 8 महीने का ही समय बचा है। ऐसे में बाबाओं का क्रेज अचानक बढ़ गया है। नेता मानते हैं कि इन बाबाओं की कथाएं कराकर वोटर्स काे साधा जा सकता है। कई मंत्री-विधायक पंडित धीरेंद्र शास्त्री से लेकर पंडोखर सरकार, जया किशोरी और प्रदीप मिश्रा जैसे तेजी से उभरे कथावाचकों का आयोजन करा चुके हैं।

सुना है कि भोपाल के एक कांग्रेस नेता जो विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, उन्होंने अपने क्षेत्र में कथा कराने के लिए एक बाबा को तैयार कर लिया। इतना ही नहीं, उन्होंने बतौर फीस एडवांस चेक भी दे दिया। जब यह जानकारी क्षेत्रीय विधायक को लगी तो उन्होंने बाबा से सीधे संपर्क किया और कांग्रेसी नेता से लिया एडवांस वापस करने को कहा। लेकिन बाबा ने इससे इंकार कर दिया। पता चला है कि सरकार का रुतबा दिखाकर बाबा पर दबाव डाला गया तो बाबा ने इस शर्त पर चेक लौटा दिया कि अब कथा वे (विधायकजी) कराएंगे। एमपी गजब है- कथा कराओ, चुनाव जीतो!

खनिज ठेकेदारों की गोपनीय बैठक

बीजेपी के एक बड़े नेता ने खजुराहो में बुंदेलखंड के खनिज ठेकेदारों की बैठक ली। खास बात यह है कि जिस होटल में यह बैठक रखी गई थी। वहां सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को एक लिस्ट दी गई थी। लिस्ट में जिनके नाम थे, उन्हें ही अंदर जाने की अनुमति दी गई। इस दौरान स्थानीय नेता वहां पहुंच गए। लेकिन उन्हें अंदर जाने से राेक दिया गया। फिर क्या था, उन्होंने होटल में कार्यरत सूत्रों को सक्रिय किया और पूरी जानकारी निकाली कि कौन-कौन बैठक में है?

सुना है कि बैठक की जानकारी तत्काल ‘सरकार’ तक पहुंचाई गई। इसके बाद ‘सरकार’ की तरफ से बुंदेलखंड के अपने भरोसेमंद मंत्री को काम पर लगाया गया। जो अब उन खनिज ठेकेदारों से जानकारी ले रहे हैं कि बैठक में क्या हुआ?

पिता की धमकी ने बचाई विधायक बेटे की साख

प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में हाल ही में एक वीडियो ने जमकर सुर्खियां बटोरी। इसमें सत्ताधारी दल के विधायक और एक थानेदार के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। विधायक थाने में ही धरने पर बैठ गए। बावजूद इसके कोई एक्शन नहीं हुआ, क्योंकि टीआई की राजनीतिक पकड़ भी मजबूत थी। बाद में विधायक के पिता की धमकी से बेटे की साख बच सकी।

मामला प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र छतरपुर का है। हुआ यूं कि बीजेपी विधायक राजेश प्रजापति एक समर्थक को लेकर लवकुश नगर थाने में रिपोर्ट लिखवाने पहुंचे थे। लेकिन टीआई ने रिपोर्ट लिखने से इंकार कर दिया। वजह यह थी कि वे जिसकी रिपोर्ट लिखवाना चाह रहे थे, उसके साथ पंचायत चुनाव की रंजिश चल रही थी। लिहाजा टीआई ने झूठा मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया।

सुना है कि जब इस घटना को पार्टी के बड़े नेताओं ने तवज्जो नहीं दी तो विधायक के पिता (पूर्व मंत्री) आरडी प्रजापति ने मोर्चा संभाला। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर चेतावनी दे दी कि अगर उनके बेटे के साथ अभद्र व्यवहार करने वाले थानेदार को जेल नहीं भेजा तो वे भी धरना देंगे। बावजूद इसके प्रदेश नेतृत्व और सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

सुना है कि पूर्व मंत्री ने ‘सरकार’ को एक संदेश भिजवाया कि यदि टीआई को सजा नहीं मिली तो वे G-20 की खजुराहो में होने वाली बैठक के दौरान ही बेटे से विधायक पद से इस्तीफा दिला देंगे। फिर क्या था पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने थानेदार को लाइन हाजिर करने का आदेश थमा दिया। हालांकि सस्पेंड नहीं किया। बता दें कि विधायक ने पिछले साल तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह के बंगले पर भी रात को धरना दिया था। जिसमें उनका आरोप था कि वे उनसे मिलने गए थे और ऑफिस में होने के बाद भी उन्होंने मुलाकात नहीं की और बिना मिले ऑफिस से चले गए थे।

सीएम सचिवालय के अफसर का अमेरिका कनेक्शन

हाल ही में एक आईएएस अफसर की सीएम सचिवालय में पोस्टिंग हुई है। यह ओहदा मिलने पर प्रशासनिक बिरादरी को आश्चर्य हो रहा है कि इनकी ‘सेटिंग’ क्या है? क्योंकि साहब जिस विभाग में रहे, वरिष्ठ अफसरों से पटरी नहीं बैठी। ‘सरकार’ भी उन्हें ज्यादा पंसद नहीं करते हैं। फिर उन्हें अपने करीब क्यों लाए?

सुना है कि साहब का अमेरिका कनेक्शन है। वे जब कलेक्टर रहे, तब एक एनआरआई से उनकी दोस्ती हो गई थी। जो पिछले दिनों इंदौर अप्रवासी सम्मेलन में शामिल हुआ था। इस एनआरआई की संघ में एक बड़े पदाधिकारी से रिश्तेदारी है। दूर की कौड़ी फिट कर दी साहब ने….

और.. अंत में

प्राइम लोकेशन के 2 प्लॉट बेचने के लिए उतावले साहब

राजधानी के सबसे महंगे व्यावसायिक क्षेत्र एमपी नगर के दो सरकारी प्लॉट को बेचने में एक सीनियर आईएएस अफसर ज्यादा रुचि ले रहे हैं। वे इन प्लॉट को बेचने के लिए इतने उतावले हैं कि पिछले सप्ताह हुई कैबिनेट की बैठक में अधूरा प्रस्ताव ले गए। क्योंकि इन प्लॉटों को खरीदने के लिए सिर्फ 2 टेंडर आए थे। जबकि नियमानुसार कम से कम तीन टेंडर होना चाहिए। हालांकि कैबिनेट ने प्रस्ताव को डिफर कर दिया।

सुना है कि साहब इस कोशिश में लगे हैं कि किसी भी तरह दोनों प्लॉट बिक जाएं। उन्होंने दोनों प्लॉट का लैड यूज चेंज कर कमर्शियल भी करवा दिया है। एक प्लॉट (5 हजार वर्ग मीटर) का ऑफसेट मूल्य 63 करोड़ और दूसरे (5,130 वर्ग मीटर) का ऑफसेट मूल्य 73 करोड़ रखा गया है। बता दें कि साहब मंत्रालय में चौथी मंजिल पर बैठते हैं

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