छोटे बिजनेस के लिए फंडिंग जुटाने के 5 तरीके !
वेंचर कैपिटल ही नहीं सरकारी स्कीम्स से भी मिल सकता है फंड ….
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है…
अपने बिजनेस के लिए पैसों का इंतजाम करना छोटे बिजनेस ओनर्स के लिए सामान्य स्थितियों में भी हमेशा से मुश्किल रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद मंदी से उबर रही अर्थव्यवस्था के दौर में क्रेडिट या फंडिंग तक पहुंच एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
आज हम वर्तमान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सिनैरियो को ध्यान में रखते हुए, भारत में छोटे बिजनेस ओनर्स के लिए क्रेडिट या फंडिंग तक पहुंचने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
फंडिंग के प्रकार
बिजनेस फंडिंग डेट (debt) हो सकती है या इक्विटी (equity)। डेट फंडिंग में आपको ब्याज भरना पड़ता है और इक्विटी में आप किसी को अपना पार्टनर बना लेते हैं (शेयर्स देकर)। ये आपका डिसिजन होता है कि ज्यादा बेहतर, कब, क्या है।
कैसे जनेरेट करें बिजनेस के लिए फंडिंग
छोटे बिजनेस ओनर्स निम्न तरीकों से अपने बिजनेस के लिए धन प्राप्त कर सकते हैं-
1 सरकारी योजनाएं, कार्यक्रम और सरकारी बैंक (Government Schemes)
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY): भारत सरकार छोटे बिजनेस ओनर्स को फायनेंशियल हेल्प करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाती है। उनमें से सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) है। इस योजना के अंतर्गत सूक्ष्म और लघु व्यवसायों के लिए 10 लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त किया जा सकता है। इन ऋणों को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: शिशु (50,000 रु. तक), किशोर (50,000 से 5 लाख रु.), और तरुण (5 लाख से 10 लाख रु.)।
क्रेडिट गारंटी फंड योजना (CGMASE): पीएमएमवाई के अलावा, सरकार ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड योजना (CGMASE) और राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम सब्सिडी जैसी योजनाएं भी शुरू की हैं। छोटे व्यवसाय के मालिक विभिन्न सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से भी ऋण ले सकते हैं, जो रियायती दरों पर ऋण देते हैं।
अय्यर’स फिल्टर कॉफी, चेन्नई… ये प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से लोन लेकर सफल बिजनेस बनाने का एक उदाहरण है। चक्र इनोवेशन दिल्ली में एक स्टार्टअप है जिसने डीजल जेनरेटर से उत्सर्जन को कैप्चर करने और प्रयोग करने योग्य स्याही में बदलने के लिए तकनीक विकसित की है। कंपनी को प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) से फंड मिला, जो एक सरकारी एजेंसी है जो भारत में इनोवेशन और उद्यमिता को प्रमोट करती है।
2 वेंचर केपिटल (Venture Capital)
जब कोई सरकार साथ न दे, पर आपका बिजनेस आइडिया और कोई मॉडल जबरदस्त है, तो आप वेंचर फंड को अपना आइडिया सेल करें।
वेंचर कैपिटल फर्म उच्च विकास क्षमता वाले शुरुआती चरण के व्यवसायों को धन मुहैया कराती हैं। वे ऐसा इसलिए करती हैं क्योंकि दस, बीस, पचास या सौ गुना रिटर्न मिलने का उनको मोह रहता है।
ये यूनीक वैल्यू प्रोपोजिशन या उच्च विकास क्षमता वाले व्यवसायों के लिए अधिक उपयुक्त हैं। इस तरह से धन प्राप्त कर सफल होने वालों में फ्लिपकार्ट, ओला, बायजु’स, जोमेटो, पेटीएम, स्विगी, क्योरफिट इत्यादि हैं।
3 एंजल इंवेटर्स (Angel Investors)
एंजल इन्वेस्टर वे धनी व्यक्ति होते हैं जो प्रारंभिक चरण के व्यवसायों में अपना धन निवेश करते हैं।
एंजल निवेशक आमतौर पर वेंचर केपिटल फर्मों की तुलना में छोटी राशि का निवेश करते हैं और छोटे व्यवसाय के मालिकों को सलाह और सहायता देते हैं। एंजल निवेशक छोटे व्यवसाय के मालिकों के लिए फंड का एक बढ़िया सोर्स हैं। एंजल इन्वेस्टर आमतौर पर उन व्यवसायों में निवेश करते हैं जिनमें विकास की उच्च क्षमता होती है और जो निवेश पर अच्छा रिजल्ट प्रदान कर सकते हैं।
भारत के कुछ जाने-माने एंजेल इन्वेस्टर्स हैं – कुणाल बहल – स्नैपडील के सह-संस्थापक और CEO, सचिन बंसल – फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक, नंदन नीलेकणी – इंफोसिस के सह-संस्थापक, राजन आनंदन – गूगल इंडिया के प्रबंध निदेशक, अनुपम मित्तल – पीपुल ग्रुप (जो शादी डॉट कॉम, मकान डॉट कॉम और मौज मोबाइल सहित कई ऑनलाइन प्लेटफार्म संचालित करता है) के संस्थापक और CEO, आनंद महिंद्रा – महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आदि।
4) क्राउडफंडिंग (Crowdfunding)
यह भारत में एक अपेक्षाकृत नई अवधारणा है, लेकिन छोटे व्यवसायों के लिए धन जुटाने के तरीके के रूप में लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। क्राउडफंडिंग, आम तौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से, बड़ी संख्या में लोगों से छोटी मात्रा में धन की याचना करके धन जुटाने की एक विधि है।
छोटे व्यवसाय के मालिक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर एक अभियान बना सकते हैं और निवेशकों या दानदाताओं से योगदान मांग सकते हैं। क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म आमतौर पर अपनी सेवाओं के लिए एक छोटा सा शुल्क लेते हैं, और छोटे व्यवसाय के मालिकों को किसी एक को चुनने से पहले विभिन्न प्लेटफार्मों पर शोध करना चाहिए और उनकी तुलना करनी चाहिए।
उदाहरण के लिए केटो, फरलेंको – फर्नीचर रेंटिंग कंपनी, 1Crowd, अनवेंचरेड, एक्सप्लारा – टिकटिंग और इवेंट मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म आदि प्रमुख है।
5) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs)
पारंपरिक बैंकों के विपरीत, NBFC अपनी उधार नीतियों में अधिक लचीले होते हैं और तेजी से लोन पास करते है। हालांकि, वे पारंपरिक बैंकों की तुलना में उनकी ब्याज दर अधिक होती है और छोटे व्यवसाय के मालिकों को ऋण लेने से पहले नियमों और शर्तों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पारदर्शिता और निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए NBFC के लिए नियम पेश किए हैं।
सारांश
भारत में बिजनेस ओनर्स को अपने बिजनेस के लिए किसी भी वक्त फंड प्राप्त करने के लिए अपने अपने फायनेंशियल डिटेल्स जैसे बैलेंस शीट, लाभ और हानि विवरण, और नकदी प्रवाह विवरण आदि को अपडेट रखना चाहिए, अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना चाहिए, इन्वेस्टर्स के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहिए और फंडिंग लेने से पहले अपने विभिन्न विकल्पों अच्छे से टटोलना चाहिए।