माफिया पर योगी का शिकंजा : यूपी के लिए स्वागत योग्य कदम

जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपराधियों का दबदबा हो गया तो उन्हें गुंडागर्दी करने से कौन रोक सकता था। लेकिन पिछले 6 वर्षों में योगी आदित्यनाथ ने इस ट्रेंड को बदल दिया है।
Image Source : INDIA TVइंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

प्रयागराज में बुलेट से खूनी खेल खेलने वाले अपराधियों को पनाह देने वालों के घरों पर बाबा का बुलडोजर चल गया। प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने बुधवार और गुरुवार को अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद यूपी के माफिया डॉन अतीक अहमद के दो करीबी सफदर अली और खालिद जफर की संपत्तियों को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया।

प्रशासन ने बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 फरवरी को दिनदहाड़े हुए हत्या के बाद उठाए गए कदमों के तहत यह कार्रवाई की। यूपी पुलिस ने अतीक अहमद के बेटे की गिरफ्तारी के लिए 50 हजार रुपये के इनाम की घोषणा की है। अतीक का बेटा अपनी मां शाइस्ता परवीन के साथ अंडरग्राउंड हो गया है।

पुलिस का कहना है कि उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या में अतीक अहमद का बेटा और तीन अन्य लोग शामिल थे। पुलिस और  प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने कम से कम 20 ऐसे लोगों को चिन्हित किया है जो अतीक अहमद और उसके गैंग के करीबी बताए जाते हैं। इन लोगों की संपत्तियों पर भी बुलडोजर चलाने की तैयारी है। ये संपत्तियां  प्रयागराज शहर के चकिया, तेलियारगंज, धूमनगंज, सलेमसराय, हरवारा, जयंतीपुर, सादियापुर, मिंदेरा, झालवा और अटाला में हैं। उमेश पाल हत्या कांड के चार आरोपियों में से एक अरबाज को पुलिस ने 27 फरवरी को मुठभेड़ में मार गिराया।

बुधवार को प्रयागराज के चकिया इलाके में जफर अहमद के घर पर बुलडोजर चला। इस घऱ में अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन अपने दो बेटों के साथ रह रही थीं। जफर अहमद का यह मकान उसने किराए पर ले रखा था। पुलिस अधिकारियों का आरोप है कि इसी घर में उमेश पाल को मारने की साजिश रची गई थी और शाइस्ता परवीन हत्यारों से मिली थीं। करीब 200 वर्गमीटर में बने इस मकान की लगात ढाई से तीन करोड़ रुपये है। तोड़फोड़ से पहले तलाशी के दौरान पुलिस को इस मकान से दो राइफल और तलवारें मिलीं। यह मकान भीड़भाड़ वाले इलाके में था, इसलिए इसे गिराने में बहुत सावधानी बरती गई।

चकिया इलाके में ही अतीक अहमद का आलीशान घर था लेकिन पिछले साल अतीक के इस घर पर बाबा का बुलडोजर चल गया था। उसके बाद अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने जफर अहमद का घर किराए पर ले लिया था। जफर अहमद अतीक का करीबी है और वह बांदा में रहता है। जफर ने दो साल पहले यह घर खरीदा था। जिस दिन उमेश पाल की हत्या हुई उसी दिन शाइस्ता ने प्रेस कॉनफ्रेंस करके यह दावा किया कि इस हत्याकांड में उसकी कोई भूमिका नहीं हैं। लेकिन जैसे ही एफआईआर में शाइस्ता का नाम आया तो वह फरार हो गई।

शाइस्ता परवीन ने  कितनी जल्दबाजी में छोड़ा उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भागने से पहले अपने एजुकेशन के दस्तावेज, बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस भी साथ नहीं ले जा पाईं। ज़फर अहमद के वकील खान सौलत हनीफ ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताया। हनीफ के मुताबिक यह मकान बेनामी सम्पति नहीं है। यह ज़फर अहमद का मकान है। हनीफ ने कहा कि प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी ने जफर अहमद को बिना नोटिस दिए, बिना उसका पक्ष सुने घर पर बुलडोजर चला दिया।

प्रयागराज में अतीक अहमद के कुछ और साथियों के घर पर बुलडोजर चल सकते हैं। गुड्डू मुस्लिम, नफीज, अरमान, सदाकत और गुलाम के घर भी गिराए जा सकते हैं। जिस गाड़ी में उमेश पाल पर हमला करने वाले आरोपी आए थे वह गाड़ी रुखसाना नाम की महिला की है। ऐसे में उसका घर भी गिराया जा सकता है। अतीक अहमद का बेटा असद भी इस हमले में शामिल था। उसकी भी तलाश की जा रही है।

STF ने लखनऊ में यूनिवर्सल अपार्टमेंट में छापा मारा। यहां पर अतीक अहमद का बेटा असद रहता था। बताया जा रहा है कि 24 फरवरी (जिस दिन उमेश पाल की हत्या हुई) को असद और उसके साथी इस फ्लैट में आए थे। 24 फरवरी को ही उन्हें आखिरी बार देखा गया और उसके बाद से वो फरार है। यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने आरोपियों को पकड़ने के लिए अलग-अलग जगहों पर टीमें भेजी हैं। असद के फ्लैट को पुलिस ने सील कर दिया है और उसकी दो लग्जरी कारों को जब्त कर लिया है

बुधवार को यूपी विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश पर माफियाओं और गुंडों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। योगी ने कहा कि उनकी सरकार यूपी में ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ योजना लाई लेकिन अखिलेश यादव की सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन माफिया’ स्कीम चला रखा थी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजकल अखिलेश हर बात में जाति देखते हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि प्रयागराज में जिस राजू पाल की पहले हत्या हुई थी और जिस उमेश पाल का एक हफ्ते पहले मर्डर किया गया वो भी तो किसी जाति के ही थे।

योगी ने कहा कि इस हत्याकांड के एक आरोपी के साथ अखिलेश यादव की फोटो है और इस पर सफाई देने की बजाय अखिलेश बातों को घुमा रहे हैं। उस समय अखिलेश यादव सदन में नहीं थे। वे तमिलनाडु दौरे पर थे। लेकिन जैसे ही उन्हें खबर लगी कि योगी ने उनपर माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया है तो अखिलेश ने तुरंत जबाव दिया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- ‘ख़ुद पर लगे केसों में ख़ुद को ‘माफ़’ करने वालों को  ‘माफ़िया’ की बात नहीं करनी चाहिए।’

योगी आदित्यनाथ की बात सही है कि उत्तर प्रदेश में आज भी अपराधियों की जाति देखी जाती है। यहां वर्षों तक जाति के आधार पर माफिया को संरक्षण मिलता था। पहले जातियों का समर्थन हासिल करने के लिए राजनैतिक दलों ने माफिया का सहारा लिया। फिर जातियों के आधार पर ताकतवर बनने वाले बाहुबली-अपराधी खुद राजनीति में उतरे। चुनाव लड़कर विधायक और सांसद बने।

जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपराधियों का दबदबा हो गया तो उन्हें गुंडागर्दी करने से कौन रोक सकता था। लेकिन पिछले 6 वर्षों में योगी आदित्यनाथ ने इस ट्रेंड को बदल दिया है। उनकी जीरो टॉलरेंस की नीतियों से पुलिस को हिम्मत और ताकत मिली। पहले पुलिस अपराधियों से डरती थी। लेकिन अब अपराधी यूपी पुलिस से थर-थर कांपते हैं।

बुधवार को साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी सुरक्षा की मांग की है। याचिका में यह कहा गया कि अतीक और उनके परिवार के सदस्यों की जान को वास्तविक और प्रत्यक्ष खतरा है। अपनी याचिका में अतीक ने आरोप लगाया कि उसके दो नाबालिग बेटों को पुलिस ने ‘अवैध रूप से हिरासत’ में ले लिया है और अज्ञात जगह पर रखा है।अतीक ने खुद को गुजरात की साबरमती जेल से यूपी में शिफ्ट करने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता (अतीक अहमद) वास्तव में इस बात को लेकर आशंकित है कि उसे उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किसी न किसी बहाने फर्जी मुठभेड़ में मार दिया जा सकता है।

अगर सारे राजनीतिक दल माफिया के दुश्मन हो जाएं, गुंडों को टिकट और संरक्षण देना बंद कर दें, अपनी पार्टियों से आपराधिक तत्वों को निकाल बाहर करें तब ना तो गाड़ी पलटने की जरूरत पड़ेगी और ना बुलडोजर चलाने की। यह भी सच है कि अगर माफियाओं के बीच डर पैदा करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं किया गया होता, तो कानून और  व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता था।

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