महाकाल के भक्तों को भारी पड़ रही प्रोटोकाल व्यवस्था …?
इंदौर उज्जैन स्थित प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल के मंदिर में भक्तों की अपार आस्था है। किंतु इन दिनों उन्हें यहां भक्ति भारी पड़ रही है। दरअसल, मंदिर का प्रबंधन जिला प्रशासन संभालता है और अधिकारी मंदिर को लेकर नित-नए प्रयोग करते रहते हैं। इससे भक्तों में नाराजगी है। अब मंदिर प्रशासन ने प्रोटोकाल दर्शन के लिए 250 रुपये शुल्क लगा दिया है। इससे आमजन परेशान हैं। भक्तों को महाकाल लोक से प्रवेश के बाद घंटों इस हाल से उस हाल में टहलाया जा रहा है, फिर भी दर्शन मुश्किल से हो रहे हैं। नई व्यवस्था आम भक्तों के लिए असुविधा को जन्म दे रही है। लोगों का कहना है कि एक तरफ राज्य सरकार देशभर के तीर्थों के निश्शुल्क दर्शन करवा रही है, दूसरी तरफ महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए मनमानी फीस वसूली जा रही है।
जब ताई ने रखा “मित्र” के प्रोटोकाल का ध्यान!
बीते दिनों बृहन्महाराष्ट्र मंडल का 70वां अधिवेशन इंदौर में हुआ। मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस थे। आयोजकों ने भाषण के प्रोटोकाल का भले ध्यान न रखा हो, किंतु पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ‘ताई’ ने इसका पूरा ध्यान रखा। हुआ यूं कि कार्यक्रम में फडणवीस के साथ इंदौर के प्रथम नागरिक महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी बतौर अतिथि मौजूद थे। संचालनकर्ता ने महापौर से पहले फडणवीस को संबोधन के लिए आमंत्रित कर लिया। फडणवीस डायस की तरफ चले भी गए, तब ताई ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पहले हमारे महापौर का स्वागत भाषण होगा, फिर आप संबोधित कीजिएगा। कार्यक्रम स्थल पर ताई के इस कदम की हर कोई सराहना कर रहा था। ताई के अलावा अगर कोई अन्य फडणवीस को संबोधन से रोकता, तो शायद बात का बतंगड़ बन सकता था।
“प्रधानमंत्री” को लेकर चल रही खींचतान
श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति इंदौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश की प्रतिष्ठित संस्था है। यह राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु कार्यरत देश की प्राचीनतम और शीर्षस्थ संस्थाओं में से एक है। संस्था के प्रधानमंत्री सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी के हाल ही में निधन के बाद से प्रधानमंत्री पद रिक्त है। समिति ने अरविंद जवलेकर को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया है। अब प्रधानमंत्री पद को लेकर पदाधिकारियों में भारी खींचतान है। कई लोग लाबीइंग में लग गए हैं। इसी खींचतान को लेकर कवि व भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन ने तंज कसते हुए यहां तक कह दिया कि अभी चतुर्वेदीजी की चिता की आग भी ठंडी नहीं हुई है और लोग प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं।
कांग्रेस का हो रहा था भला, कांग्रेस ने ही कर दिया विरोध
विधानसभा क्षेत्र एक के विधायक संजय शुक्ला जब से महापौर का चुनाव लड़े हैं, तब से नगर निगम के मामलों में काफी रुचि लेने लगे हैं। नगर निगम के हर छोटे-बड़े फैसले और नियम-कानून के विरोध का वे कोई मौका नहीं छोड़ते। अब शुक्रवार को उन्होंने नल कनेक्शन के ज्यादा शुल्क को लेकर नगर निगम के किला मैदान जोनल कार्यालय पर प्रदर्शन किया। शुक्ला का कहना था कि वार्ड 16 में नल के नए कनेक्शन के लिए नौ हजार रुपये और वार्ड 17 में सिर्फ 5,500 रुपये शुल्क लिया जा रहा है। उनका कहना था कि इस विसंगति को दूर किया जाए। अब यदि नगर निगम ने वार्ड 17 में भी शुल्क बढ़ा दिया, तो विरोध का यह दांव कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। जिस वार्ड में ज्यादा शुल्क लिया जा रहा है, वो भाजपा का है और कम शुल्क वाला वार्ड कांग्रेस के कब्जे में है। ऐसे में कांग्रेस का दांव कांग्रेस के लिए ही उल्टा पड़ गया है।