भोपाल – ‘कचरा’ सिस्टम… काम 0%, पेमेंट 100%:मशीनें लगने के पहले कंपनी की कमाई …..

तस्वीर में दिख रहा 5 लाख मीट्रिक टन कचरे का पहाड़ अनुबंध की शर्तों के अनुसार 18 महीने (नवंबर 2020 से मई 2022) में खत्म हो जाना था। इस पर 5.25 करोड़ रु. का भुगतान तय हुआ। ढाई करोड़ रु. भुगतान होने और डेडलाइन बीतने के बाद भी कचरे का पहाड़ वहीं खड़ा है ….

नगर निगम भोपाल जो कुछ भी नया शुरू करता है, उसमें कुछ ही दिनों में भ्रष्टाचार की कमाई के रास्ते निकाल लिए जाते हैं। ताजा मामला आदमपुर छावनी का है, जहां शहरभर से निकले कचरे की प्रोसेसिंग का प्लांट लगा हुआ है। बड़ी बात यह है कि यहां बिना यूनिट लगे ही कागजों पर कचरे की प्रोसेसिंग होना दिखा दिया गया और भुगतान भी हो गया। ये तथ्य हाल ही में महालेखाकार के अफसरों द्वारा किए गए नगर निगम भोपाल के ऑडिट में सामने आए हैं।

रिपोर्ट बताती है कि 6 साल में प्रोसेसिंग के नाम पर निगम के अफसरों और वर्क ऑर्डर हासिल करने वाली कंपनी के बीच मिलीभगत के चलते करोड़ों का नुकसान हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि निगम अफसरों ने 27 सितंबर 2018 को कचरा प्रोसेसिंग के लिए वर्क ऑर्डर जारी किया, लेकिन इसके चार दिन बाद ही कागजों पर दिखा दिया कि कंपनी फुल कैपेसिटी से 400 मीट्रिक टन कचरा रोज प्रोसेस कर रही है, जबकि यहां प्रोसेसिंग मशीनें नवंबर में लगाने का ऑर्डर हुआ था। इतना ही नहीं इसका नवंबर के पहले का पेमेंट भी हुआ। बड़ा सवाल यह है कि जब मशीनें लगी ही नहीं तो कचरा प्रोसेस कैसे होने लगा? दूसरी तरफ, निगम ने प्लांट के बिजली कनेक्शन के लिए 6 अक्टूबर को बिजली विभाग को पत्र लिखा था, जबकि प्लांट में मशीनें 11 नवंबर के बाद लगाने का ऑर्डर जारी किया गया। इसके अलावा कंपनी ने 1 अक्टूबर 2018 से 22 नवंबर 2020 के बीच 229763 टन कचरा प्रोसेस किया। इसमें से 5% खाद का कम आकलन करने व कम रेट निर्धारित करने से निगम को 1 करोड़ 14 लाख 88 हजार 150 रु. का नुकसान हुआ।

  • नवंबर तक मशीनें लगानी थीं, वर्क ऑर्डर के 4 दिन बाद ही लगी दिखा दीं
  • कंपनी ने मशीनों की क्षमता से ज्यादा कचरा प्रोसेस होना बताया, अफसर आंखें मूंदे रहे
  • आदमपुर खंती में 6 साल से चल रही कचरा प्रोसेसिंग की ऑडिट रिपोर्ट

नियमों से भी किनारा- जो भुगतान 200 टन का होना था, वही 400 टन में भी किया

आदमपुर में कचरा प्रोसेसिंग का काम 6 साल पहले मेसर्स नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर्स प्रोक्योरमेंट प्रोसेसिंग एंड रिटेलिंग को-ऑपरेटिव ऑफ इंडिया को मिला था। कंपनी को रोज 200 टन कचरा प्रोसेस के बदले 786 रु. प्रति मीट्रिक टन भुगतान होता, लेकिन 27 सितंबर को जारी वर्क ऑर्डर के चार दिन बाद ही महापौर परिषद ने नया संकल्प पास कर कचरे की प्रोसेस क्षमता 400 टन प्रतिदिन कर दी। 6 अक्टूबर को निगम ने कंपनी को लेटर लिखा कि 400 टन पर भी 786 रु. प्रति टन मिलेंगे, जबकि नियम है कि कचरे की मात्रा बढ़ने के बाद शुल्क कम हो जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

कागजों में अगले दिन से 800 टन कचरा प्रोसेस दिखा दिया

सवाल उठे तो कचरा प्रोसेसिंग की लिमिट बढ़ाकर 800 टन प्रतिदिन कर दी गई। काम मेसर्स ग्रीन रिसोर्स साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट को मिला। इसके लिए कंपनी को 333 रु. प्रति टन पेमेंट तय हुआ। वर्क ऑर्डर 23 नवम्बर 2020 को जारी हुआ। ठेकेदार को 35 करोड़ दिए गए, ताकि वो 4 महीने में प्लांट की क्षमता बढ़ाए, लेकिन वर्क ऑर्डर के अगले दिन से दो महीने में 800 टन कचरा प्रोसेस के लिए 1.81 करोड़ रु. का भुगतान कर दिया गया।

सीधी बात- मुझे कुछ नहीं पता, आपके पास दस्तावेज हैं तो दिखाएं

सवाल- आदमपुर में वर्क ऑर्डर के चार दिन बाद ही कचरा प्रोसेस कैसे होने लगा?
– महालेखाकार ने क्या आपत्ति ली है, नहीं पता। बिना मशीन लगे कचरा कैसे प्रोसेस हो सकता है। कोई दस्तावेज हो तो दिखाइए।

सवाल- मशीनें लगने के पहले उनकी क्षमता 800 टन प्रतिदिन कैसे बढ़ गई?
– यह जांच का विषय है। दस्तावेज देखकर ही कुछ बता सकूंगा। कई मशीनें पहले से भी लगी हुई थीं, पुराने टेंडर वाली।
– वीएस चौधरी कोलसानी, कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल

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