मध्य प्रदेश में बगैर खेल मैदान निजी स्कूलों को न मान्यता मिलेगी, न नवीनीकरण होगा
मध्य प्रदेश में प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने 2018 से लागू नियम के कड़ाई से पालन के दिए निर्देश ..
भोपाल । मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों को अब खेल मैदान की भूमि के बगैर मान्यता नहीं दी जाएगी। मान्यता नवीनीकरण (पुराने स्कूल) के मामलों में देखा जाएगा कि खेल मैदान न होने पर स्कूल आसपास ही बच्चों के लिए खेलने की व्यवस्था कैसे कर सकता है। जब स्कूल नजदीक स्थित मैदान का किरायानामा देंगे, तभी मान्यता दी जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने वर्ष 2018 में लागू किए गए इन नियमों को अब कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि स्कूल गलत सूचना के साथ मान्यता न ले लें, इसके लिए तकनीक (जीपीएस) से निगरानी रखने की व्यवस्था भी की गई है। बता दें कि ऐसा ‘नईदुनिया’ में स्कूलों में खेल मैदान नहीं होने को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद किया गया है।
स्कूलों में खेल मैदान नहीं होने के कारण किस तरीके से नौनिहालों का भविष्य खराब हो रहा है। निजी और सरकारी स्कूलों में खेल मैदान को लेकर प्रदेशभर में एक जैसे हालात हैं। अधिकतर स्कूलों के पास मैदान नहीं होने के कारण खेल का पीरियड ही नहीं लग रहा है। यह भी बताया गया कि धीरे-धीरे अस्तित्व में आ रहे सीएम राइज स्कूलों में खेल शिक्षक भी नहीं हैं।
नियम : निजी स्कूल खोलने के लिए 4000 व 5600 वर्गफीट भूमि आवश्यक है
निगरानी : मैदान की गलत सूचना को रोकने के लिए अब जीपीएस से रखेंगे नजर
निर्देश : स्कूल नजदीक के मैदान का किरायानामा देंगे, तभी मान्यता मिलेगी
नौनिहालों के भविष्य की चिंता करते हुए नईदुनिया ने स्कूलों में खेल मैदान नहीं होने के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाकर ‘आठवी घंटी’ अभियान चलाया। हमने लगातार खबरें प्रकाशित कर शासन का ध्यान आकर्षित कराया।
नईदुनिया ने कई स्कूलों की पड़ताल की, जिनमें खेल मैदान नहीं हैं। इनकी खबरें प्रकाशित कर स्कूलों की बेपरवाही को उजागर किया। प्रशासन ने इन स्कूलों को चिह्नित कर नोटिस जारी करने की तैयारी में है।
सभी तरह के स्कूलों के लिए ये हैं नियम ….
स्कूलों की मान्यता के नियमों के अनुसार निजी हाईस्कूल खोलने के लिए चार हजार वर्गफीट और हायर सेकंडरी स्कूल खोलने के लिए 5600 वर्गफीट भूमि आवश्यक है। इसमें से दो हजार वर्गफीट भूमि खेल मैदान के लिए आरक्षित रखी जाती है। सीएम राइज स्कूलों के लिए भी पांच एकड़ भूमि का प्रविधान रखा गया है, जहां इतनी भूमि नहीं है, वहां भवन के तल बढ़ाकर खेल मैदान के लिए भूमि बचाई जा रही है। अधिकारी बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में खेल मैदान के लिए कितनी भूमि चाहिए, इसके कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं।
निकाय और ग्राम पंचायत से अनुमति …
अधिकारी कहते हैं कि कोई स्कूल 20-40 साल से संचालित है, तो उसे छात्रहित में बंद नहीं किया जा सकता है। ऐसे स्कूल नगरीय निकाय या ग्राम पंचायत से किसी मैदान को खेल मैदान के रूप में ले सकते हैं। इसका किरायानामा देने पर मान्यता दिए जाने का प्रविधान है। ऐसे ही सरकारी स्कूलों को लिखित अनुमति देनी पड़ती है।
स्कूलों में खेल मैदान हों, यह सुनिश्चित किए बगैर नए स्कूलों को मान्यता नहीं दी जाएगी। सीएम राइज स्कूलों में अतिथि खेल शिक्षक रखने को कहा गया है। साल के अंत तक नियमित शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। – रश्मि अरुण शमी, प्रमुख सचिव