सत्रह करोड़ की लागत से बिछाई केरवा लाइन, दो साल बाद ही करनी पड़ रही शिफ्ट
तालमेल की कमी के चलते अधिकारियों ने मास्टर प्लान रोड की जद में बना दी थी योजना
भोपाल । शहर में विकास एजेंसियों में शुरू से ही तालमेल की कमी रही है। इसी के चलते पिछले वर्षों में किए गए निर्माण कार्य अब बेकार साबित हो रहे हैं या फिर उन्हें हटाना पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोलार सिक्सलेन रोड का है, जहां दो साल पहले 17 करोड़ रुपये की लागत से बिछाई गई केरवा लाइन को शिफ्ट करना पड़ रहा है। बता दें कि भोपाल का मास्टर प्लान वर्ष 1995 में आया था, जिसमें कोलार रोड को मास्टर प्लान सड़क के तौर पर विकसित करने का प्रविधान किया गया था। इसके बाद भी तत्कालीन अधिकारियों ने छह साल पहले मास्टर प्लान रोड की जद में ही केरवा लाइन बिछाने की योजना बना दी। अब कोलार सिक्सलेन रोड शुरू करने की वजह से पाइप लाइन को हटाना पड़ रहा है। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि एक महीने में लाइन शिफ्टिंग का काम पूरा हो जाएगा। तब तक मौजूदा लाइन से ही जलापूर्ति की जा रही है।
दो साल पहले केरवा बांध से शुरू किया गया था जलप्रदाय
केरवा की लाइन बिछाने का काम भी धीमी गति से किया गया। जिससे दो साल पहले ही इस लाइन से केरवा बांध के जरिए कोलार क्षेत्र में जलप्रदाय शुरू कर दिया गया था। कोलार के 30 से 40 हजार घरों में पानी दिया जा रहा है। अब कोलार सिक्सलेन बनने के कारण केरवा पाइप लाइन को शिफ्ट किया जा रहा है। इसके लिए कुछ दिन जलापूर्ति बंद तक कर दी गई थी, लेकिन अब इसे फिर से शुरू कर दिया गया है। यहां अब भी नई पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है। बताया जा रहा है कि कोलार रोड पर सीवेज लाइन भी बिछी हुई है। इसे अभी शिफ्ट नहीं किया जा रहा है। सीवेज के चैंबरों को ऊंचा करने का काम किया जाएगा।
तालमेल की कमी से छह हजार मकान भी अटके
बाणगंगा क्षेत्र में नगर निगम ने हाउसिंग फार आल योजना के तहत करीब छह हजार मकान बनाने की योजना तैयार की। इसके पहले अधिकारियों ने देखा ही नहीं कि यह जमीन राजस्व रिकार्ड में छोटे झाड़ के जंगलों के तौर पर दर्ज है। यह तथ्य सामने आने के बाद मकानों की योजना रोकनी पड़ी। इसी तरह अमृत योजना के पहले चरण में शहर में कई स्थान ग्रीन स्पेस विकसित करने के लिए चिह्नित किए गए थे। कोलार, डीबी माल के सामने सहित अन्य क्षेत्रों में पार्कों की योजना भी बना ली। ठेकेदारों का चयन कर लिया गया। कुछ ठेकेदार मौके पर काम करने पहुंचे तो पता चला कि संबंधित जमीन निगम के स्वामित्व की है ही नहीं। उसे वहां कार्य शुरू नहीं करने दिया गया। इस वजह से कुछ प्रोजेक्ट रुक गए। इसके अलावा कुछ पार्क कानूनी प्रक्रिया में उलझ कर रह गए हैं। विभागों के बीच सामंजस्य की कमी सड़कों के निर्माण को लेकर भी उजागर हो चुकी है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को अक्सर यह शिकायत रहती है कि जहां नई सड़क बनाई थी। उसे ही पाइप लाइन बिछाने के लिए नगर निगम ने खोद दिया। इसकी भरवाई के लिए पीडब्ल्यूडी निगम प्रशासन को पत्र भी लिख चुका है।
कोलार सिक्सलेन रोड बनने से कुल साढ़े चार किलोमीटर केरवा लाइन शिफ्ट किया जाना है। जिसमें से डेढ़ किलोमीटर लाइन को शिफ्ट कर दिया गया है। रहवासियों को जलप्रदाय किया जा रहा है, बाकि बची तीन किलोमीटर की लाइन की शिफ्टिंग भी कर दी जाएगी। इस दौरान यह ध्यान रखा जा रहा है कि लोगों को जल संकट का सामना न करना पड़े।
….. जलकार्य प्रभारी, भोपाल नगर निगम