अडाणी के बाद हिंडनबर्ग के निशाने पर अमेरिकी कंपनी:कंपनी का शेयर 20% गिरा

जैक डॉर्सी की ब्लॉक इंक पर लगाए धोखाधड़ी के आरोप, कंपनी का शेयर 20% गिरा …

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा है कि ट्विटर के को-फाउंडर जैक डॉर्सी की कंपनी ब्लॉक इंक के शेयर की कीमत असल कीमत से 65-75% ज्यादा है …

अमेरिका की शॉर्टसेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप के बाद अब ट्विटर के को-फाउंडर और पूर्व CEO जैक डॉर्सी की कंपनी ‘ब्लॉक Inc’ के खिलाफ गुरुवार (23 मार्च) को एक रिपोर्ट जारी की है। हिंडनबर्ग ने इस रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि डॉर्सी की मोबाइल पेमेंट कंपनी ब्लॉक इंक ने अपने कंज्यूमर्स के साथ फ्रॉड किया है। कंपनी ने फ्रॉड के जरिए एक बिलियन डॉलर यानी करीब 8 हजार करोड़ रुपए भी कमाए।

हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमारी 2 साल की इन्वेस्टिगेशन का रिजल्ट यह निकला है कि ब्लॉक इंक जिन लोगों की मदद करने का दावा करती है, कंपनी ने सिस्टमैटिक​ रूप से​​​​​​ उन्हीं लोगों का फायदा उठाया है। ब्लॉक इंक ने अपने यूजर्स की संख्या भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई है। साथ ही कंपनी ने नए ग्राहकों को जोड़ने की कॉस्ट को काफी कम करके बताया है।

ब्लॉक इंक के शेयर में करीब 20% की गिरावट
हिंडनबर्ग ने कहा कि उसने ब्लॉक के शेयरों में शॉर्ट-पोजिशन ले रखी है, यानी उसने कंपनी के शेयरों में गिरावट पर दांव लगाया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ब्लॉक इंक के शेयर में करीब 20% की गिरावट देखने को मिली है। शेयरों में गिरावट से कंपनी को अरबों का नुकसान हुआ है। हिंडनबर्ग का दावा है कि ब्लॉक के शेयर असल कीमत से 65-70% महंगे हैं।

सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने वालों की मदद की
हिंडनबर्ग के अनुसार पेमेंट कंपनी ब्लॉक ने कोविड के दौरान फर्जीवाड़ा करके सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने वालों की मदद की। सबसे बड़ी गड़बड़ी ये रही कि कंपनी के कैश ऐप ने कई लोगों को एक ही अकाउंट में सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता लेने दी।

जैक डॉर्सी ने ब्लॉक इंक को 2009 में बनाया था। यह कंपनी मर्चेंट्स और कंज्यूमर्स के लिए पेमेंट और मोबाइल बैंकिंग सर्विसेस प्रोवाइड करती है। इस कंपनी को पहले स्क्वायर के नाम से जाना जाता था। ब्लॉक इंक का मार्केट कैप 44 बिलियन डॉलर यानी 3.61 लाख करोड़ रुपए है।

जैक डॉर्सी की पेमेंट फर्म से जुड़ी 4 बातें

  1. जैक डॉर्सी ने फर्म को स्क्वायर नाम से 2009 में लॉन्च किया था। फर्म क्रेडिट कार्ड रीडर प्रोवाइड करती थी। इसे मोबाइल फोन में प्लग किया जा सकता था। इसने पेमेंट करने के लिए टैबलेट कंप्यूटरों का पॉइंट-ऑफ-सेल सिस्टम के रूप में इस्तेमाल संभव बनाया।
  2. 2013 में स्क्वायर कैश को मोबाइल सर्विस पेमेंट कंपनी वेनमो के कॉम्पिटिटर के रूप में लॉन्च किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर कैश ऐप कर दिया गया। इसका इस्तेमाल ग्राहक फंड ट्रांसफर करने के लिए कर सकते थे।
  3. 2014 में कंपनी ने शॉर्ट टर्म लोन की सर्विस शुरू की और 2017 में स्क्वायर ने कैश कार्ड पेश किया। यह एक प्रीपेड डेबिट कार्ड था। 2018 में, कैश ऐप ने यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर बिटकॉइन में ट्रेड करने की सर्विस दी। अगले साल, कंपनी ने फ्री स्टॉक ट्रेडिंग की सुविधा जोड़ी।
  4. 2021 में 30 बिलियन डॉलर में ऑस्ट्रेलिया के आफ्टरपे का अधिग्रहण करने के बाद कंपनी ने बाय नाउ पे लेटर का ऑप्शन जोड़ा। उसी साल दिसंबर में स्क्वायर का नाम ब्लॉक के रूप में रिब्रांड किया गया।

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