भोपाल क्वालिटी पर सवाल …! घटिया डामर नतीजा-खराब सड़कें …!

न्यू मार्केट की एक सड़क …
घटिया डामर  इमल्शन में पानी की मिलावट, बार-बार परत बिछाना; नतीजा-खराब सड़कें …

बरसात के सीजन में शहर की 500 किलोमीटर से ज्यादा सड़कों पर गड्ढे हो गए थे। सीजन खत्म होने के बाद दो माह में इन सड़कों को रिपेयर किया गया था। इन सड़कों का काम पूरा हुए अभी चार महीने भी नहीं हुए हैं और ये सड़कें फिर उखड़ने लगी हैं। बिट्टन मार्केट से सुभाष एक्सीलेंस स्कूल और शाहपुरा सी सेक्टर से बावड़िया कला जाने वाली सड़कों में जगह-जगह डामर की परत को उखड़ा हुआ देखा जा सकता है। अन्य सड़कों पर भी जहां पेचवर्क हुआ, वह फिर से खराब होने लगा है। बरसात से पहले यह सड़कें खराब हो जाएंगी।

वैसे देखा जाए तो यह हर साल का क्रम है। दैनिक भास्कर ने काउंसिल ऑफ कंसल्टिंग सिविल इंजीनियर्स भोपाल के वाइस प्रेसीडेंट और स्ट्रक्चर इंजीनियर शैलेंद्र बागरे से इसकी वजह समझी। बागरे का कहना है कि सबसे अच्छा तरीका है कि सीमेंट कांक्रीट की सड़कें बनाई जानी चाहिए। यह शुरुआत में महंगी हैं, लेकिन अधिक टिकाऊ हैं।

घटिया डामर- डामर की क्वालिटी उसके विस्कोसिटी ग्रेड (वीजी) स्टैंडर्ड से मापी जाती है। जितनी अधिक वीजी होगी, डामर उतना हार्ड होगा और अधिक टेंपरेचर को सहन करेगा। निर्माण में वीजी-30 का उपयोग किया जाना चाहिए, जो 60 डिग्री तक नहीं पिघलता है, लेकिन शहर में वीजी-10 डामर का उपयोग हो रहा है, जो 50 डिग्री से भी कम में पिघलने लगता है। वीजी-50 से वीजी-10, 25% सस्ता है।

इमल्शन की कमजोर क्वालिटी-सड़कों पर डामर से पहले इमल्शन का छिड़काव होता है। एक तो घटिया क्वालिटी के इमल्शन का उपयोग हो रहा है, उसमें भी पानी मिला दिया जाता है। बेहतर क्वालिटी का इमल्शन 60 से 65 रु. प्रति लीटर मिलता है, जबकि घटिया इमल्शन 15 से 20 रु. प्रति लीटर भी मिल जाता हैं। इमल्शन का छिड़काव सड़क पर एक जैसा होना चािहए, जो कि नहीं होता।

परत दर परत बिछाने से सरफेस ड्रेन खराब-हर 3 साल में डामरीकरण का नियम है। इसका फायदा उठाकर सड़कों को रिपेयर करने के नाम पर परत दर परत बिछा दी जाती है। नतीजा यह होता है कि सड़कें फुटपाथ के बराबर आ जाती हैं। शहर में 85% सड़कों के किनारे ड्रेनेज नहीं है िजस कारण पानी सड़क पर ठहर जाता है।

सड़कों की स्थिति

  • सुभाष एक्सीलेंस स्कूल से बिट्टन मार्केट – सड़क कई जगह से ऊंची- नीची और उबड़ खाबड़ है। कुछ जगहों पर डामर की परत उखड़ गई है।
  • शाहपुरा सी सेक्टर से बावड़िया कला – पूरी सड़क का डामर उखड़ गया है और अब तो गिट्टी भी उखड़ने लगी है। नतीजा दोपहिया वाहन चालक फिसल कर गिर रहे हैं।
  • अशोका गार्डन से प्लेटफाॅर्म नंबर 1- इस निर्माणाधीन सड़क में पानी निकासी की जगह नहीं है। जहां सड़क बन गई वहां से उखड़ने लगी है।

ट्रैफिक नहीं रुकता और पानी ठहर जाता है
“डामरीकरण के तुरंत बाद ट्रैफिक शुरू हो जाता है। यह बात सही है कि कई जगहों पर सड़क पर पानी भी जमा होता है, इस वजह से डामर खराब होता है। जो उदाहरण बताए गए हैं, वह सब गारंटी पीरियड में हैं। कांट्रेक्टर को उन्हें अपने खर्चे पर रिपेयर करना होगा।”

– संजय मस्के, चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी

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