संसद में राहुल के माइक का स्विच किसके पास !
स्पीकर की इजाजत के बिना नहीं हो सकता बंद, पूरा कंट्रोल एक चैम्बर में …
6 मार्च 2023, जगह- लंदन में हाउस ऑफ कॉमंस का ग्रैंड कमेटी रूम। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ब्रिटिश सांसदों को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा- ‘हमारे यहां लोकसभा में अक्सर विपक्षी सदस्यों के माइक बंद कर दिए जाते हैं। हमारे माइक खराब नहीं हैं। वे काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आप उन्हें ऑन नहीं कर सकते। मेरे बोलने के दौरान ऐसा कई बार हुआ है।’
राहुल भारत जोड़ो यात्रा समेत कई मौकों पर संसद में माइक बंद करने का मुद्दा उठा चुके हैं। 7 फरवरी 2023 को राहुल गांधी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलकर बैठे थे। तभी स्पीकर ओम बिड़ला ने नसीहत दी कि ‘सदन में या सदन के बाहर ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए कि अध्यक्ष महोदय माइक बंद कर देते हैं।’ जवाब में राहुल ने कहा, ‘अध्यक्ष जी ये रियलिटी है, आप माइक बंद कर देते हैं।’
राहुल के लंदन में दिए बयान पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘लोकसभा बहुत बड़ी पंचायत है, जहां आज तक माइक बंद नहीं हुआ है।’ इस पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र ने फरवरी 2021 का एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें बोलते वक्त राहुल गांधी की आवाज आनी बंद हो जाती है। तब राहुल स्पीकर से कहते हैं, ‘सर आपने माइक बंद कर दिया।’
इसी बीच लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने 15 मार्च को स्पीकर ओम बिड़ला को लेटर लिखकर बताया कि मेरी सीट का माइक तीन दिन से बंद है।
मैंने इस बारे में चौधरी से बात की। उन्होंने बताया, ‘मेरी शिकायत पर एक्शन ये हुआ है कि बीते दिनों में BJP के भी कई सांसदों के माइक म्यूट कर दिए गए।’ रंजन के मुताबिक, ‘स्पीकर की परमिशन के बाद ही सदन में माइक ऑन होते हैं। ये सारा काम ऑपरेटर करते हैं और उनकी स्पीकर के साथ बातचीत चलती रहती है।’
आपका माइक बंद था, तो आपने शिकायत तीन दिन बाद क्यों की? मेरे यह पूछने पर रंजन बोले, ‘हम तो हर रोज बोलते हैं, लेकिन कुछ होता ही नहीं। इसलिए इस बार चिट्ठी लिखकर शिकायत की। चिट्ठी लिखने का ही तो असर हुआ है कि आप लोग हमें फोन लगा रहे हैं और सवाल पर जवाब मांग रहे हैं, यानी मेरी शिकायत का असर तो हुआ है।’
संसद में माइक्रोफोन मैनेजमेंट सिस्टम कैसे काम करता है, हमने यह समझने के लिए पूर्व IAS ऑफिसर और लोकसभा की पहली महिला सेक्रेटरी जनरल रहीं स्नेहलता श्रीवास्तव से बात की। वे कहती हैं…
‘पहले सांसदों की शिकायतें आया करती थीं कि हमारे सवाल कम सिलेक्ट हुए, किसी और के ज्यादा हुए। किसी का नंबर पहले आ रहा है, हमारा बाद में आ रहा है। इसलिए अब सवाल सिलेक्ट करने का काम सॉफ्टवेयर के जरिए होता है। इसमें कोई ह्यूमन इन्वॉल्वमेंट नहीं होता।’
‘लोकसभा के प्रश्नकाल में मौखिक तौर पर 20 सवालों का ही जवाब दिया जा सकता है, जिन्हें तारांकित प्रश्न कहते हैं। राज्यसभा में ऐसे अधिकतम 15 सवाल लिए जा सकते हैं। जिन सवालों का जवाब लिखित में दिया जाता है, लोकसभा में ऐसे 230 सवाल पूछे जा सकते हैं। राज्यसभा में यह संख्या 160 है।’
‘हर सांसद की सीट पर माइक होता है। इसे कोई ऑफ नहीं कर सकता। यदि कोई टेक्निकल प्रॉब्लम है, तो सांसद स्पीकर से कहते हैं। स्पीकर के आदेश के बाद ही टेक्नीशियन संबंधित माइक को चेक कर सकता है। जिस तरह से सदन में पंखे और लाइट हमेशा चलते हैं, उसी तरह से माइक भी हमेशा ऑन रहते हैं।’
‘कई बार सांसदों के हंगामा करने पर स्पीकर बार-बार उन्हें बैठ जाने को कहते हैं। अगर वे माइक बंद कर पाते, तो सांसद से बैठने का कहने की बजाय तुरंत माइक ऑफ ही करवा देते। चैम्बर में बने कंट्रोल रूम से ही माइक्रोफोन मैनेजमेंट सिस्टम ऑपरेट होता है। जब संसद चल रही होती है, तब किसी भी बाहरी व्यक्ति की एंट्री नहीं होती।’
‘संसद में किस सांसद को बोलने के लिए कितना टाइम दिया जा रहा है, यह उनकी पार्टी के सांसदों की संख्या से तय होता है। किसी पार्टी के सांसद कम हैं तो उन्हें कम वक्त मिलेगा, जिसके ज्यादा हैं, उन्हें थोड़ा ज्यादा वक्त मिलता है। इसका बाकायदा चार्ट बनता है। इसकी जानकारी सांसदों को पहले से होती है कि उन्हें बोलने के लिए कितना वक्त दिया गया है।’
‘सदन चलाने की जिम्मेदारी अध्यक्ष की होती है। उनके निर्देश पर महासचिव पूरा प्रोसिजर देखते हैं। यदि कोई ऑपरेटर अपने मन से माइक स्विच ऑफ करता है तो उसकी नौकरी तक जा सकती है। किसी भी सांसद के बोलने के दौरान उसका माइक स्विच ऑफ नहीं किया जा सकता। टेक्निकल प्रॉब्लम आ जाए, तो अलग बात है।’
(स्नेहलता श्रीवास्तव के मुताबिक, यह जानकारी उस वक्त की है, जब वे लोकसभा में थीं। उनका कार्यकाल 1 दिसंबर 2017 से 30 नवंबर 2020 तक रहा।)
प्रश्नकाल में सांसद के पास बोलने के लिए तीन मिनट, उसके बाद माइक बंद
नाम न देने की गुजारिश कर एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि दोनों ही सदनों में माइक्रोफोन को स्विच ऑफ या स्विच ऑन करने का सिस्टम मैन्युअल है। हालांकि, जीरो ऑवर (प्रश्नकाल) में हर मेंबर को बोलने के लिए तीन मिनट का ही वक्त दिया जाता है। इसके बाद माइक्रोफोन ऑटोमैटिक स्विच ऑफ हो जाते हैं।
यदि किसी सांसद का बोलने का टर्न नहीं हैं, फिर भी वो बोलने की कोशिश करता है, तो उस स्थिति में भी माइक्रोफोन बंद हो सकता है। यह सब कुछ चैम्बर में बैठा स्टाफ ही अध्यक्ष के निर्देश पर कर सकता है।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही माइक्रोफोन मैनेजमेंट सिस्टम को ऑपरेट करने वाला स्टाफ बहुत सीनियर होता है, जो गाइडलाइन के हिसाब से ही फंक्शनिंग करता है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि स्पीकर के निर्देश पर बोलते वक्त सांसदों के माइक ऑफ करवा दिए जाते हैं। आमतौर पर ऐसा होता नहीं है।
कांग्रेस का सवाल- राहुल गांधी बोलते हैं, तभी टेक्निकल ग्लिच क्यों आता है?
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ कहते हैं, ‘हमेशा यही क्यों होता है कि जब राहुल गांधी या खड़गे साहब बोल रहे होते हैं, तब माइक बंद हो जाता है। उसी वक्त टेक्निकल ग्लिच क्यों आ जाता है। यह एक तरह से कॉन्सन्ट्रेशन भंग करने का तरीका है। कोई जब बोल रहा होता है, तो वो एक लय में होता है। माइक बंद होने पर उसकी लय टूट जाती है। माइक ऑन होने पर वो दोबारा बोलना शुरू करता है, लेकिन टाइम की घड़ी तो उसकी चलती रहती है। उसे दोबारा अपनी बात शुरू करनी पड़ती है। यह तो विपक्ष को बोलने से रोकने का एक तरीका है।’
‘हमारे पास वो वीडियो हैं, जिनमें नजर आ रहा है कि वे (राहुल) जब बोल रहे हैं, तब माइक बंद हो जाता है। अडाणी के मामले में भी जब वे बोल रहे थे, तब माइक ऑफ हो गया। खड़गे साहब के बोलने के दौरान भी ऐसा ही हुआ।’