चलने-बैठने का गलत तरीका उम्र से पहले करेगा बूढ़ा ..!
चलने-बैठने का गलत तरीका उम्र से पहले करेगा बूढ़ा:क्रॉस लेग बैठने से स्पर्म क्वालिटी होगी खराब; कैसे सुधरेगा बॉडी पॉस्चर
गर्दन, पीठ और कमर दर्द ये समस्या कॉमन हो गई हैंI इसकी सही वजह तलाशने की जगह ज्यादातर लोग मलहम लगाकर इंस्टेंट आराम ढूंढते हैं।
थोड़ी देर आराम के बाद दर्द वापस आ जाता है। तब हमें कोई न कोई मालिश वाले की सलाह देता है। हम वहां पहुंच जाते हैं।
इस तरह बीमारी की जड़ को हम नहीं ढूंढते बल्कि टेंपरेरी आराम तलाशकर अपनी ही बीमारी बढ़ाते रहते हैं।
कम उम्र में भी इस तरह के दर्द की वजह क्या है, कौन सी गलती हमें परेशानी में डाल रही है, ये जानेंगे ….
सवाल: पॉस्चर यानी मुद्रा का सही होना क्यों जरूरी है?
जवाब: चलने, सोने और बैठने का तरीका अगर सही नहीं होगा तो हमारे हेल्थ पर गहरा असर होगा। इस वजह से हमारी हडि्डयों और मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है।
सही पॉस्चर होने से…
- आपका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा।
- एनर्जी सही तरह से मिलेगी और कॉन्सेंट्रेशन सुधरेगा।
- ब्रेन तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचेगा।
सवाल: गलत पॉस्चर किसे कहते हैं?
जवाब: इसके कुछ उदाहरण नीचे दे रहे हैं…
- बैक सपोर्ट वाली चेयर पर भी तनकर और रीढ़ की हड्डी को सीधी रखकर नहीं बैठना।
- काम करते वक्त अपनी गर्दन और पीठ को झुका देना।
- लैपटॉप की हाइट और आंखों का लेवल बराबर नहीं होना।
- कुर्सी पर बैठकर काम करते वक्त हाथों को नीचे लटकाकर रखना।
- की-बोर्ड पर टाइप करते वक्त कोहनी 90 डिग्री एंगल में नहीं रखना।
- अगर घर से काम कर रहे हैं तो बिस्तर या काउच पर लेटकर काम करना।
सवाल: गलत पॉस्चर या मुद्रा में बैठने से क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं?
जवाब:
गर्दन और कमर दर्द: सही पॉस्चर न रखने पर रीढ़ की हड्डियों के जोड़ों पर दबाव पड़ता है। स्पाइन रिलेटेड परेशानियां होने लगती हैं। साइटिका, स्लिप्ड डिस्क, सर्वाइकल, स्टिफ नेक जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
बल्जिंग डिस्क: इस बीमारी में दर्द रीढ़ की हड्डी से शुरू होता है और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलता है। यह आपके नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करती है। ये ज्यादातर उन लोगों को होती है जो सीटिंग जॉब्स करते हैं।
मांसपेशियों की जकड़न: मांसपेशियों की जकड़न को मांसपेशियों में ऐंठन भी कहा जाता है। जो लोग बिल्कुल एक्सरसाइज नहीं करते हैं, लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठकर काम करते हैं वो इससे परेशान होते हैं। इसमें ब्लड सर्कुलेशन सही तरह से नहीं हो पाता। इस वजह से धमनियां सिकुड़ जाती हैं।
फ्लेक्सिबिलिटी में कमी: जैसे ही शरीर मे अकड़न की समस्या आती है फ्लेक्सिबिलिटी यानी लचीलापन कम होने लगता है। आप रोजमर्रा के काम जैसे नीचे झुककर कुछ उठाना, जमीन पर बैठकर कुछ कर भी नहीं कर पाते हैं। क्योंकि आपकी मांसपेशियों में तेज खिंचाव महसूस होता है।
बॉडी का बैलेंस गड़बड़: इसमें आप सही तरह चल नहीं पाते, कुछ लोगों को तो चलने के लिए भी सहारे की जरूरत होती है। बैठकर उठने से भी आप डगमगाकर गिरने लगेंगे।
काइफोसिस: इसे कुबड़ापन कहते हैं। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। वैसे तो इसके होने के कई कारण हैं, कई बार यह हरेडिटेरी भी होती है लेकिन गलत पॉस्चर में बैठने-उठने से यह समस्या हो सकती है।
सवाल: क्या कोई टेस्ट है जो बताएगा कि मेरा पॉस्चर सही है या नहीं?
जवाब: बिल्कुल। वॉल टेस्ट करके आप आसानी से समझ सकते हैं कि आपका पॉस्चर सही है या नहीं। इसे ऐसे करें:
- एक दीवार की ओर पीठ दिखाकर खड़े हो जाएं।
- इस समय एड़ियां दीवार से 6 इंच की दूरी पर होंगी।
- अगर पॉस्चर सही है तो गर्दन और पीठ दीवार से दो इंच दूर रहेंगी।
- सही पॉस्चर होने पर सिर, हिप्स और कंधे दीवार से लगे हुए होंगे।
नोट: अगर ऐसा नहीं हो पा रहा तो समझ लें आपको पॉस्चर सही करने की जरूरत है।
वर्काम करने का सही तरीका सीख लें
- पेल्विक पोजिशन न्यूट्रल रखकर ही कुर्सी पर बैठें।
- अपने कंधे को रिलैक्स रखें, ज्यादा ऊंचा न करें।
- गर्दन और सिर दोनों सीधी रखें।
- लो बैक कर्व को नॉर्मल रखें, बैक सपोर्ट यूज कर सकते हैं।
- अपने कूल्हों यानी हिप्स और घुटनों को 90 डिग्री पर रखें।
- एक तरफ झुके नहीं, वजन को दोनों कूल्हों पर बराबर बांटें।
- दोनों पैरों को जमीन पर सपाट रखें, जरूरत हो तो स्टूल यूज करें।
- दोनों फोरआर्म्स को डेस्क पर आराम करते हुए फर्श के समानांतर यानी पैरेलल रखें।
- लैपटॉप या कंप्यूटर को चेहरे से 18-24 इंच की दूरी पर रखें।
सवाल: अक्सर लोग कुर्सी पर अपने पैर क्रॉस कर बैठते हैं, यह सही है या गलत?
जवाब: इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक क्रॉस-लेग बैठने से हिप मिसलिग्न्मेंट खराब हो सकता है। इसका मतलब इस सिचुएशन में आपका एक हिप दूसरे की तुलना में अधिक बड़ा हो जाता है।
कई रिसर्च में यह भी कहा गया है कि घुटना क्रॉस कर बैठना, एंकल क्रॉसिंग कर बैठने से भी बुरा प्रभाव देता है।
इस वजह से कई तरह की समस्या हो सकती हैं। जैसे–
- शरीर के निचले हिस्से में ब्लड क्लॉट होने का रिस्क बढ़ता है।
- हाई ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम बढ़ सकती है क्योंकि इस तरह से बैठने की वजह से नसों में खून जमा होने लगता है। जिससे हार्ट पर दबाव पड़ता है।
- द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार, पैरों को क्रॉस करने से स्पर्म पर असर पड़ता है। टेस्टिकल्स यानी अंडकोष का टेम्प्रेचर शरीर के बाकी हिस्सों से दो से छह डिग्री सेल्सियस कम होना चाहिए। बैठने से टेस्टिकल्स दो डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाते हैं, और जैसे ही आप क्रॉस लेग बैठते टेस्टिकल्स का टेम्प्रेचर 3.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। यह स्पर्म की क्वालिटी को भी खराब करती है।
अब बात सही पॉस्चर में खड़े होने और चलने की करते हैं…
सवाल: सही तरह से खड़े होने का तरीका बताएं?
जवाब: खड़े होते वक्त बॉडी का भार एड़ी पर न देकर पंजे पर दें। ध्यान रखें कि इस समय गर्दन और पीठ दोनों सीधी हों।
अगर आप टेढ़े या फिर झुक कर खड़े होंगे तो आगे जाकर पीठ दर्द की समस्या होगी।
सवाल: हमें कैसे पता चलेगा कि हम सही चल रहे हैं या गलत?
जवाब: सीधे खड़े रहना पॉस्चर सुधारने का सबसे आसान तरीका है। कई बार हमें पता नहीं होता कि हम किस तरह बैठते हैं या चलते हैं। इसे जानने के लिए अपने दोस्त की मदद ले सकते हैं। किसी दीवार के पास सीधे खड़े हो जाएं। नॉर्मल ही रहें, तनकर या सजग होकर न खड़े हों।
दोस्त से तीन अलग-अलग कोणों से तस्वीर खींचने को कहें। इससे आप अपने सही पॉस्चर को आराम से समझ पाएंगे।
सवाल: अच्छा गलत तरीके से खड़ा होने से शरीर में क्या दिक्कतें हो सकती हैं?
जवाब: हमारी स्पाइन में दो कर्व होते हैं। अगर हम सही पॉस्चर में खड़े नहीं होते हैं तो उन कर्व्स पर दबाव पड़ता है। गलत तरह से खड़े रहने की वजह से स्पाइन पर भी जोर पड़ता है। इससे लोअर बैक में दर्द होता है, साइटिका की दिक्कत होने लगती है।
गलत पॉस्चर के कारण कार्पल टनल सिंड्रोम, स्ट्रेस, अपच, दर्द और सूजन जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
खड़े होने का सही तरीका सीखें और अपने पॉस्चर को सुधारें
- अपने कंधों को पीछे करके सीधे तनकर खड़े रहें।
- सिर का लेवल हमेशा शरीर के हिसाब से रखें।
- पेट को अंदर की तरफ खींचें।
- पैरों को कंधे की चौड़ाई से अलग रखें।
- घुटनों को लॉक कर खड़े न हों।
- वजन दोनों पैरों के पंजों पर बराबर पड़े, न की एंडी पर।
- अपने हाथों को नॉर्मल लटकने दें।
सवाल: चलने का सही तरीका भी बता दें?
जवाब:
- वॉक करते समय झुकने या टेढ़े होने से बचें।
- वॉक करते वक्त सिर को एकदम सीधा रखें।
- ठुड्डी यानी चिन को ऊंचा रखें। इस पॉस्चर को सही रखने से स्पाइन स्ट्रेट बनी रहेगी। आपके डायफ्राम से प्रेशर भी हटेगा सांस लेने में मदद करेगा।
- मुट्ठी बांधकर वॉक न करें, इससे आपकी बांहों, कंधों और गर्दन पर प्रेशर क्रिएट होगा। उंगलियों और हाथों में सूजन भी महसूस होगी।
- चलते समय अपनी छाती को सीधा रखते हुए अपने कंधों को नीचे और पीछे की ओर रख कर वॉक करें। इस दौरान अपनी कोहनी को लगभग 90 डिग्री पर झुकाकर रखें।
- कभी भी एड़ी पर वॉक न करें, पैरों को जमीन पर पूरा रख कर चलें।
सवाल: गलत तरीके से खड़े रहने या चलने से रीढ़ पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जवाब: मेयो क्लीनिक की एक रिसर्च आई थी, जिसके मुताबिक आपके सिर का झुकाव यह तय करता है कि आपकी रीढ़ पर कितना वजन पड़ता है।
सीधे खड़े रहने की कंडीशन में रीढ़ पर 4.5 से 5.5 किलोग्राम वजन पड़ता है। सिर 15 डिग्री झुका हुआ हो तो यह भार 12.5 किलोग्राम तक बढ़ जाता है।
वहीं आपके सिर का झुकाव 60 डिग्री तक आगे की ओर हो तो रीढ़ पर 27 किलोग्राम के बराबर वजन पड़ता है।
सवाल: मोबाइल फोन यूज करते वक्त कैसा होना चाहिए पॉस्चर?
जवाब: हर वक्त या गलत तरीके से मोबाइल फोन या लैपटॉप यूज करने से टेक्स्ट नेक की प्रॉब्लम होती है। इसमें बोन स्ट्रक्चर में बदलाव होता है। इससे गर्दन, सिर, पीठ व कंधों में हर समय दर्द रहता है। मांसपेशियों में जकड़न होती है।
मायो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के मुताबिक मोबाइल इस्तेमाल करते समय गर्दन ज्यादा न झुकाएं। गर्दन झुकाने से स्पाइन पर जोर पड़ता है। गर्दन दुखने लगती है जिससे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की भी समस्या होने लगती है। डॉक्टर ने बताया कि मोबाइल चलाते समय आंखों को नीचे रखें गर्दन को नहीं।
सवाल: गलत पॉस्चर के पीछे की साइकोलॉजी क्या है?
जवाब: साइकेट्रिस्ट प्रीतेश कहते हैं, अगर व्यक्ति एंजाइटी में हैं, तो वो कंफर्टेबल नहीं रहेगा। उसको हर चीज की जल्दी रहेगी। ये लोग बैचेन रहेंगे और अपनी बॉडी के पॉस्चर को कंट्रोल करने की कोशिश करते रहेंगे। वो कभी क्रॉस लेग बैठेंगे तो कभी पैर सीधी करके।
खड़े होने पर भी उनका पॉस्चर गड़बड़ होगा।
कई बार बचपन से ही गलत तरीका से उठने-बैठने की आदत हो जाती है। दिमाग उसे उसी तरह से याद करता है और वो उस व्यक्ति की आदत बन जाती है।
सवाल: आपने सही करने का तरीका तो सीख लिया, इतनी पुरानी आदत काे सुधारना एक दिन की बात नहीं। ऐसे में आपके मन में भी वहीं सवाल होगा जो मेरे मन में है कि सही पॉस्चर में रहने के लिए नॉर्मल इंसान अपना माइंड सेटअप कैसे करें, कि वो इन चीजों को मेंटेन कर सके?
जवाब: साइकेट्रिस्ट प्रीतेश गौतम के मुताबिक नॉर्मल इंसान की बात करें तो उसके दिमाग में यह चलता है कि अगर आज से मैं ऐसे बैठूंगा, उठूंगा तो लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे, लोग मुझे कैसे देखेंगे। कहने का मतलब ऐसे लोगों के दिमाग में fear of scrutiny का डर घर करने लगता है।
ऐसे लोगों को अपने मन को समझाना चाहिए कि सामने वाले के पास इतना टाइम नहीं है कि आपको नोटिस करे और पॉस्चर को देखें।
बस आप पुरानी गलती सुधारते हुए पॉस्चर को सही करने पर काम करें।
अगर आप कॉन्शियस होंगे तो पॉस्चर आपके बॉडी लैंग्वेज को दर्शाती है। इसलिए खुद को मोटिवेट रखें।
आयुर्वेदिक डॉक्टर अबरार मुल्तानी बता रहे हैं बॉडी पॉस्चर को कैसे सुधारा के टिप्स
गर्दन का रखें ध्यान
स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग ने कई शारीरिक विकारों को भी जन्म दिया है। अधिक देर तक गर्दन झुकाकर फोन चलाना गर्दन के पॉस्चर को बिगाड़ता है। ज्यादा देर तक गर्दन झुकाकर न रखें।
कंप्यूटर स्क्रीन को इतनी ऊंचाई पर रखें कि गर्दन को ऊपर या नीचे करके न देखना पड़े। गर्दन में लचीलापन बनाए रखने के लिए दाएं, बाएं, ऊपर, नीचे करके और गर्दन को गोल घुमाकर नियमित व्यायाम करें।
अधिक देर न बैठिए
हमारा शरीर बैठे रहने के लिए नहीं काम करने के लिए बना है। जितना अधिक बैठे रहेंगे, शरीर उतना निष्क्रिय होता जाएगा। थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर चहलकदमी करें।
अपनी कुर्सी और डेस्क की ऊंचाई हाथों के समानांतर रखें। टाइपिंग करते वक्त सुनिश्चित करें हाथ नीचे टिके हुए हों। पैरों को समतल जमीन पर रखें। कुछ देर के लिए कुर्सी पर पद्मासन में बैठे।
आराम से करें तौबा
लंबी दूरी तक गाड़ी चलाते वक्त पूरी तरह झुक जाना थोड़ी देर का आराम तो दे सकता है लेकिन यह पॉस्चर के लिए सही नहीं है।
अपनी सीट को स्टीयरिंग व्हील के पास रखें। अपने पीठ के पीछे एक तकिया या टॉवेल को मोड़कर भी रख सकते हैं।
चलते-चलते
सवाल: पॉस्चर सुधारने के लिए कोई योग है क्या?
जवाब: योग से कई तरह की बीमारियां और डिफेक्ट को सुधारा जा सकता है। पॉस्चर सुधारने में भी फायदेमंद है। बस किसी ट्रेंड योग गुरु से ले ट्रेनिंग…
बाल मुद्रा
इससे रीढ़ की हड्डी में खिंचाव बढ़ता है, जिससे ग्लूट्स, हैमस्ट्रिंग, गर्दन और कंधे सही पॉस्चर में आते हैं।
पश्चिम नमस्कारासन
यह कंधों को आराम पहुंचा सकता है। इससे शरीर का उपरी हिस्सा मजबूत होता है। कंधे का पॉस्चर सही होने के साथ पेट कम होता है।
भुजंगासन
यह पीठ, कमर और कंधों के पॉस्चर को सही रखता है। ब्लड सर्कुलेशन सही होता है।